ईद-उल-फितर : मोहब्बत‍ और इंसानियत का पैगाम देता है ईद का त्योहार

Spread the news

कौनैन बशीर
उप संपादक

ईदगाहों पर दिखी भाईचारगी और आपसी सदभाव, एक दूसरे के गले मिल दी ईद की बधाई

मधेपुरा/बिहार : ईद-उल-फितर भूख-प्यास सहन करके एक महीने तक सिर्फ खुदा को याद करने वाले रोजेदारों को अल्लाह का इनाम है। सेवइयां में लिपटी मोहब्बत की मिठास इस त्योहार की खूबी है। मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व न सिर्फ हमारे समाज को जोड़ने का मजबूत सूत्र है, बल्कि यह इस्लाम के प्रेम और सौहार्द भरे संदेश को भी पुरअसर ढंग से फैलाता है।
मीठी ईद भी कहा जाने वाला यह पर्व खासतौर पर भारतीय समाज के ताने-बाने और उसकी भाईचारे की सदियों पुरानी परंपरा का वाहक है। इस दिन विभिन्न धर्मों के लोग गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और सेवइयां अमूमन उनकी तल्खी की कड़वाहट को मिठास में बदल देती है।
ईद-उल-फितर एक रूहानी महीने में कड़ी आजमाइश के बाद रोजेदार को अल्लाह की तरफ से मिलने वाला रूहानी इनाम है। ईद समाजी तालमेल और मोहब्बत का मजबूत धागा है, यह त्योहार इस्लाम धर्म की परंपराओं का आईना है। एक रोजेदार के लिए इसकी अहमियत का अंदाजा अल्लाह के प्रति उसकी कृतज्ञता से लगाया जा सकता है। दुनिया में चांद देखकर रोजा रहने और चांद देखकर ईद मनाने की पुरानी परंपरा है और आज के हाईटेक युग में तमाम बहस-मुबाहिसे के बावजूद यह रिवाज कायम है। व्यापक रूप से देखा जाए तो रमजान और उसके बाद ईद व्यक्ति को एक इंसान के रूप में सामाजिक जिम्मेदारियों को अनिवार्य रूप से निभाने का दायित्व भी सौंपती है

बुधवार को जिले में अकीदत के साथ ईद-उल-फितर का पर्व मनाया गया। हजारों लोगों ने नमाज अदा कर मुल्क की बेहतरी और अमन-चैन के लिए अल्लाह से दुआ मांगी। इस दौरान लोगों में आपसी सद्भाव, भाईचारगी व हर्षोल्लास साफ दिखाई दिया। प्रमुख ईदगाहों व मस्जिदों में प्रातःकाल मुस्लिम भाइयों ने ईद की नमाज अता की। इसके बाद एक-दूसरे से गल मिल ईद की बधाइयां दी। इसके साथ ही गले-मिलने और दावतों का दौर शुरू हुआ हो गया। हर तरफ ईद की सेवईं आपसी रिश्तों में मिठास घोलती नजर आयी। एहतियात के तौर पर प्रशासन भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये थे।

उदाकिशुनगंज अनुमंडल के सिंगारपुर, राहठ्ठा फनहन, उजानी टोला, आलमनगर, मधेली, बिहारीगंज, हथियोंधा, बीड़ी गमैल, पुरैनी, योगीराज, नरदह, नयाटोला, भटौनी, वंषगोपाल, कहरटोली, फुलपुर, चंदा, औराय, खेरहो, सपरदह, औरलाहा, बघवादियारा, गणेशपुर दियारा, डुमरैल आदि इलाकों हर्षोल्लास के साथ मनाया गया
वही सिंगारपुर स्थित जामा मस्जिद मे नमाज से पहले हज़रत उमर फारूक साहब ने अपनी तकरीर में रसूल अल्लाह सल्ललाहु अलैहे वसल्लम के जिंदगी के बारे में बताया और लोगों को उनकी सुन्नतों पर अमल करने की ताकीद की।

ईद की नमाज अदा करने के बाद मुस्लिम भाई एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाईयां दिये। वहीं तरह-तरह के बने पकवानों का भी लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। त्योहार को लेकर छोटे बच्चों में कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखा। ईदगाह के पास लगे मेले का बच्चों ने जमकर लुत्फ उठाया। इसके बाद अपने घर पहुंचे। बच्चों में अपने नन्हे दोस्तों के घर पहुंचने की उत्सुकता भी दिख रही थी। ईदगाह के पास राजनीतिक दलों का आपसी मतभेद भी नहीं दिखा। बुधवार को नमाज के बाद सभी भेदभाव भूल राजनीतिक दलों के लोगों ने मुस्लिम बंधुओं से गले मिल ईद की शुभकामनाएं दिये। ईद पर लोगों ने सेवइयों से घर पहुंचने वालों का स्वागत कर रहे थे।


Spread the news