मधेपुरा :  आने वाली नस्ल युवाओं पर है आश्रित, उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से सींचना एवं संवारना होगा

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : युवा ही देश एवं समाज के भविष्य है। हमारा विकास युवाओं पर ही निर्भर करता है। यह बात पटना विश्वविद्यालय पटना के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो डा इफ्तेखार हुसैन ने कही। वे स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में रविवार को प्रायोगिक परीक्षा से पूर्व विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे।

व्याख्यान का शीर्षक “युवा एवं मनोविज्ञान” रखा गया था। उन्होंने युवाओं में दिन-ब-दिन बढ़ती हुई अपराधिक प्रिवृतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया के यदि हमें समाज बदलना है और नए समाज एवं स्वस्थ समाज की संरचना करनी है तो युवा के व्यवहारों को समझना होगा। इसमें मनोविज्ञान अपनी प्रमुख भूमिका निभा सकती है। उन्होंने यह भी बताया के युवाओं पर आने वाली नस्ल आश्रित है। उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से सींचना एवं संवारना होगा. मनोविज्ञान की सीख पर चलना होगा।

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व्यवहारों में ना आने दें मनोवैज्ञानिक विकार : दूसरे वक्ता के रूप में व्याख्यान के लिए विशेष रुप से एवं कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्राचार्य एवं इंडियन एकेडमी ऑफ साइकोलॉजी के अध्यक्ष प्रो डा तारनी विशेष रूप से आमंत्रित थे। उन्होंने युवाओं का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि मनोविज्ञान के छात्र होते हुए उन्हें मानव के व्यवहारों को समझना आवश्यक है। मनोविज्ञान के छात्र अपने शोधों के द्वारा युवा पीढ़ी को प्रेरित कर सकते हैं। वह अपने व्यवहारों में मनोवैज्ञानिक विकार ना आने दें। मनोवैज्ञानिक विकार का निदान केवल मनोविज्ञान के द्वारा ही संभव है।

विभिन्न प्रकार के विकारों से जूझ रही है युवा पीढ़ी : विभाग के वरिष्ठ प्रो डा एमआई रहमान ने कहा कि मनोविज्ञान का मुख्य उद्देश्य व्यवहार को समझना एवं उसका विश्लेषण करना और व्यवहार को सामान्य बनाने में मनोवैज्ञानिक प्रविधियों का प्रयोग करना है। उन्होंने बताया के आज समाज में जितनी भी कुरीतियां प्रचलित हैं या प्रचलित हो रही है उसका मुख्य कारण मनोवैज्ञानिक विकृति है। हमारी युवा पीढ़ी इन दिनों विभिन्न प्रकार के विकारों से जूझ रही है। विभिन्न प्रकार के नशा अपने कर्तव्य से भागना एवं आक्रामक प्रवृत्ति का होना यह सब उदाहरण है। हम कहीं ना कहीं मनोवैज्ञानिक रूप से विक्षिप्त हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में युवाओं के मानसिक प्रबलन को समझना आवश्यक है। इसका निदान तभी संभव है, जब हम मनोविज्ञान एवं मनोवैज्ञानिक प्रविधियां को मानव व्यवहार के समझने में उपयोग में लाएंगे। व्याख्यान के दौरान ही इन्होंने उपस्थित छात्र छात्राओं एवं अभिभावकों को बताया के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग इस संदर्भ में काफी सक्रिय है।

मनोविज्ञान विभाग में होगी स्नातकोत्तर डिप्लोमा इन स्ट्रेस मैनेजमेंट की शुरुआत : प्रो डा एमआई रहमान ने कहा कि मनोविज्ञान विभाग में स्नातकोत्तर डिप्लोमा इन स्ट्रेस मैनेजमेंट की शुरुआत होने जा रही है। इसके लिए मनोविज्ञान विभाग कुलपति प्रो डा अवध किशोर राय का आभारी है। उन्होंने इस डिप्लोमा को विभाग में खोलने के लिए प्रेरित किया। परिणाम स्वरूप विभाग का यह प्रपोजल विद्वत परिषद् से पारित एवं अनुमोदित हो चुका है। वर्ष 2020 से इस कोर्स को विभाग में शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया के यह कोर्स प्रोफेशनल होगा। इससे युवाओं को जहां मनोविज्ञान के क्षेत्र में नौकरी मिलने में आसानी होंगी। वही इस कोर्स को करने वाले युवा समाज के लिए वरदान साबित होंगे।

मनोविज्ञान धनात्मक सोच को देता है बढ़ावा : व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो डा कैलाश प्रसाद यादव ने आए हुए मेहमानों का आह्वान किया और छात्र छात्राओं को सयंम एवं समायोजन पर चलने की सलाह दी। उन्होंने बताया के मनोविज्ञान धनात्मक सोच को बढ़ावा देता है और नकारात्मक सोच को समाप्त करने पर जोड़ देता है। यदि युवाओं को अपना भविष्य सवारना है, तो उन्हें मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनी जीवन में परिवर्तन लाना होगा।

संचालन करते हुए डा शंकर कुमार मिश्र ने युवाओं को मानसिक रूप से सतर्क रहने पर एवं समाज उपयोगी कार्य करने के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से प्रेरित किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डा आनंद कुमार सिंह ने अपने विचार छात्र-छात्राओं के बीच रखें और युवाओं को मोबाइल से दूर रहने की सलाह दी।


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