छातापुर/सुपौल/बिहार : बीते मंगलवार को सदर थाना के बैरो पंचायत के इटहरी गांव निवासी मो शरीफ आलम की निर्मम हत्या कर देने वाली घटना इतनी दर्दनाक है कि पिछले तमाम मॉब लिंचिंग का मामला फीका पर गया है। नीतीश सरकार में सांम्प्रदायिक शक्तियों, दंगाईयों ने क्रुरता की सभी सीमायें तोड़ दी है । यह घटना बिहार नहीं पुरे देश के लिए निंदनीय है । बिहार सरकार दोषियों पर कार्यवाई करने के मामले में बिलकुल चुप्पी साध हुए है।
उक्त बातें छातापुर में खादिम-ए-मजलिस खलीकुल्लाह अंसारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा । उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपनी घटती लोकप्रियता को बचाने के लिए महागठबंधन में शामिल होकर धोके से अल्पसंख्यकों का वोट लेकर अब पाला बदल कर पुरी तरह आरएसएस के एजेंडों को लागू कर रहे हैं । यदी नीतीश कुमार में जरा भी नैतिकता बाकी है तो वो कम से कम सुपौल के सदर थाना अध्यक्ष को अविलंब निलम्बित कर पूरी घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने की घोषना करें ।
श्री अंसारी ने विषेश तौर पर नवादा, सीवान, बेतिया, गया, छपरा,भागलपुर, सितामढ़ी, आदि जगहों की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा की यह सभी दंगे नीतीश सरकार की विफलता व अल्पसंख्यक विरोधी चरित्र को उजागर करता है । यदि घटना में संलिप्त दोषियों पर शासन और प्रशासन समय पर उचित कार्यवाई करे तो फिर दंगाईयों के मनोबल नहीं बढ़ेगी । उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम पार्टी इस घटना की कड़ी निंदा करती है । साथ ही नकली सेक्यूलरिज्म का चोला पहन कर सियासत करने वाली पार्टीयों की चुप्पी पर भी अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इन पार्टीयों को केवल अल्पसंख्यक वोट चाहिये, इन की पीड़ा और समस्या से उन्हें कोई सरोकार नही है ।