किशनगंज : बहादुरगंज थानाध्यक्ष ने गरीबों में मिठाई और कंबल बाँट कर मनाया नए साल का जश्न

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शशिकांत झा
वरीय उप संपादक

किशनगंज/बिहार : जिले के बहादुरगंज थानाध्यक्ष सुमन कुमार ने नये वर्ष के पहले दिन दबे कुचले महादलितों को मिठाईयां खिलाकर उनके बीच परिवार के साथ कंबल बांटे । जो बहादुरगंंज के तारीख की नई इबारत बनकर लोगों को गले लगाने का पैगाम दे गयी । मौका था नये साल की आगाज का, जहां खा़की के दबदबे में छुपी ईंसानियत खुलकर समाज के सामने आ गयी ।

यों तो सुमन कुमार सिंह ने मधेपूरा जिले से किशनगंज जिला में आने के बाद अपनी काबिलियत के कई रंग बिखेरे । जहाँ साईबर सेल के इंचार्ज रहकर, जिले के एस पी कुमार आशीष के आदेश पर तत्कालीन थानाध्यक्ष (सदर किशनगंज) आफताव अहमद के नेतृत्व में गंगा पार साहबगंज से एक डकैती कांड के कुख्यात को धर दबोचा । वहीं एस पी किशनगंज के नेतृत्व में नकली शराब बनाने वाली फेक्ट्री को समूल नष्ट करने में किशनगंज पुलिस के साथ बड़ी भूमिका भी निभाई । जिसकी वजह रही कि एस पी कुमार आशीष ने इनके हौसले और बहादुरी को काफी करीब से परख कर 04 दिसंबर 2019 को बहादुरगंज थाने की कमान सौंपी । जहाँ उनके आदेश पर थानाध्यक्ष सुमन ने 05दिसंबर 2019 को बहादुरगंज जैसे बड़े थाने में अपनी हाजरी दर्ज कराई ।

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2009 बैच के एस आई को 18 सर्किल के बड़े थाने की कमान मिलने पर जिले में एक भूचाल सा आ गया । पर एस पी कुमार अह्सिश की दूर दृष्टि और पक्के इरादे की कसौटी पर सुमन सिंह ने खड़े उतरने का भरसक प्रयास किया । जहाँ इन्होने थाना और थानेदार की की परिभाषा हीं बदलकर रख दी । थाना के नाम पर डरने वालों को ये करीब लाकर बैठाने लगे, जहाँ कथित तौर पर पहले से दलाली पेशे से जुड़े तथाकथितों की लगभग छुट्टी हीं हो गई । थाना प्रशासन और विधि व्यवस्था को दुरुस्त करने, अपराध एवं अपराधियों पर कठोर नियंत्रण के लिए इन्होने थाना को 15 सेक्टरों में बांटकर वहां की जिम्मेदारी प्रभारी पुलिस पदाधिकारियों को सौंप दी । जिससे किसी भी आपात और आपदा की स्थिति में पुलिस की मौजूदगी आज मिशाल बनी हुई है ।

ऐसे में नये साल के पहले दिन अपने परिजनों के साथ मिलकर समाज के दबे कुचलों को मिठाईयां खिलाकर कंबल ओढ़ाना, एक नई मिशाल बन कर लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है । ऐसा कहा जाता है कि अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण के साथ थानाध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने लोगों के दिलों को भी नियंत्रित कर लिया है । जिसका परिणाम है कि अब अपराध और अपराधियों पर नकेल डालने के लिए इन्हें भारी जनसहयोग मिल रहा है । जन प्रतिनिधियों की सकारात्मक भूमिका आज पुलिस पब्लिक सहयोग का उदाहरण बनकर सामने आ गया है । वीरानगी के चादर ओढ़े थाना का रंग रुप बदलकर एक सजे पार्क का रुप ले लिया है । जहाँ के झूलते रंगीन पर्दे, लोगों को बैठने के लिए सोफे और सुनने के लिए चौबीस घंटे पुलिस पदाधिकारी की मौजूदगी, सही मायनों में थाना को एक अलग पहचान दे रही है ।


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