मधेपुरा शब्द सुनते ही मस्तिक में में एक ऐसे जिले की तस्वीर बनती है जो किसी परिचय की मोहताज नहीं।समाजवाद की धरती के नाम से चर्चित इस जिले का नेतृत्व समय समय पर राष्ट्रीय फलक के नामचीन राजनेताओं के हाथों में रही है। राजनीति के साथ साथ हर क्षेत्र में इस जिले का अपना गौरवशाली इतिहास व पहचान है जो हर जिलेवासी के लिए गौरव की बात है। 1981 में 9 मई को जिला बना मधेपुरा अपनी खास पहचान रखता रहा है। रामायण, महाभारत सहित विभिन्न राजाओं के काल में इस क्षेत्र के प्रमुख स्थान होने के प्रमाण आज भी जिले के अलग अलग क्षेत्रों ने यत्र तत्र बिखरे पड़े हैं। आजादी के आंदोलन में भी अपनी भूमिका देने में यहां की भूमि काफी उर्वरा रही है।
इतिहास के पन्नों में इसी कड़ी में रासबिहारी मण्डल, शिवनंदन प्रसाद मंडल, राजेश्वर बाबू, कार्तिक सिंह, सिंहेश्वरी झा सहित अनगिनत नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं। आजादी के बाद यहीं के के पी मण्डल ने संविधान सभा के सदस्य के रूप में भाग लेकर इस धरती के मान को बढ़ाया था। जिले के सिंघेश्वर का शिव मन्दिर प्रांत व राष्ट्र की सीमा लांघते हुए अपनी एतिहासिक पहचान देता आया है। मधेपुरा आज जिला के रूप में चार दशक से अधिक का सफर तय कर चुका है। इस सफर में जिले ने कई उतार चढ़ाव और कोसी के दंश झेलने को विवश होने पर भी हर बार नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने को उठ खड़ा होने की छवि बनाई, चाहे वो 2008 का प्रलयकारी बाढ़ ही क्यों न हो। मधेपुरा को जिला बनाने में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ जगरनाथ मिश्र की अहम भूमिका रही। जब वो मधेपुरा को जिला घोषित करने यहां आए तब पूर्व मुख्य मंत्री बीपी मण्डल ने इसके लिए उन्हें बधाई भी दिया था।
सनद रहे राज्य के तत्कालीन मुखिया डॉ मिश्र अपने साथ जिले के डीएम और एसपी के रूप में दो नौजवान पदाधिकारी एसपी सेठ और अभयानंद को जिले की कमान देने के लिए साथ लाए थे। जिले का रासबिहारी मैदान उस गुजरे पल की गवाही आज भी देता है ।
जिला बनने के बाद मधेपुरा विकास के पथ पर उतार चढ़ाव को झेलते हुए लगातार विकास की नई पटकथा लिखता जा रहा है। 1787 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जिला में प्रखर समाजवादी भूपेंद्र बाबू के नाम पर जहां विश्वविद्यालय है वहीं राष्ट्रीय स्तर का मेडिकल कॉलेज भी पूर्ण रूप में जिले को सूबे के मुखिया द्वारा समर्पित किया जा चुका है। सिंघेश्वर के पास बिहार, झारखंड का एकमात्र नारियल विकास बोर्ड कृषि के क्षेत्र में जिले को जहां अलग पहचान देता है, वहीं पूर्ण रूपेण कार्य कर रहा एशिया महादेश का एकमात्र विद्युत रेलवे इंजन कारखाना उद्योग धंधे के क्षेत्र में बढ़ते कदम को दर्शाता है। देश का एकमात्र रेलवे स्टेशन जहां ट्रेन बिना सिग्नल के रुकती है, जाती है वह मठाही रेलवे स्टेशन इसी जिले में है। इसी धरा के लाल बीपी मण्डल ने मंडल आयोग के अध्यक्ष के रूप जो किया वो आज वही आरक्षण आमजन, जरूरतमंद की ताकत बना है। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी यह जिला अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।
यहीं की प्रतिभा डॉ महावीर प्रसाद यादव, डॉ के के मंडल, डॉ आर के रवि, डॉ जयकृष्ण प्रसाद यादव , डॉ आर के पी रमन का अलग अलग विश्वविद्यालयों में कुलपति बनना इसका प्रमाण है। वहीं शिक्षा जगत में शिक्षा के विश्वकर्मा, मालवीय, गांधी, संत जैसे अनगिनत नामों से चर्चित कीर्ति नारायण मंडल ने एक दर्जन से ज्यादा शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर उच्च शिक्षा की सुलभता की बुनियाद रखी। यहां की प्रतिभाएं अलग अलग विधाओं में लगातार अपनी प्रतिभा को अलग अलग मंचों पर साबित कर जिले के मान में चार चांद लगा रही हैं। राष्ट्रीय स्तर के मेडिकल कॉलेज व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विद्युत रेलवे इंजन कारखाना खुलने से जिले के हवाई अड्डा खुलने के आसार भी साफ नजर आने लगे हैं इसको लेकर सुगबुगाहट भी तेज हो गई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 106 पर स्थित यह जिला लगभग बीस लाख की आबादी रखता है जहां महिला पुरुष अनुपात 914 है।150से ज्यादा पंचायत को समेटे हुए मधेपुरा राज्य की राजधानी से 250 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर स्थित है लेकिन सफल रेलवे व रोडवे के कारण राजधानी से सुलभ संपर्क है। फसल के रूप में इस जिले की मुख्य फसल मक्का, गेंहू, धान, मूंग आदि है। यहां का साक्षरता दर 50%से कुछ ज्यादा हैलेकिन औरतों की साक्षरता दर में काफी और सुधार की जरूरत है। यह जिला लगभग लगभग भारत – नेपाल की सीमा पर स्थित है। जिसके कारण इसको कई अन्य लाभ भी सुलभ होते रहते हैं। इस जिले में विकास की अनेकानेक संभावनाएं हैं इसका मूल कारण समय समय पर राष्ट्रीय स्तर के राजनेताओं का नेतृत्व मिलना भी रहा है जिसमें शरद यादव और लालू प्रसाद की भूमिका अहम रही है क्योंकि ये दोनों लंबे समय तक इस जिले को सदन में प्रतिनिधित्व देते रहे हैं।
पहली संसद में सांसद रहे किराए मुसहर बिहार के पहले दलित सांसद थे, शरद यादव के पास सर्वाधिक बार सांसद होने और आदर्श सांसद होने का गौरव भी है। जिला बनने के बाद महावीर प्रसाद यादव पहले सांसद बने थे। विगत गुजरे कुछ वर्षों में जिला मुख्यालय की तस्वीर काफी बदली है तेजी से खुले कई मॉल, बड़े अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होटल आदि इसको आइना भी दिखाते हैं। निकट भविष्य में इसमें और बड़े बदलाव आने की भी जरूरत है। इन सभी सकारात्मक पहलुओं के साथ यहां के मजदूरों का लगातार बाहर पलायन करना, अनेकानेक शिक्षण संस्थानों के खुलने के बाद भी शिक्षा के स्तर में आ रही गिरावट, लगातार बढ़ रही अपराधिक घटनाएं चिंताजनक है, इसपर यथाशीघ्र लगाम लगाने की दरकरार है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अतीत से ही गौरवशाली इतिहास रखने वाले इस जिले का सिर्फ वर्तमान ही बुलन्द नहीं है बल्कि भविष्य की तस्वीर भी बहुत साफ है जिसमे यह जिला राष्ट्रीय फलक का मजबूत हस्ताक्षर नजर आता है जहां ऊंची इमारतें, कल कारखाने, सर्व सम्पन्न शिक्षण संस्थान, सुव्यवस्थित अत्याधुनिक स्वास्थ्य केंद्र, अच्छी सड़के, रोजगार के अनगिनत विकल्प सहित अन्य कई कड़ियां उपलब्ध होगी। जिले की 45 वीं स्थापना दिवस पर सबको बधाई।
हर्ष वर्धन सिंह राठौर
प्रधान संपादक, युवा सृजन