मधेपुरा/बिहार : राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव में स्थानीय कलाकार भी ने भी कार्यक्रम को यादागार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कार्यक्रम की शुरुआत गायिका शिवाली ने दमा दम मस्त कलंदर… के साथ की. शिवाली के गायन का महोत्सव में मौजूद लोगों ने खुद लुफ्त उठाया। जिसके बाद उन्होंने शहर में तुम जैसा दीवाने हजारों हैं… की प्रस्तुति कर माहौल को खुशनुमा बना दिया।
वही गायिका कृति सिंह ने श्री कृष्ण भजन और छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिला के… की प्रस्तुति दी। महोत्सव के आखिरी दिन स्थानीय कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर लोगों को आकर्षित किया।
कार्यक्रम में तबला वादक ओमानंद ने स्वतंत्र तबला वादन की प्रस्तुति दी। इस दौरान इन कलाकारों का साथ नाल पर रोहित झा, पैड पर गुलशन गुरुदेव, ऑर्गन पर बिजेंद्र प्रसाद यादव, हारमोनियम पर मधुसूदन यादव, तबला पर अजय कुमार पोद्दार ने दिया।
कलाकारों की बेहतर प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम के दौरान कायक आलोक कुमार ने लज्जते गम बढ़ा दीजिए…, ऐ मेरी सोहरा जमीं…, देर ना हो जाए… की प्रस्तुति दी तो दर्शक भी झूमने लगे. गायक उमेश राम ने अपनी गजल शहर दर शहर फिरता हूं तन्हाई को… अपनी मस्त आवाज में पिरोया। गायक रोशन कुमार द्वारा गाए गजल किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है… की प्रस्तुति दी तो महोत्सव में मौजूद दर्शक अपनी तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। गायक संतोष कुमार ने गजल चिट्ठी आई है की प्रस्तुति दी।
मिथिलांचल की संस्कृति झिझिया नृत्य की हुई प्रस्तुति : महोत्सव के आखिरी दिन स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति देकर महोत्सव को यादगार बना दिया। कलाकार संतोष कुमार एवं साथी द्वारा लोक कथा की प्रस्तुति हुई। जिसमें कोसी क्षेत्र में मशहूर लोक गाथा भगैत की प्रस्तुति की गई। कलाकारों ने मां गहिल, बाबा धर्मराज, संत बाबा कारू ख़िरहरी के दैव्य गुणों और उनके शौर्य का बखान किया। कलाकारों ने महापुरुषों की जीवन शैली सहित उनसे जुड़ी मान्यताओं को गीत के माध्यम से दर्शकों के बीच रखा। इस टीम में मुख्य रूप से संतोष कुमार, बालकृष्ण कुमार, लालू कुमार, मुकेश कुमार, अभिषेक कुमार, रितेश कुमार, नरेश कुमार, नीतीश कुमार, मनीष कुमार सहित अन्य कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। गायिका शशि प्रभा जायसवाल ने जय कारा के साथ महादेव तेरा डमरू डम डम बजता जाए… भक्ति गीत की प्रस्तुति दी. उसके बाद इप्टा के कलाकारों ने झिझिया नृत्य की प्रस्तुति दी। मिथिलांचल की संस्कृति झिझिया नृत्य दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए की जाती है। इस नृत्य में महिलाएं अपने सर पर घरा में दीपक जलाकर नृत्य करती है। झिझिया नृत्य के बाद वकील वाका एवं साथी द्वारा बाल शोषण एवं वृक्ष बचाओ मुद्दे पर कलाकारों ने चोट किया। अपनी बेहतरीन नृत्य के जरिए कलाकारों ने इन मुद्दों को दर्शकों के सामने रखा।
जिसके बाद जिला परिवहन विभाग द्वारा यमराज नामक नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की गई। जिसमें मुख्य रूप से सड़क सुरक्षा से संबंधित जानकारी लोगों के बीच दी गई। उसके बाद स्थानीय कलाकारों की अंतिम प्रस्तुति कुमारी पूजा द्वारा हिप हॉप सहित अन्य कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से महोत्सव में चार चांद लगा दिया।