सहरसा : ईसा फाउंडेशन द्वारा आयोजित सामूहिक शादी समारोह में 60 जोड़ों की हुई शादी

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सहरसा से वजीह अहमद तसौवुर  ✍️

सहरसा/बिहार :  सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर के इतिहास में 18 मार्च को सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा क्योंकि यहां पहली बार सामूहिक शादी समारोह का आयोजन किया गया । 

ईसा फाउंडेशन जामिया फैजानुल कुरान, अहमदाबाद गुजरात द्वारा फिदाये मिल्लत फाउंडेशन मोबारकपुर व आईम्मा ए मसाजिद सिमरी बख्तियार पुर के तत्वावधान में  सिमरी बख्तियार पुर के रानीबाग (बटौवा) स्थित कोहेनूर स्कूल के प्रांगण में आयोजित होने वाले इस समारोह में 60 जोड़े का निकाह किया गया । गरीब लाचार मां बाप के लिए लडकियां बोझ नहीं है इसका नजारा  देखने को मिला जब निकाह के बाद दुल्हनों को विदा करते समय उनके जरुरत के सामान भी उनके सुपुर्द किया गया ।

इस अवसर पर अपने संबोधन में ईसा फाउंडेशन के चैयरमैन मौलाना हबीब अहमद ने कहा कि इस प्रकार गरीब बच्चियों की शादी करा कर काफी खुशी हो रही है और आज तो 60 जोड़े का शादी हो रहा है मगर आप लोग सहयोग कीजिए तो एक साथ 600 जोड़े की शादी कराने को भी मैं तैयार हूं। उन्होने बिहार के सभी जिलों में इस आयोजन का आश्वासन देते हुए कहा कि आप लोग सहयोग दीजिएगा तो हर जिला में इसका आयोजन होगा।

इस आयोजन के मुख्यकर्ता मौलाना महबूब उर रहमान ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से न केवल गरीब बच्चियों की आसानी से शादी होगी, शादी के नाम पर फैली बुराइयों का खात्मा होगा बल्कि दहेज को भी आहिस्ता आहिस्ता खत्म किया जा सकेगा। सैफुर रहमान नदवी ने कहा कि इसलाम एक विश्व स्तरीय मजहब है इसलिए मुसलमानों को भी उसी प्रकार का व्यवहार करना होगा। अपनी सोच और समझ को इस्लामी सोच के हिसाब से ढालना होगा। हम अपने किसी भी अमल से लोगों का नुकसान नहीं पहुंचायें और समाज में एक मिसाली जिंदगी जियें ताकि दूसरों पर इसका असर हो। 

  इस आयोजन के अवसर पर कोहेनूर विधालय का लम्बा चौड़ा परिसर खचाखच भरा हुआ था एक तरफ नव जोड़ों के परिवार थे तो दूसरी तरफ पहली बार इस प्रकार के आयोजन पर कोतूहलवश लोगों का पुरा मेला जिस कारण विधालय परिसर में तिल रखने की भी जगह नहीं थी । मौलाना आरिफ पटेल ने बताया कि कुरान पाक, जाये नमाज, गोदरेज अलमीरा, पलंग, सिलाई मशीन, कुर्सी, ट्रंक, हैंगर, ट्राली, दुल्हा दुल्हन का कपड़ा समेत लगभग 22 प्रकार के सामान दिये जा रहे हैं ताकि सुसराल में दैनिक उपयोग के सामान के लिये परेशानी न हो।

  समाज के सम्मानित लोगों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर इस पुण्य कार्य के गवाह बने जिनमें सैयद कसीम अशरफ साहब, मौलाना मोजाहिर कासमी साहब, मौलाना अब्दुल अहद कासमी साहब, हाफिज मुमताज रहमानी साहब, मौलाना अंजर आलम मिफ्ताही साहब, मौलाना मोजाहिर आलम मजहरी साहब, हाफिज शकील अहमद साहब, हाफिज फिरोज साहब, कारी नैयर साहब समेत राजनीति व अन्य क्षेत्रों के विद्वान शामील थे।

कार्यक्रम को सफल बनाने में गुजरात से ईसा ट्रस्ट के संबंधित लोगों के अलावा स्थानीय लोगों में जावेद आलम, मो0 नसर आलम, मेहदी हसन, अब्दुल बासित, ताज अली, मशीर आलम, मोजाहिद उल इस्लाम, अब्दुल हन्नान, आदि ने भरपूर सहयोग देकर कार्यक्रम को सफल बनाने में सराहनीय योगदान दिया।


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