महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ सौतेला व्यवहार, बिहार के अभिमान का अपमान

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

पटना/बिहार : देश ही नहीं विदेशों तक में चर्चित रहे बिहारी माटी की शान महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ बिहार सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है।

 यह वही वशिष्ट बाबु है जिन्होंने आइंस्टाइन के सिद्धांत को चुनौती दी, जिन्होंने नासा को आज से 50 साल पहले ज्ञान से चौंका दिया था।  वही वशिष्ठ बाबू गंभीर रूप से बीमार होने के बाद विगत 3 दिनों से पीएमसीएच में इलाजरत है। डॉ गणेश प्रसाद और उनकी टीम के द्वारा उनके स्वास्थ्य पर पल-पल नजर रखी जा रही है।

 शनिवार की सुबह उनके रक्त नमूनों की जांच की गई वह अन्य चिकित्सीय जांच की गई। विगत 40 वर्षों से अपना मानसिक संतुलन खो देने के बाद भी जिंदा लाश की तरह है। हालांकि विगत 5 वर्षों से उनके हालात में काफी सुधार हुआ है। अपने परिजनों को पहचानते हैं, लिखना पढ़ना आज भी चालू रहता है, हरदम के हाथ में पेंसिल लिखने की डायरी रहती है। परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य है, फिर भी उनकी भाई अयोध्या सिंह और भतीजे मुकेश कुमार सिंह दिन रात उनकी सेवा में लगे रहते हैं। बीमार होने के बाद उन्हें पीएमसीएच में एडमिट कराया गया है। शुक्रवार की देर रात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें देखने आने वाले थे, अंतिम समय में उनका कार्यक्रम स्थगित हो गया।

रविवार की देर शाम मुख्यमंत्री के चार प्रतिनिधि वशिष्ट बाबू को देखने पीएमसीएच आए थे। उनके जाते ही पीएमसीएच प्रशासन ने वशिष्ट बाबु के परिजनों को अल्टीमेटम जारी कर दिया है कि किसी भी परिस्थिति में इन्हें पीएमसीएच में नहीं रखा जा सकता है। अब वे ठीक हो चुके हैं जबकि स्थिति यह है कि इतने कमजोर हैं कि खुद से उठ बैठ नहीं पा रहे हैं। परिजन डरे हुए हैं कि कोई अनहोनी ना हो जाए। यह बार-बार चिकित्सकों से शासन प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं एक-दो दिन और उन्हें हॉस्पिटल में ही रहने दिया जाए। वशिष्ट बाबु किसी जाति के किसी धर्म के किसी प्रदेश के विरासत भर नही उन पर पूरा देश गर्व करता है।

 आज मन व्यवस्था से काफी खिन्न है। खासकर बिहार के जनप्रिय लोकप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से। तमाम आलोचनाओं के बावजूद हम सभी आपको एक गंभीर शासक समझते हैं। इस विकट परिस्थिति में आप से ही आस है। बिहार के इस बुझते दीपक को बचा लीजिए, आप राजा हैं हम प्रजा हमारी आप से गुहार है। वशिष्ट बाबु वोट बैंक नहीं है पर हमारी बिहारी प्रतिभा के प्रखर स्वर है। बिहार की माटी  सदियों तक इस सपूत को जन्म देने के कारण खुद को गौरवान्वित महसूस करती रहेगी ऐसे सपूत का अपमान बिहार के प्रतिभा का अपमान है, बिहार की कोख का अपमान है, बिहार के उस विरासत का अपमान है, जिसने ऐसे सपूतों को अपने कण कण से अवतरित किया है।

लाचार बीमार वशिष्ट बाबु के पीएमसीएच में रहने से ना पीएमसीएच के मान सम्मान पर कोई आच आएगा न शासन प्रशासन को कोई अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ेगा। हम सभी अपने खून के कतरे कतरे से आपके इस कर्ज को उतारेंगे  बचा लीजिए बिहार के मान सम्मान और अभिमान को।


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