मधेपुरा :  सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण मलबे में तब्दील हो चुका है खाड़ा, अस्पताल भवन

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खाड़ा और आसपास के लोगों के लिए अस्पताल का सपना अधर में  क्षेत्र की जनता को अस्पताल के लिए आशा की एक नई किरण का है वर्षों से इंतजार 

आकाश दीप
संवाददाता
उदाकिशुनगंज, मधेपुरा

नयानगर/उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : उदाकिशुनगंज प्रखण्ड क्षेत्र के खाड़ा पंचायत और आसपास के लोगों के लिए अस्पताल का सपना आज भी उम्मीद से कोशों दूर है।

ज्ञात हो कि 60 के दशक में राजकीय बुनियादी विद्यालय खाड़ा के समीप भौतिक स्वरूप में अस्पताल हुआ करता था। इस अस्पताल में खाड़ा, बुधामा, नयानगर पंचायत सहित आसपास के लोग ईलाज के लिए आते थे। पुनः इसी अस्पताल भवन का जीर्णोद्धार 80 के दशक में हुआ। समय-समय पर कर्मचारी रिटायर होते गये। सुशासन के राज में भी सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट नहीं हुआ। लिहाजा 2004 के बाद यह अस्पताल भवन धीरे-धीरे मलबे में तब्दील हो गया।

जबकि सुत्रों द्वारा पता चला कि खाड़ा में दो स्वास्थ्य उपकेन्द्र कागज पर ही चल रहा है। यहां से प्रखण्ड मुख्यालय की दूरी 20 से 25 किलोमीटर है।

बता दें कि अस्पताल भवन के लिए यहां पर 4 एकड़ 22 डिसमिल जमीन उपलब्ध है। जमीन का खाता 998 खेसरा 2107, 2108, 2109, 2110, 2114 है। जिसका रैयत स्वास्थ्य विभाग बिहार सरकार है।

प्राप्त जानकारी अनुसार खाड़ा निवासी भालचन्द्र झा की धर्मपत्नी रश्मि झा ने बताई मेरी शादी वर्ष 2013 में हुई। सामाजिक सरोकार की भावना रखते हुए आम जनता की स्वास्थ्य दुर्दशा को देखकर उन्होंने फरवरी 2016 में मुख्यमंत्री जनता दरबार में आवेदन देकर सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने प्रयास किया। मुख्यमंत्री द्वारा सिविल सर्जन सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी मधेपुरा को पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि खाड़ा ग्राम में स्वास्थ्य भवन निर्माण हेतु स्वीकृति प्राप्त है, परन्तु जमीन के अभाव में निर्माण कार्य बाधित है। जबकि उक्त खाता-खेसरा का जमीन उपलब्ध है। सुशासन पर भरोसा रखते हुए पुनः नवम्बर 2016 को विभागीय लोक शिकायत निवारण केंद्र पहुँचा। वहां भी उनके परिवाद का निपटारा नहीं हुआ।

मुखिया ध्रुव कुमार ठाकुर ने बताया कि विभाग के इस रवैये से जनमानस के स्वास्थ्य पर व्यापक दुष्प्रभाव पर रहा है। मैंने कई दफा पत्र के माध्यम से भी जिले के विभिन्न आलाधिकारियों का भी ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया, जनता की समस्या पर किसी का भी ध्यान गया। खास कर महिलाओं के प्रसव पीड़ा के लिए उदाकिशुनगंज ही जाना पड़ता है।


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