मधेपुरा/बिहार : जिला मुख्यालय के गोविंदपुरी मुहल्ला स्थित नेहरू युवा केंद्र कार्यालय परिसर में रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती मनाई गई. कार्यक्रम का उद्धाटन समाजसेवी सह पूर्व वार्ड पार्षद ध्यानी यादव, नेहरू युवा केंद्र की जिला युवा अधिकारी हुस्न जहां, शिक्षक दिनेश प्रसाद यादव व अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि रूप में मौजूद समाजसेवी सह पूर्व वार्ड पार्षद ध्यानी यादव ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस देश की आजादी के लिए लड़ने वाले असल जिंदगी के हीरो थे. जिन्होंने अंग्रेजों की गुलामी न स्वीकारते हुए आजाद हिंद फौज का गठन किया. सुभाष चंद्र बोस को प्यार से नेताजी के नाम से जाना जाता है. वे ऐसे भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनकी वास्तविक देशभक्ति ने उन्हें भारत में एक नायक बना दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला युवा अधिकारी हुस्न जहां ने की.
मौके पर एनवाईवी सौरभ कुमार, लक्ष्मीरानी, मनीष कुमार, अशोक कुमार, संतोष राज सहित अन्य उपस्थित थे.
सुभाष चंद्र बोस स्मारक विकास समिति के द्वारा मनाई गई जयंती : रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती समारोह सुभाष चंद्र बोस स्मारक विकास समिति के द्वारा जिला मुख्यालय स्थित सुभाष चंद्र बोस चौक पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर स्थानीय लोगों, शिक्षकों, राजनीतिज्ञों, युवा एवं छात्र ने माला एवं पुष्प चढा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया. इस अवसर पर सुभाष चंद्र बोस के द्वारा किये गये कार्यों की विस्तार पूर्वक चर्चा की गई. कार्यक्रम में समिति के वरीय सदस्य अशोक कुमार सिन्हा, जदयू नेता डा भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी, डा बीबी प्रभाकर, प्रो सत्यजीत यादव, योगेंद्र महतो, संजीव कुमार यादव, अशोक कुमार यादव, अशोक कुमार चौधरी, प्रो सुजीत कुमार मेहता, डा नीलकांत, राजद नेता विजेंद्र प्रसाद यादव, समाजसेवी प्रो दयानंद यादव, व्यवसाई गणपति साह, रमण वर्मा, दीपक कुमार, रिपु ठाकुर, पंकज राय, कुंदन कुमार, राकेश राय, राजन कुमार, राकेश गुप्ता, अरुण कुमार महतो, आदर्श शंकर, किशोर श्रीवास्तव समेत अन्य उपस्थित थे.
राष्ट्र, वह सब कुछ कर सकता है, जिसका वह है हकदार : रविवार को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125 वीं जयंती वार्ड नंबर 13 में बीएनएमयू के स्नातकोत्तर विज्ञान संकाय के कॉउंसिल मेंबर सह आंतरिक परिवाद समिति सदस्य बिट्टू कुमार के अध्यक्षता में मनाया गया. बिट्टू कुमार ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नारा था, तुम मुझे खुन दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा. जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया. भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणीय नेता नेताजी थे. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था. उनके द्वारा दिया गया ‘जय हिंद’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया. नेताजी के विचार, कर्म एवं आदर्श अपनाकर राष्ट्र, वह सब कुछ कर सकता है, जिसका वह हकदार है.
मौके पर गौरव प्रकाश मल्लिक, बिट्टू कुमार मिश्रा, मिंटू कुमार यादव, भूषण कुमार मेहता, अभिषेक कुमार, मनोरंजन कुमार, दीपक कुमार, आशीष कुमार, नीरज, शहनवाज मौजूद थे.
नेताजी का दिया नारा जय हिंद, आज बन गया देश का नारा : एआईएसएफ की बीएनएमयू इकाई द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती धूम धाम से मनाई गई. इस मौके पर उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया. मौके पर संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े नेताओं में अग्रिम पंक्ति के नाम थे. उनका योगदान व त्याग आजादी के आंदोलन एवं आजादी के बाद के सफर का महत्वपूर्ण कड़ी रहा. विपुल प्रतिभा के धनी सुभाष चंद्र बोस सिर्फ आजादी के आंदोलन के दौरान ही नहीं बल्कि वर्तमान में भी युवाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय आदर्श के रूप में स्थापित हैं. अल्प समय में उस समय आईसीएस की परीक्षा पास करने के बाद भी तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के अंदर नौकरी न कर, उन्होंने अपनी प्रतिभा व राष्ट्रप्रेम को दर्शाया था. छात्रनेता राठौर ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व व नेतृत्वकारी भूमिका ऐसी थी कि देश ने उन्हें नेताजी के संबोधन से अलंकृत किया. ऐसे महामानवों के जीवन चरित्र से जुड़े बिंदुओं को छात्र-युवाओं के अध्यन का हिस्सा बनाने पर बल देते हुए राठौर ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस के राष्ट्रप्रेम व त्याग को जीवन में उतारने की जरूरत है. यह दुखद है कि आजादी के बाद कई सरकारें आई और गई, लेकिन उनकी रहस्यमय मौत की गुत्थी को आज तक नहीं सुलझाया गया. देश को अपने नायक के मौत की सही जानकारी नहीं होना, किसी काले अध्याय से कम नहीं.
मौके पर राजू, धर्मेंद्र, जितेंद्र, रौशन, पिंकी, सूरज, आशा, प्रियंका, संजय, पार्वती, वीरेंद्र, राहुल, मुकेश आदि ने भी नेताजी को याद करते हुए उन्हें याद किया.