मधेपुरा वासियों ने मिलकर मनाया पर्व, दिया आपसी भाईचारे का संदेश, सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : इस्लाम में एक साल में दो ईद तरह की मनाई जाती है। एक ईद (ईद-उल-फितर) जिसे मीठी ईद कहा जाता है और दूसरी बकरीद (ईद-उल-अजहा)। एक ईद समाज में प्रेम की मिठास घोलने का संदेश देती है, तो वहीं दूसरी ईद अपने कर्तव्य के लिए जागरूक रहने और कुर्बानी देने का सबक सिखाती है।

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बकरीद का दिन फर्ज़-ए-कुर्बान का दिन होता हैं। आमतौर पर मुस्लिम समाज में बकरे को पाला जाता है और अपनी हैसियत के अनुसार उसकी देख रेख की जाती हैं और जब वह बड़ा हो जाता हैं उसे बकरीद के दिन अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं, जिसे फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता हैं। जिले में सोमवार को कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा अजीज चीजों को न्योछावर करने की सीख दे गया। चारों ओर हर्ष और उल्लास का वातावरण रहता है, कुर्बानी की इजाजत आर्थिक रूप से मजबूत मुसलमानों के लिए है।

अल्लाह के आगे हर अजीज चीज न्योछावर : कुर्बानी की परंपरा प्रतीक है कि अल्लाह के आगे हर अजीज चीज न्योछावर है। त्याग और बलिदान के इस पर्व पर लोगों ने एक-दूसरे से मिल कर मुबारकबाद दी। मधेपुरा के ईदगाह में नमाज अदा करने के बाद लोगों ने गले लग कर एक दूसरे को बधाइयां दी। इस मौके पर अधिकारियों ने कहा कि हर पर्व कुछ न कुछ सिखलाता है।बकरीद बताता है कि अल्लाह से बढकर कुछ भी नहीं है। उसके राह में हरचीज कुर्बान कर देना है। लोगों का कहना है कि इस्लामी नुकते से ईद – उल – अजहा एक अजीमोशान तकरीब है। जात-पात से उपर उठ कर भाईचारा और मुहब्बत का पैगाम देकर राष्ट्रीय एकता का संदेश पेश कर इस पर्व को मनाए ताकि दुनियां हमारी एकता के सामने नतमस्तक बना रहे।

अल्लाह कर लेते है लोगों की मुराद कबूल : अल्लाह ताला के नजदीक कुरबानी के दिनों में सब से महबूब अमल कुर्बानी करना है। कुरबानी का खून जमीन पर गिरने से पहले अल्लाह लोगों की मुराद कबूल कर लेते है। इसके पहले कतरा पर पिछले तमाम गुनाह माफ हो जाते है। पैगंबर मोहम्मद साहब का इरसाद है की जो दौलत रख कर कुरबानी न करें तो वह आदमी हमारी ईदगाह न जाय। जिस आदमी के पास साढ़े बावन तौला से अधिक संपति है उस व्यक्ति को कुर्बानी देना है। कुर्बानी की संपति पाक साफ और मेहनत और ईमानदारी का होना लाजमी है, बेईमानी से कमाया गया धन का उपयोग कुर्बानी में नहीं होना चाहिए।

मधेपुरा वासियों ने मिलकर मनाया पर्व, दिया आपसी भाईचारे का संदेश : जिला मुख्यालय में बकरीद ईद एवं अंतिम सोमवारी का बेहद दुर्लभ तस्वीर देखने को मिली। जिसमें मुख्यालय के प्रखंड कार्यालय के समीप ईदगाह स्थल पर जहां सड़क के एक तरफ सफेद पोशाक में मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने पहुंचे, तो वहीं सड़क के दूसरी ओर भगवा रंग में रंगे कोसों दूर से आए कांवरियों का जत्था जो मधेपुरा से सिंहेश्वर की ओर जा रही थी। त्योहारों के नाम पर भाईचारे के चादर में लिपटी यह तस्वीर वाक्ये मनमोहक थी। जहां एक तरफ दोनों समुदाय के लोग अपने धार्मिक गतिविधियों में मशगूल थे, वहीं ड्यूटी पर मुस्तैद पुलिसकर्मियों एवं अधिकारियों ने दोनों पक्ष की भावनाओं का कद्र करते हुए दोनों पक्षों को सड़क के दोनों किनारे आने जाने का रास्ता दिया, साथ ही बीच में सड़क वाहनों की आवाजाही के लिए छोड़ दिया गया, ताकि वाहनों के परिचालन चालू रहे और जाम की कोई समस्या उत्पन्न ना हो, इसका भी पुलिस प्रशासन ने पूरी तरह से ख्याल रखा। प्रशासन की सूझबूझ एवं कड़ी निगरानी के कारण जहां एक तरफ दोनों पक्षों ने अपने अपने पर्वों को कुशलता पूर्वक मनाया, वहीं दूसरी ओर भारी भीड़ होने के बावजूद कहीं जाम की समस्या देखने को नहीं मिली।

शहर के वरीय अधिकारी लगातार करते रहे निरीक्षण : श्रद्धालुओं एवं आम लोगों को किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न ना हो इसको लेकर शहर के डीएम नवदीप शुक्ला, एसपी संजय कुमार लगातार अपनी गाड़ी से शहर के धार्मिक स्थल व हर ईदगाह स्थल के आसपास निरीक्षण करते रहें। वहीं एडीएम उपेंद्र कुमार, एसडीएम वृंदा लाल, एसडीपीओ वसी अहमद, प्रखंड विकास पदाधिकारी आर्य गौतम, सीओ वीरेंद्र कुमार झा, सदर थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार शहर के पुलिस अधिकारियों एवं अन्य सुरक्षाबलों के साथ लगातार सड़कों पर उतरकर दिशा निर्देशित करते रहें, ताकि आम लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो तथा किसी भी पक्ष के भावना की भावना आहत ना हो।

अधिकारियों ने कहा : एडीएम उपेंद्र कुमार ने कहा कि आज का दिन अनूठा रहा। एक तरफ हिंदू पर्व की सोमवारी के कारण भोलेनाथ के दर्शन के लिए कांवरियों की भीड, वहीं बकरी ईद को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों का नवाज पढ़ने के लिए ईदगाह पर इकट्ठा होना। दोनों समुदाय के लोगों ने पूरे सौहार्द के साथ पर्व को मना कर भाईचारे का संदेश दिया है। एसडीएम वृंदा लाल ने कहा कि पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद थी। शहर के हर कोने, हर चौक पर उपद्रवियों, असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए हमारी पूरी तैयारी थी। लेकिन ऐसी कोई घटना नहीं घटी, इसके लिए दोनों समुदाय के लोगों ने हमारा भरपूर सहयोग किया। एसडीपीओ मधेपुरा वसी अहमद ने कहा कि मधेपुरा हमेशा से हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतिक रहा है, यह के आम अवाम हमेशा एक दूसरे के धर्म का सम्मान कर एक साथ त्यौहार मनाते आ रहे हैं जिसका एक अद्भुत नजारा आज भी देखने को मिला। उन्होंने कहा कि आज एक तरफ मुस्लिम समुदाय का पर्व था तो दूसरी तरफ हिन्दू समुदाय का आखरी सोमवारी पूजा भी, लेकिन दोनों समुदाय के लोगों ने जिस तरह एक दूसरे का सम्मान कर आपसी भाईचारा का मिसाल पेश किया वह काबिले तारीफ़ है।  

 नमाज के बाद एक दूसरे से मिलकर बधाई देने वालों में सदर एसडीएम वृंदालाल, एसडीपीओ वसी अहमद, उप मुख्य पार्षद अशोक यदुवंशी, वार्ड पार्षद मो इसरार, पूर्व पार्षद सह सामाजिक कार्यकर्ता ध्यानी यादव, मो शौकत अली आदि शामिल रहे।

समाचार सहयोगी -अमन कुमार 


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