सुपौल परिवहन विभाग की लापरवाही की खुली पोल, टूरिस्ट परमिट के नाम पर दिल्ली तक चलाते हैं बस

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टीआरटी डेस्क

छातापुर/सुपौल/बिहार : टूरिस्ट बस के परमिट पर सुपौल जिले के छातापुर, त्रिवेणीगंज, जदिया से दिल्ली तक सवारी ढोए जा रहे हैं। छातापुर बस पड़ाव से प्रत्येक दिन दिल्ली जानेवाली लगभग एक दर्जन से अधिक बसें चल रही है ।

जानकारी अनुसार लंबी दूरी की चलने वाले किसी भी बस मालिक के पास स्थायी परमिट नहीं होता । यह बसे टूरिस्ट परमिट के नाम पर चलती है । यह गोरखधंधा पिछले एक वर्ष से चल रहा है । इन बसों का परिचालन पूरी तरह गैर कानूनी है। बस का परिचालन अवैध रूप से यात्री बस के रूप में किया जाता है। टूरिस्ट परमिट को यात्री परमिट के रूप में इस्तेमाल करने के लिए यात्रियों की जान की कीमत पर अधिकारियों की जेब गर्म की जाती है। दिल्ली के लिए निजी बसों के परिचालन की काली कमाई में नीचे से ऊपर तक बंदरबांट होती है। इन बसों के संचालन में खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, लेकिन जिले का परिवहन विभाग तमाशबीन बना है।

बता दें कि दिल्ली जाने क्रम में पिछले छः माह भीतर आधे दर्जन बसें दुर्घटनाग्रस्त हुई हैं। हादसे में कई लोग घायल भी हुए हैं। लगातार हो रही दुर्घटना के बाद भी प्रशासन स्लीपर बसों की मानकता को लेकर बेपरवाह बना है। छातापुर से दिल्ली के लिए प्रति यात्री एक सीट का 1000 स्लीपर का 1500 रुपए किराया लिया जाता है। एक बस के चालक ने नाम नहीं बताने के शर्त पर बताया कि छातापुर से दिल्ली तक कि दूरी तय करने में पांच जगह बेरियर 200 रुपया लिया जाता है, जिसका रसीद नहीं दिया जाता है, बेरियर त्रिवेणीगंज, छातापुर, खोपा, दरभंगा, गोपालगंज में लिया जाता है और प्रत्येक जिला में साहब का 5000 फिक्स है ।

क्या है मानक ऊंचाई : बस की मानक ऊंचाई 13 फीट और वोल वो की हाई अधिकतम 15 फीट होनी चाहिए। स्लीपर बसों की हाई 16 से 18 फीट है। उंचाई के अनुपात में चौड़ाई कम होने कारण बसें पलटने की संभावना ज्यादा रहती है। सड़क किनारे लगी पेड़ों से टकराने व बिजली की तार के संपर्क में आने का खतरा भी रहता है।

3 स्टॉफ के भरोसे दर्जनों की जिंदगी : एक स्लीपर बस में 75 से 80 यात्री सफर करते हैं। छातापुर से दिल्ली की दूरी 1274 किलोमीटर है। इतनी लंबी यात्रा करने वालों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दो चालक और एक कंडक्टर के भरोसे है। कई बसों में आग से निपटने के लिए फायर सेफ्टी सिलेंडर और फ़र्स्ट एड बॉक्स भी नहीं है।

ज्यादातर सफर रात में : दिल्ली से आने-जाने वाली बसें दोनों तरफ से शाम में खुलती है। पूरी रात सफर होती है। रात मेंं सफर के दौरान चालकों की झपकी के कारण ज्यादातर हादसे होते हैं।

समाजसेवी बिमल झा, खादिम ए मजलिस खलीकुल्लाह अंसारी

परिवहन विभाग की अांखों में धूल झोंककर बस संचालक नियम-कायदों की उड़ा रहे हैं धज्जियां, संचालकों के प्रभाव के सामने सब कुछ जायज  । युवा समाजसेवी बिमल झा, खादिम ए मजलिस खलीकुल्लाह अंसारी ने स्थानीय जिला प्रशासन से मांग किया है कि इस मामले को गंभीरता से देखा जाय एवं इस पर त्वरित और निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई का मांग किया है ।

क्या कहते हैं परिवहन पदाधिकारी :- इस बाबत परिवहन पदाधिकारी रजनीश लाल से पूछने पर उन्होंने बताया कि मेरे संज्ञान में नहीं था, आपके द्वारा मुझे जानकारी मिली है, जांच किया जाएगा, जांच में अगर इस तरह का मामला मिलेगा तो ऐसे बस मालिक के विरुद्ध कानूनी कार्यवाई की जाएगी ।


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