मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू में पीजी फर्स्ट सेमेस्टर सत्र 2018-20 में नामांकन के लिए जारी पहली मेधा सूची में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है।
कॉमर्स विषय के बीसी कैटेगरी में 76 प्रतिशत अंक वाले छात्र का नाम मेरिट लिस्ट में नहीं है। जबकि बीसी कैटेगरी में ही 64 प्रतिशत अंक वाले छात्र का नाम मेरिट लिस्ट में आ गया है। कॉमर्स संकाय के बीसी कैटेगरी के छात्र धीरज कुमार को ऑनर्स में 76.13 प्रतिशत, जयंत कुमार को 70.62 प्रतिशत व केशव आनंद को 69.62 प्रतिशत अंक है। इसके बावजूद इन तीनों का सेलेक्शन विवि द्वारा जारी पहली सूची में नहीं हुआ है। वहीं राजनीति विज्ञान विषय के बीसी कैटेगरी में 52 प्रतिशत अंक वाले छात्र का चयन हो गया है। जबकि बीसी कैटेगरी के ही छात्र मनीष कुमार को ऑनर्स में 55.5 प्रतिशत अंक रहने के बावजूद चयन नहीं हुआ है। ऐसे मामले सामने आने पर छात्र नेताओं ने मेरिट लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात कही है।
इस बाबत विवि नोडल पदाधिकारी डा अशोक कुमार द्वारा सभी छात्रों को उनकी समस्याओं से अवगत कराया जा रहा है। नोडल पदाधिकारी डा अशोक कुमार लगातार छात्रों से कह रहे हैं कि जिन छात्रों को लगता है कि उनको अधिक अंक रहने के बावजूद नामांकन लिस्ट में नाम नहीं आया है तो सारे कागजात के साथ विवि में संपर्क करें। छात्र विवि पहुंच कर अधिकारियों से संपर्क कर भी रहे हैं। उनके समस्याओं का समाधान किया भी जा रहा है। ऑन स्पोर्ट छात्रों की समस्याओं को सुनकर उनको समझाया जा रहा है।
विवि प्रशाषन की मंशा छात्रहित में नहीं : एनएसयूआई जिलाध्यक्ष निशांत यादव ने कहा कि बीएनएमयू में स्नातकोत्तर नामांकण के लिये जारी मैरिट लिस्ट में भारी गड़बड़ी और अनियमितता सामने आई है। विवि की कार्यप्रणाली हमेशा संदेहास्पद रहा है। यहां पारदर्शिता नाम की कोई चीज नहीं है। पिछले दिनों ही स्नातक प्रथम खंड के नामांकण के लिये जारी मैरिट लिस्ट में भी भाड़ी गड़बड़ी सामने आई थी। जिसपर विभिन्न छात्र संगठनों ने विवि प्रशाषन से सवाल और विरोध भी किया था, फिर भी विवि प्रशाषन अपनी गलतियों से सिख नही ले रहा है। क्योंकि विवि प्रशाषन की मंशा ही छात्रहित में नहीं है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और शोषण को अपना कर्तव्य बना लिया है। ऑनलाइन आवेदन और नामांकन के नाम पर विवि प्रशाषन छात्रों का शोषण कर रहा है। बीएनएमयू कुलपति एवं विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की समस्याओं को दूर करने के लिये पहल करें। स्नातकोत्तर नामांकन के मैरिट लिस्ट की गड़बड़ी को सुधार करें और पैट के अभ्यर्थियों द्वारा लिया गया एक हजार रुपया के अतिरिक्त राशि को छात्रों को वापस करें अन्यथा एनएसयूआई उग्र आंदोलन को बाध्य होगा, जिसकी जिम्मेवारी विवि प्रशाषन की होगी।
निशांत यादव ने कहा कि बीएनएमयू के छात्र विवि के षड्यंत्र और शोषण को समझ लिया है, अब आंदोलन निर्णायक होगा।
स्नातकोत्तर के लिए मेरिट लिस्ट में भारी गड़बड़ी : वहीं विश्वविद्यालय छात्रसंघ काउंसिल मेंबर सह छात्र राजद नेता ऋषिकेश विवेक ने कहा कि बीएनएमयू में स्नातकोत्तर के लिए मेरिट लिस्ट में भारी गड़बड़ी देखने को मिल रहा है और कॉउंसलिंग के लिए छात्र-छात्राओं को बुलाया गया। जिसमें अधिकतर छात्र नहीं आ पाए। कुछ छात्र जिसका दिनांक मंगलवार को बीपीएससी का परीक्षा था, वो नहीं आ पाए. लेकिन बीएनएमयू प्रशासन को कोई लेना देना नहीं है। विश्वविद्यालय द्वारा मात्र तीन दिन का समय दिया गया है। जिससे छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पर रहा है। उन्होंने कहा कि आखिर क्यों बीएनएमयू के छात्र-छात्राओं के साथ हमेशा सभी काम में परेशानी में डालने का काम करते हैं। उन्होंने कुलपति से आग्रह किया कि छात्र हित में कॉउंसलिंग का समय बढ़ाना चाहिए।
अभाविप ने भी मेरिट लिस्ट पर उठाया सवाल : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नगर मंत्री अमोद आनंद ने कहा कि बीएन मंडल विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर सत्र 2018-20 के सेलेक्शन लिस्ट में बहुत बड़ी अनियमितता सामने आई है। सेलेक्शन लिस्ट के जीव विज्ञान विषय में 69.63 प्रतिशत वाले छात्रों का नाम आया, लेकिन 71.88 प्रतिशत अंक वाले छात्रों का नाम नही आया है। वही राजनीति विज्ञान विषय में 49.88 प्रतिशत वाले छात्रों का नाम मेरिट लिस्ट में है लेकिन 60 प्रतिशत वाले छात्रों का नाम नही आया है। विश्वविद्यालय में आये दिन सिर्फ और सिर्फ विश्वविद्यालय पदाधिकारियों के बच्चें एवं उनके संबंधियों का बोल-बाला है। विश्वविधालय प्रशासन जल्द से जल्द स्नातकोत्तर सेलेक्शन लिस्ट को सुधार करे तथा तत्काल प्रभाव से संबंधित अधिकारियों को हटाया जाए और पांच दिन के अंदर स्नातक प्रथम खंड एवं द्वितीय खंड का परिणाम प्रकाशित करें। नही तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
विवि प्रशासन मासूम छात्रों को परेशान ना करें : छात्र राजद जिलाध्यक्ष सोनू यादव ने कहा कि स्नातकोत्तर के मेघा सूची में भारी गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है। जहां कॉमर्स के चार, राजनीति विज्ञान के एक और अन्य विषय में बहुतों छात्र को अधिक अंक रहने पर भी पहली सूची में स्थान नहीं मिला। कुछ छात्र जैसे धीरज कुमार एवं असद कासमी के साथ अन्य छात्रों ने मामलों को उठाया। जिसे छात्र राजद ने गंभीरता से लेते हुए उचित कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया। छात्र राजद जिलाध्यक्ष सोनू यादव ने कहा विश्वविद्यालय प्रशासन निर्दोष और मासूम छात्रों को परेशान करने का हर हथकंडा अपना रही है। जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन बंद करे। मेधावी छात्रों को बाहर कर कम अंक पाने वाले छात्रों का नाम लिस्ट में जारी कर रही है। इससे या दिखता है कि बीएन मंडल विश्वविद्यालय में हर काम शिक्षा माफिया के द्वारा या प्रभाव में आकर कराया जा रहा है।