अगर हम जीवन में आराम चाहते हैं तो प्रभु श्रीराम से जुड़ना ही होगा : भोलानाथ किंकर ♦दहेज रूपी धनुष से पूरा देश परेशान :- रामेश्वरानंद
नयानगर/उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र के मधुबन गांव में जारी पांच दिवसीय अखिल भारतीय भ्रमणशील मानस प्रचार संघ के 57 वें महायज्ञाधिवेशन के चौथे दिन जौनपुर उत्तर प्रदेश से पधारे संत रामेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि दहेज रूपी धनुष से पूरा देश परेशान है। आज भी भगवान शंकर का धनुष समाज में विद्यमान है। उसका केवल नाम बदल गया पहले उसका नाम सुना था आज उसका नाम बदलकर दहेज हो गया है। त्रेता में एक जनक रो रहे थे अगर धनुष का खंडन नहीं हुआ तो मेरी बेटी सीता का क्या होगा। आज देश में लाखों-करोड़ों जनक रो रहे हैं अगर दहेज की व्यवस्था नहीं हुई तो मेरी बेटी का क्या होगा।
त्रेता में धनुष का खंडन भगवान श्री राम ने किया और जनक के कष्ट को दूर किया। लेकिन आज दहेज रूपी धनुष का खंडन भगवान नहीं देश के नौजवान कर सकते हैं और लाखों करोड़ों जनक के कष्ट को दूर कर सकते हैं।
उन्होंने एक पंक्ति के माध्यम से कहा कि :-
“व्यापी रहे जनमानस बीच कुरोग भयंकर आपदा भारी, बैल के भांति बिकाय रहे वर अंधी ये आंख खुले ना हमारी” नारी सुहागिन प्राण गंवावत होत अनीति समाज में भारी, जो नाहीं टूटी पिनाक दहेज कैय सीता सती रहिये जईहैं कुमारी”
मानस कोकिला सुश्री राजकुमारी जी ने अपने प्रवचनों के दौरान कहा कि हमारे समाज में दहेज की बलि बेदी पर बेटियों की कुर्बानियां दी जा रही है। अग्नि का सात फेरे लेकर सात जन्मों के साथ देने का सात वचन देकर अपनी कुछ महत्वाकांक्षा के कारण एक ही जन्म में अपनी पत्नी का बलि देने से नहीं चूकता है। पति को हमारे समाज में परमेश्वर कहा जाता है क्यूँकी पत्नी अपने घर, रिश्तों को छोड़ उसकी शरण में आती है और पति भी पत्नी को धन से, मान से सम्मान और खुशियाँ देकर उसकी रक्षा करता है। लेकिन आज कल लोग छोटी छोटी लालसाओं को पूरा करने के लिए अपनी उस पत्नी को सताता है जो उसके दुःख में सबसे ज्यादा विचलित होती है, जो उसे भगवान मानती है और जब वह बीमार होता है तो उसकी माँ से भी ज्यादा उसके लिए प्रार्थनाएं करती है।
वो पत्नी जो अपनी सेवा और प्रेम से आपको यमराज के मुंह से खींच लाने कि भी कुवत रखती है। एक औरत जो सबसे ज्यादा प्रेम अपने बच्चे से करती है वह वक्त आने पर अपने बच्चे को त्याग अपने सुहाग को चुनती है। ऐसी पत्नी को यातना देना कहाँ तक उचित है। एक वेश्या भी एक रात में हजारों रूपये कमाती है लेकिन वह इसके लिए किसी और कि बलि नहीं अपितु अपने ही शरीर कि बलि देती है और दहेज मांगने वाले पुरुष उस वेश्या से भी गए गुजरे हैं जो अपने स्वार्थ के लिए अपनी निरीह पत्नी को हलाल करते हैं। मानस प्रभा श्रीमती कृष्णा अवस्थी जी क्षेत्रीय मंत्री लखन लाल मेहता, अखिलेश उपाध्याय परमानंद शरण महाराज जी ने भी प्रवचनों से भक्तवत्सल श्रोताओं का आत्म रंजन किया।
अंत में भारतीय भ्रमण सील मानस प्रचार महासंघ के संस्थापक भोलानाथ किंकर जी महाराज ने कहा कि अगर हम जीवन में आराम चाहते हैं तो प्रभु श्रीराम से जुड़ना हीं होगा। इस सांसारिक मोह माया जाल से छुटकारा पाने के बस एक ही मार्ग है वह है प्रभु श्री राम। दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है। उन्होंने कहा आराम की तलब है प्यारे तो एक काम कर प्रभु श्री राम की शरण में श्री राम राम कर। तत्पश्चात आरती के बाद कथा का समापन किया गया।