मधेपुरा : विद्यापति के काव्य में दर्शन किया जा सकता है मध्यकालीन मैथिली भाषा का स्वरूप

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : कौशिकी क्षेत्र हिंदी साहित्य मिलन संस्थान के अंबिका सभागार में रविवार को वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ की अध्यक्षता में महाकवि विद्यापति के काव्य में लोक भाषा के महत्व पर विस्तृत चर्चा की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ ने कहा कि विद्यापति भारतीय साहित्य की श्रृंगार परंपरा के साथ-साथ भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों में से एक एवं मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। विद्यापति के काव्य में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है। इन्हें वैष्णव, शैव एवं शाक्त भक्ति के सेतु के रूप में स्वीकार किया गया है।  मुख्य वक्ता के रूप में बीएनएमयू के पूर्व स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा ललितेश मिश्र ने कहा कि मिथिला के लोगों को “देसिल बयना सब जन मिट्ठा” का सूत्र देकर विद्यापति ने उत्तरी बिहार में लोकभाषा की जन चेतना को जीवित करने का महान प्रयास किया है।

 डा ललितेश मिश्र ने कहा कि मिथिलांचल के लोक व्यवहार में प्रयोग किए जाने वाले गीतों में आज भी विद्यापति के श्रृंगार और भक्ति रस से ओतप्रोत रचनाएं जीवित हैं। इस महाकवि ने ओइनवार राजवंश के अनेकों राजाओं के शासनकाल में विराजमान रहकर अपनी विद्वता एवं दूरदर्शिता से उनका मार्गदर्शन करते रहते थे। सम्मेलन के सचिव डा भूपेंद्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि मैथिली भाषा में पदावली तथा अवहट्ट भाषा में कीर्तिलता एवं कीर्तिपताका महाकवि विद्यापति की अमर रचनाएं हैं। विद्यापति के पदों में मधुरता का अद्भुत एवं अद्वितीय गुण है। सम्मेलन के संरक्षक सह पूर्व सांसद डा आरके यादव रवि ने कहां की महाकवि विद्यापति ने अपनी अमर कीर्ति पदावली में कृष्णा राधा विषयक श्रृंगारीक काव्य के जन्मदाता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की है। साथ ही कृष्णा जिस रूप में विद्यापति द्वारा चरित्र किए गए हैं, वैसा चित्रण किसी पूर्ववर्ती अथवा परवर्ती श्रृंगारीक कवियों ने करने का साहस नहीं किया है।

 अन्य वक्ताओं में पूर्व प्रति कुलपति डा केके मंडल, डा सिद्धेश्वर कश्यप, डा विनय कुमार चौधरी, मो मुख्तार सहित अन्य लोगों ने कहा कि महाकवि विद्यापति अपनी कालजयी देसिल बयना की बदौलत भारतीय साहित्य में जीवित रहेंगे. मौके पर दशरथ प्रसाद सिंह, डा आलोक कुमार, डा अर्जुन कुमार, बलभद्र यादव, उल्लास मुखर्जी, द्विजराज, संतोष सिन्हा, डा एनके निराला, टीपीएस के निदेशक श्यामल कुमार सुमित्र, डा अरविंद श्रीवास्तव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।


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