मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू में एक वर्ष की सेवा पूरी कर चुके असिस्टेंट प्रोफेसर की सेवा शीघ्र संपुष्ट की जाएगी. इसके लिए प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इस प्रक्रिया को गति देने के उद्देश्य से बुधवार को जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर ने टीपी काॅलेज के पूर्व प्रधानाचार्य सह सिंडीकेट सदस्य डा परमानंद यादव के साथ कुलसचिव डा कपिलदेव प्रसाद और सीसीडीसी डा भावानंद झा से मुलाकात की। डा परमानंद यादव ने दोनों पदाधिकारियों से अनुरोध किया कि नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की सेवा संपुष्टि के कार्य को प्राथमिकता दी जाए।
दो सदस्यीय कमिटी का हुआ गठन : कुलसचिव ने बताया कि सेवा संपुष्टि की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए दो सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया है। इसमें सीसीडीसी डा भावानंद झा एवं महाविद्यालय निरीक्षक डा ललन प्रसाद अद्री के नाम शामिल है। समिति के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस बावत कुलसचिव डा कपिलदेव प्रसाद के हस्ताक्षर से पत्र जारी किया गया है। समिति को अभिषद् की बैठक में पारित प्रस्ताव के आलोक में बिहार लोक सेवा आयोग की अनुशंसा पर स्नातकोत्तर विभाग एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में नियुक्त, पदस्थापित असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की सेवा संपुष्टि के प्रस्ताव की समीक्षा की जिम्मेदारी दी गई है।
मालूम हो कि विश्वविद्यालय ने प्रत्रांक जारी किया था, इसमें सभी प्रधानाचार्यों एवं विभागाध्यक्षों से अनुरोध किया गया था कि 28 जनवरी 2019 तक एक वर्ष पूरा कर चुके नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों का सीसीआर एवं सेवासंपुष्टि प्रस्ताव पंद्रह दिनों के अंदर कुलसचिव कार्यालय में जमा कराएं। तदनुसार विभन्न स्नातकोत्तर विभागों एवं महाविद्यालयों से सीसीआर एवं सेवासंपुष्टि प्रस्ताव प्राप्त हो चुका है।
विश्वविद्यालय अभिषद् की बैठक में भी उठा था मामला : यह भी उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली द्वारा नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों की परीक्षीयमान अवधि एक वर्ष की गई है। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों एवं अन्य अकादमिक स्टाफों की न्यूनतम योग्यता संबंधी यूजीसी नियमावली-2018 की कंडिका 11.1 में इसका स्पष्ट उल्लेख है। इस बावत भारत सरकार का गजट-271, 18 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ है। तदुपरांत बीएन मंडल विश्वविद्यालय में भी नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों ने परीक्षीयमान अवधि एक वर्ष करने के लिए आवेदन दिया था। विश्वविद्यालय अभिषद् की पांच नवंबर 2018 की बैठक में भी यह मामला उठा था। उसमें इस मामले में तथ्यों का संकलन कर समुचित कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया था। पुनः 27 जनवरी 2019 को विश्वविद्यालय द्वारा जारी अनुपालन प्रतिवेदन में कहा गया कि विश्वविद्यालय द्वारा इस मामले में कार्रवाई की जा रही है।
जनसंपर्क पदाधिकारी ने कुलपति को दिया था आवेदन : इस कार्रवाई को गति प्रदान करने के लिए नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर दर्शनशास्त्र सह जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर ने आठ मार्च 2019 को ही बीएनएमयू कुलपति प्रो डा अवध किशोर राय को एक आवेदन दिया था। आवेदन में परीक्षीयमान अवधि एक वर्ष करने का निर्णय लेने के लिए विश्वविद्यालय सिंडीकेट और कुलपति के प्रति आभार व्यक्त किया था। साथ ही पूरी प्रक्रिया को यथाशीघ्र पूरा करने की मांग की थी। जनसंपर्क पदाधिकारी ने बताया कि सेवासंपुष्टि होने से नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों को कई सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी। उन्हें विभिन्न अवकाशों का समुचित लाभ मिल सकेगा। साथ ही वे शोध-निदेशक बनकर चार शोधार्थियों को शोध करा सकेंगे. इससे विश्वविद्यालय में अधिकाधिक विद्यार्थियों को पीएचडी में नामांकन का अवसर मिल पाएगा।