अबुल कलाम रिसर्च फाउंडेशन में CAA, NRC और NPR पर विस्तारित प्रवचन का आयोजन
प्रेस विज्ञप्ति
फुलवारी शरीफ/पटना/बिहार : अबुल कलाम रिसर्च फाउंडेशन फुलवारी शरीफ, पटना सम्मेलन हॉल मे आज बुद्धिजीतियों महत्वपूर्ण सीट थी, इस महत्वपूर्ण बैठक में पटना हाईकोर्ट के वरिष्ट अधिवक्ता खुर्शीद आलम ने CAA, NRC और NPR तथा जनगणना (SENCES ) वषय पर अपना बहुमुल्य व्याख्यान दिया। उन्होने कहा कि भारतीय संविधान के हवाले से यह स्पष्ट है कि CAA भारत के संविधान के खिलाफ है। यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ है।
उन्होने कहा है कि सेंसेक्स का कानून 1948 में बना, जिसे SENCES अधिनियम 1948 के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम का उद्देश्य भारत में छ: महिने रहने वाले हर व्यक्ति के बारे में बुनियादी जानकारी प्राप्त करना है, जैसे: उसके पास रहने को मकान है या नहीं? उसके परिवार में कितने लोग होते है? खेती की जमीन कितनी है? उके पास जानवर है या नहीं? वाहन रखता है या नहीं? आदि, ताकि इस आधार पर उनके कल्याण की योजनाएं बनाई जा सके और इस काम के लिए बजट आवंटित किया जा सके। जब कि नागरिकता कानून नागरिक आधिनियम 1955 का एक हिस्सा है। जो भारत में छ: महीने या उससे अधिक समय से रहने वाले हर व्यक्ति संबंधित जानकारी रजिस्टर है, चाहे वह भारतीय नागरिक हो या न हो और यह NRC की पहली कड़ी है।
इसलिए सरकार का यह दावा है कि NPR और सेनसस एक चीज है। यह बिल्कुल झुठ है। नागरिकता कानून नागरिक जेहाज अधिनियम 1955 के नाम से जाना जाता है, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2003 में संशोधन और NPR इस का हिस्सा बनाया, लेकिन इस समय इसे लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि उस समय वाजपेयी सरकार की अकेली बहुमत नीं था। आज जब कि भाजपा ने बड़ी बहुमत हासिल कर ली है, तो उसने संपादित करके नागरिकता संशेाधन कानून 2019 बनाया, जो स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी आदि को नागरिकता दी जाएगी। उस कानून से मुसलमानों को मुक्त रखा गया है। यानी किसी मुसलमान को नागरिकता नहीं दी जाएगी। जाहिर है कि यह कानून धर्म के आधार पर बनाया गया है, जबकि हमारा संविधान और दसतूर कहता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहाँ कोई कानून धर्म के आधार पर नीं किया जा सकता है। यह कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ ही नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा के खिलाफ है, अगर इस कानून के कार्यान्वयन की प्रक्रिया में आ गया तो भारत का धर्मनिरपेक्ष चरित्र नष्ट हो जाएगा और यह देश के हर नागरिक के लिए खतरनाक है।
इसलिए कि NRC यानी राष्ट्रीय रजिस्टर बंद नागरिकता में जो लोग अपना दस्तावेज पेश नहीं कर सकेंगे, उन्हें शामिल नहीं किया जाएगा, और उन्हें गैर भारतीय करार कर डेटीनशन शिविरों में कैद कर दिया जाएगा। जहां वह मौत से बदतर जीवन बिताने पर मजबुर होगें। खुर्शीद आजम ने कहा कि यह कानून मूल्क देश के दलित, आदीबासी और कमज़ोर लोगो के खिलाफ है। क्यांकि देश के 70 प्रतिशत दलित, आदीबासी गरीब लोग अपने दस्तावेज पेश नहीं कर सकेंगे, फलस्वरूप उन्हें मजबूर किया जाएगा कि वे साबित करें कि वे उस तीनों देश मे एक देश कानूनी या गैर कानूनी रूप से यहां आकर बसे हुए हैं। उनके लिए यह काम कितना मुश्किल होगा, यह किसी से छिपा नहीं, जब वह यह साबित नहीं कर सकते कि वे भारतीय है तो वह यह कैसे साबित कर सकेंगे कि वे पाकिस्तानी, बांग्लदेशी या अफगनिस्तानी थे। दूसरी बात यह है कि यह कानून देश अखंडता उौर दारिए प्रणाली के लिए भी खतरनाक है, क्योंकि हमारे पडोसी देश पाकिस्तान के लिए बड़ा ही आसान हो जाएगा कि वह अपने किसी भी ट्रेंड जासूस पीडि़त हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जेनी बनाकर हमारे देश में भेज दे और वह यहाँ देश के खिलाफ तोड़फोड़ और जासुसी का काम, जैसे हमारे देश आंतरिक सुरक्षा नष्ट होकर रह जाएगी ।
उन्होने कहा कि तथ्श यह है कि यह सरकार आरएसएस विचारधारा के तहत काम कर रही है और वह चाहती है कि वह इस देश में हमेशा राज करेगाा और उसके लिए आवश्यक है कि मुसलमान सहित दलितों, आदीबासियों और दीगर कमजोर वर्गो के अधिकार छीन कर लिए जाएँ और आरएसएस चाहता है कि इस देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को नष्ट करके मनुस्मृति प्रणाली नाया गया। पत्रकार खुर्शीद अनवर आरिफ ने कहा कि जरूरत इस बात की है कि इस कानून को सभी लोगों को समझाया जाए, क्योंकि बहुत सारे लोग आज भी इस से परिचित रहे है, जगह-व-जगह बैठकें और सभा द्वारा लोगों को और विशेष दलितों को इससे अवगत कराया जाए। इरशाद ने कहा कि इस आंदोलन को सामाजिक मीडिया द्वारा पूरी शिद्दत के साथ चलाया जाए और रिसर्च फाउंडेशन अपना एक सामाजिक मीडिया डैक्स स्थापित करे।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी, चेयरमैन अबुलकलाम रिसर्च फाउंडेशन ने कहा कि 370 हटाया गया। तीन तलाक़ बिल पास हुआ , बाबरी मस्जिद का फैसला आया, लेकिन देश का मुसलमान चुप रहा, लेकिन जब देश के खिलाफ ऐसा कानून लाया गया, जो देश को टुकड़े कर देगा, जिसने भारत की सदियों पुरानी बंधुत्व लोकतंत्र को तारतार कर देगा तो मुसलमान सड़कों पर है, हम अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध की और उन्हें देश से भगाकर दम लिया। इसलिए आज भी काले कानून के खिलाफ जूझ है और जब तक सरकार इस कानून वापस नहीं ले लेती, हम देश के लिए हर वरह की कुर्बानी देने के लिए हर समय तैयार है।
इस बैठक में इबरार अहमद खां, मुहम्मद मुशर्रफ अली, जफर आलम, इबरार अहमद, ताहिर तोबान फ्लोरिडा इंग्लिश अकैडमी, नदीम अहमद, सुरक्षित आलम, मौलाना इफ्तिखार अहमद, अनवर हुसैन कासमी, प्रोफेसर इदरीस, अकील अहमद हाशमी, डॉ. हबीबुर्रहमान, जफर अहमद, सिराज अहमद, मौलाना कोहम्मद नाफि आरिफ कागज़ार महासचित ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, मौलाना महम रज़ा उल्लाह कासमी, डॉ. सुहैल अहमद, इंजीनियर नजीब रहमान, इश्तियाक आलम, आदि शामिल थे।