बिहार : प्राकृतिक आपदा नेता व पदाधिकारियों के लिए है उत्‍सव-पप्‍पू यादव

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बांध निर्माण और मरम्‍मत में लाखों रूपए बर्बाद होने के बाद भी हर साल क्‍यों आता है बाढ़

मदद लेकर सहरसा के नवहट्टा प्रखंड पहुंचे पूर्व सांसद पप्‍पू यादव

कौनैन बशीर
वरीय उप संपादक

सहरसा/बिहार : जन अधिकार पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष सह पूर्व सांसद पप्‍पू यादव एक बार फिर से मदद लेकर सहरसा के नवहट्टा प्रखंड स्थित बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे। यहां उन्‍होंने लाइफ जैकट के साथ नाव के जरिये प्रखंड के जलमग्‍न इलकों का निरीक्षण किया। इसी क्रम में उन्‍होंने कई जगहों पर राहत व बचाव के लिए आर्थिक मदद भी की और अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं को बाढ़ पीडितों की सेवा का निर्देश दिया। बाद में उन्‍होंने पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश की सरकार और विपक्ष पर जमकर बरसे।

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उन्‍होंने कहा कि बाढ़ जैसे प्राकृतिक नेताओं, पदाधिकारियों और ठेकेदारों के लिए किसी उत्‍सव से कम नहीं है। ये चाहते हैं कि बाढ़ आये, ताकि ये राहत, बचाव और पुनर्वास के नाम पर करोड़ों रूपये का बंदर बांट कर सकें। आखिर क्‍या वजह है कि कोसी इलाके में बाढ़ से बचाव के लिए बांध पर दो लाख करोड़ से ज्‍यादा रूपए खर्च हो चुके हैं, फिर भी बाढ़ हर साल आती है। बांध हर साल टूटते हैं। ऐसे में इसकी जिम्‍मेवारी तय क्‍यों नहीं होती है। इसलिए हम मांग करते हैं कि इस मामले में जिम्‍मेवारी तय हो और दोषियों पर कार्रवाई है। इसके लिए हम 18 जुलाई को हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर करने वाले हैं।

पप्‍पू यादव ने नेताओं और पदाधिकारियों को अपने पूरे परिवार के साथ बाढ़ प्रभावित इलाकों को कुछ दिन गुजारने की सलाह दी। उन्‍होंने कहा कि ये लोग आम लोगों के दर्द को तभी समझ सकेंगे, जब इनको इनके परिवार के साथ कोसी, सीमांचल और मिथिलांच की नदियों के बीच दिन गुजारने का मौका मिलेगा। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के हवाई सर्वेक्षण पर भी सवाल खड़े किये और कहा कि हवाई सर्वेक्षण वाला दिखावा बंद होना चाहिए। हर साल वे ऐसा करते हैं, मगर नतीजा सिफर है। जिस तरह चुनाव के समय वे कोसी में जाकर कैंप करते हैं, उसी तरह इस विपदा की स्थ्‍िाति में भी उन्‍हें बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों के साथ रहना चाहिए।

पूर्व सांसद ने कहा कि विपक्ष बिहार में निष्क्रिय है, जिस वजह से विधान सभा में मनोरंजन का दौर चलता है। उन्‍हें जनता से कोई मतलब है नहीं। राघोपुर, वैशाली का इलाका जलमग्‍न हो गया है, लेकिन क्‍या वहां के जनप्रतिनिधि को इसकी कोई खबर है। क्‍या उनको वहां नहीं जाना चाहिए। मेरा मानना है कि 70 सालों में देश के नेताओं ने मानवजनित आपदाओं के नाम पर सिर्फ जनता को लूटने का काम किया और जनता को ये बताया कि आपदाओं को झेलना उनकी नियती है। लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे। अब समय आ गया कि बिहार को इन नेताओं से आजादी के लिए जनता को आगे आना होगा।     


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