मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू के सर्वोच्च सदन सिंडीकेट और सीनेट की विगत बैठकों में लिए गए कई महत्वपूर्ण फैसलों के डेढ़ माह बाद भी लागू नहीं होने पर कुछ सिंडीकेट सदस्य द्वारा सवाल उठाने व कुलपति एवम् कुलसचिव से मुलाकात कर अविलंब पहल करने की मांग को वाम छात्र संगठन एआईएसएफ ने संज्ञान में लिया है।
संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह मामला काफी गम्भीर है कि बीएनएमयू में सर्वोच्च सदन के फैसले पर ताक पर रखकर काम होता है, इससे यह पता चलता है कि सिंडीकेट व सीनेट के फैसले बीएनएमयू के लिए खास मायने नहीं रखते। एमएलटी व एचएस कॉलेज उदाकिशुनगंज में नामांकन में ऑडियो और वीडियो प्रकरण में जब जांच का निर्णय सदन ने किया तो उसपर अब तक जांच के लिए जरूरी कदम क्यों नहीं उठाए गए। अक्टूबर माह मे हुई अनुशासन समिति के निर्णय की अधिसूचना नहीं जारी होना साबित करता है कि अनुशासन समिति के फैसलों में ही अनुशासन का घोर अभाव है। एनसीसी फायरिंग रेंज, एनसीसी का महाविद्यालय में अलग एकाउंट खोलने, एनसीसी संचालित महाविद्यालय में आप्टीकल कोर्स जैसे महत्वपूर्ण फैसलों के सम्बन्ध में निर्णय को मूर्त रूप नहीं देना विश्वविद्यालय कि आंतरिक कुव्यवस्था की पोल खोलते नजर आते हैं। एआईएसएफ नेता राठौर ने विश्वविद्यालय के नियत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि कहां तो विश्वविद्यालय ने पिछली सिंडीकेट व सीनेट बैठकों में लिए गए फैसलों को समय पर मूर्त रूप देते हुए हर माह सिंडीकेट बैठक करने का निश्चय किया था लेकिन आज आलम यह है कि पूर्व के फैसलों को लागू करने की पहल मात्र भी शुरू नहीं हुई है अप्रैल माह में बैठक की तैयारी तो कोसो दूर की बात है। विश्वविद्यालय सिर्फ निर्णय ले लेता है लेकिन मूर्त रूप नहीं दे पाता, विश्वविद्यालय में तो यह निर्णय हुआ था कि माह के अंत में छात्र संगठनों के साथ बैठक कर विश्वविद्यालय के विकास को गति दिया जाएगा, जबकि ऐसा वादों तक ही सिमट कर रह गया।
राठौर ने मांग किया कि कुलपति को चाहिए कि सिंडीकेट और सीनेट के फैसलों और उसपर पहल की सूची सार्वजनिक किया जाना चाहिए जिससे पता चले कि बीएनएमयू कितना फैसलों को लागू कर पाता है। जब सदन के माननीय सदस्यों को ही विश्वविद्यालय को याद दिलाना पड़ता है कि फैसलों पर काम नहीं हो रहा पहल कीजिए तो सामान्य लोगों की हालत क्या होगी इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है।