मधेपुरा/बिहार : मनोविज्ञान विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जो मानव की प्रकृति, उसकी प्रवृति, उसके विचार एवं उसके व्यवहार पर गहरी नजर रखता है। मानव के व्यक्तित्व पर इन चीजों का गहरा प्रभाव पड़ता है। मानव को जैसा परिवेश एवं वातावरण उपलब्ध होता है, उसका व्यक्तित्व वैसा ही हो पाता है। यह बात विभिन्न वक्ताओं ने शनिवार को स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में आयोजित सेमिनार में कही।
यह सेमिनार एक नई परंपरा की शुरुआत करते हुए प्रायोगिक परीक्षा के पूर्व आयोजित की गई। इसका शीर्षक ‘व्यक्तित्व विकास में मनोविज्ञान की भूमिका’ था। इस अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के प्रो डा अनीस अहमद, तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के डा निरंजन प्रसाद यादव ने कहा कि व्यक्तित्व एक जटिल प्रक्रिया है। इसे शिक्षक प्रशिक्षण से सामान्य बनाया जा सकता है। साथ ही साथ विशेषज्ञों ने विभिन्न प्रकार के मनोविकारों की चर्चा की और कहा कि मनोविज्ञान के द्वारा देश उपयोगी, समाज उपयोगी व्यक्ति का निर्माण कर सकते हैं।
विभागाध्यक्ष डा कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि आगे भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। वरिष्ठ शिक्षक डा एमआई रहमान ने छात्र-छात्राओं के बीच व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। विभाग के शिक्षक डा आनंद कुमार सिंह ने भी विषय पर अपनी बातें रखीं।
संचालन डा शंकर कुमार मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन डा अनंत कुमार ने किया। इस सेमिनार से छात्र-छात्राओं के ज्ञान में बढ़ोतरी हुई. एक घंटे चले इस सेमिनार में लगभग 60 छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डा एमआई रहमान ने बताया कि 20 अक्तूबर को भी अन्य विषय शिक्षक पर एक सेमिनार का आयोजन कराया जाएगा। राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों से आए हुए शिक्षकों द्वारा छात्र छात्राओं को मनोविज्ञान के संबंध में विशेष जानकारी दी जा सके। कार्यक्रम के अंत में विभाग द्वारा अतिथियों को शॉल एवंं बुके देकर सम्मानित किया गया।