भारतीय संस्कृति पर बढ़ते खतरे – कारण और निवारण

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अनेकता में एकता का पर्याय भारत अपनी इंद्रधनुषी सांस्कृतिक पहचान रखता है। इस मुल्क का भौगोलिक क्षेत्र वृहद होने के साथ- साथ काफी समुन्नत...

बिहार : समाजवाद के कब्र में दफन हो रही है बिहारी अस्मिता

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बिहार, बिहारी और बिहारियत का इतिहास युगों पुराना है । बौद्धकाल से लेकर वर्तमानकाल तक हर क्षेत्र में बिहारी अस्मिता की अनूठी पहचान रही...

कोसी के दधीचि कीर्ति बाबू के जयंती पर अतिथि संपादक प्रसन्ना सिंह राठौर की...

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कीर्ति बाबू का नाम सुनते ही जेहन में बरबस तस्वीर बनने लगती है एक ऐसे फक्कड़ संत की जिनकी पूरी जिंदगी समाज को बनाने...

समीक्षात्मक रिपोर्ट : पाटलीपुत्र में भूमिहार मतदाताओं की गोलबंदी से राजद भाजपा में हड़कंप

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सवर्ण आरक्षण का विरोध भारी पड़ सकता है मीसा भारती को तो भूमिहारों को दरकिनार करना भाजपा उम्मीदवार को ♦ पांच लाख भूमिहार मतदाता एकजूट हो...

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अतिथि संपादक प्रसन्ना सिंह राठौर की कलम से

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आज नारी सुरक्षा संदेह के घेरे में है। वर्तमान में नारी सामाजिक न्याय से वंचित होने के साथ-साथ शोषित और दलित सी प्रतीत होती...

24अप्रैल को दिनकर की पुण्यतिथि पर विशेष

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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने हिंदी साहित्य में न सिर्फ वीर रस के काव्य को एक नयी ऊंचाई दी, बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम...

समीक्षात्मक रिपोर्ट : मधेपुरा लोकसभा -दिल बदला, दल बदला लेकिन संघर्ष तो होगा त्रिकोणात्मक,...

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"पंछी यह समझते हैं चमन बदला है , हंसते हैं सितारे कि गगन बदला है !! श्मशान की खामोशी मगर कहती है, है लाश वही,सिर्फ कफन बदला...

कोरोना पर अतिथि संपादक प्रसन्ना सिंह राठौर की कलम से ✍️

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कोरोना शब्द सुनते ही आज रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पूरी दुनिया में अभी का सर्वाधिक बोला जाने वाला यह शब्द बन चुका है।...

अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर ” द रिपब्लिकन टाइम्स” की अतिथि संपादक प्रसन्ना सिंह राठौर...

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             "अन्तर्राष्ट्रीय  युवा दिवस " पूर्णतः युवाओं को समर्पित दिवस है। इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1999...

शिक्षा दधीचि कीर्ति बाबू की जयंती पर अतिथि संपादक, प्रसन्ना सिंह राठौर की विशेष...

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मनुष्य में जो संपूर्णता गुप्त रूप से मौजूद है, उसे प्रत्यक्ष करना ही शिक्षा का उद्देश्य है। स्वामी विवेकानंद का यह कथन शिक्षा के...