कॉरपोरेट घरानों को लाखों-करोड़ों रुपया माफ कर, पूरी तरह कॉरपोरेट पक्षी होने का प्रमाण प्रस्तुत की है सरकार

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मधेपुरा/बिहार : वामदलों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर समाहरणालय के समक्ष बुधवार को भाकपा, माकपा एवं भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने रोषपूर्ण प्रदर्शन किया. भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि कोरोना वायरस के इस तबाही भरे दौर में जनता की क्रय शक्ति बढ़ाने के बजाय, मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस एवं आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को लगातार बढ़ा कर, उनके जीवन को और भी गहरे संकट में डाल दिया है.

उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद अब तक सरकार ने 21 बार पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्य वृद्धि की है. हालात यह है कि आज डीजल की कीमत प्रति लीटर लगभग एक सौ रुपया एवं पेट्रोल की कीमत एक सौ रुपये के पार हो गई है. रसोई गैस की कीमत लगभग एक हजार रुपया, सरसों तेल की कीमत लगभग दो सौ रुपये एवं खाद्य पदार्थों तथा आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में डेढ़ से दो गुना की वृद्धि हुई है. भाकपा नेता प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ाने के पीछे सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य वृद्धि का बोगस तर्क देती है. जबकि 2008 में कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 147 डॉलर प्रति बैरल थी, तब हमारे देश में पेट्रोल की कीमत 45 रुपए प्रति लीटर थी. आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 61 डॉलर प्रति बैरल है, तब पेट्रोल की कीमत एक सौ रुपये के पार हो गई है.

कोरोना की मार झेल रही आम जनता के लिए सरकार की घोषणाएं नाम मात्र : प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि हाल ही में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बयान दिया है कि कोविड टीके का पैसा कहां से आयेगा. यानी मोदी सरकार कोविड के टीके की आड़ में देश की जनता को लूट रही है. ठीक इसी दौरान कॉरपोरेट घरानों को लाखों-करोड़ों रुपया माफ कर, पूरी तरह कॉरपोरेट पक्षी सरकार होने का प्रमाण प्रस्तुत की है. उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ने का एक दूसरा बड़ा कारण सत्ता के संरक्षण में आवश्यक वस्तुओं व दवाओं की जारी कालाबाजारी एवं जमाखोरी है. आज देश भयानक आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. इसके लिए पूरी तरह से केंद्र की मोदी सरकार जिम्मेवार है. उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यवृद्धि वापस लेने एवं आवश्यक वस्तुओं के कीमतों को नियंत्रित करने की मांग की और कहा कि हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो संघर्ष तेज होंगे. माकपा के राज्य कमेटी के सदस्य गणेश मानव ने कहा कि कोरोना की मार झेल रहे आम जनता के लिए सरकार की घोषणाएं नाम मात्र की है. जनता की नुकसान की भरपाई करने में सरकार पूरी तरह से विफल है. हमारी मांग है कि इनकम टैक्स के दायरे से बाहर सभी परिवारों के लिए सरकार अगले छह महीने तक 250 रुपया प्रति रोज के हिसाब से सरकार प्रति परिवार को 7500 रुपया प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे.

कोरोना का बहाना बनाकर देश को बर्बाद करने पर तुली है सरकार : भाकपा माले के जिला संयोजक रामचंद्र दास ने कहा की कोरोना काल में लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है. ऐसी स्थिति में उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इसलिए मात्र पांच किलो चावल एवं गेहूं से गुजारा होने वाला नहीं है. सरकार चावल-गेहूं के अलावा दाल, तेल, चीनी, मसाले, चाय प्रदान करे. सीपीआई के जिला मंत्री विद्याधर मुखिया ने कहा कि सरकार कोरोना का बहाना बनाकर देश को बर्बाद करने पर तुली है. एक सुनियोजित साजिश के तहत कॉरपोरेट घरानों को माला-माल किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर महंगाई और बेकारी बढ़ाकर देश के आम-आवाम का जीना दुभर कर दिया है. वरीय वामपंथी नेता ललन यादव, भारत भूषण सिंह, ई चांद, सीताराम रजक, केके सिंह राठौर, अधिवक्ता देव किशोर देवता, नौजवान संघ के प्रांतीय नेता शंभू क्रांति, सीपीआई के अंचल मंत्री जहांगीर, अनिल भारती एवं एटक के जिला संयोजक वीरेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि केंद्र व राज्य की सरकार जन विरोधी है. इन नेताओं ने कहा कि पूरी तरह से पूंजी पतियों के सामने सरकार घुटना टेक दी है. इसलिए महंगाई की मार जनता को झेलना पड़ रहा है. हमें इस महंगाई के खिलाफ उग्र संघर्ष के लिए मजबूर होना होगा.

किसान मिट्टी के भाव अपने फसल को बेचने के लिए मजबूर : एआईएसएफ के जिलाध्यक्ष वसीम उद्दीन उर्फ नन्हें, जिला सचिव मनु कुमार, एआईवाईएफ के जिलाध्यक्ष जितेंद्र कुमार मुन्ना, एसएफआई के जिलाध्यक्ष राजदीप कुमार एवं सचिव विमल विद्रोही ने कहा कि लॉकडाउन में हमने नजदीक से देखा है कि किसान मिट्टी के भाव अपने फसल को बेचने के लिए मजबूर हैं. शैक्षणिक वातावरण ठप कर दिया गया है. विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्तीर्ण छात्रों को नौकरी मांगने पर बिहार की निकम्मी सरकार लाठियां बरसाती है. हम इस बेशर्मी सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे.

इस अवसर पर सीपीआई नेता कृष्णा मुखर्जी, शुभम स्टालिन, कौशल कुमार, सिराज, प्रशांत कुमार, राजू कुमार, मनीष कुमार, अभिषेक कुमार, चीकू कुमार, रिजवान, नरेश कुमार, बबलू मुर्मू, उमेश हेंब्रम, जगदीश मिर्धा, शिवचरण मुरमुर, राजकुमार मिर्धा, तालेश्वर हेंब्रम, अदनान नवाज, गिरधारी कुमार, शाहिद, गजेंद्र राम, रवि कुमार, संजीत कुमार लखन शाह, सुभाष मल्लिक, गौरी शंकर कुमार, रूपेश कुमार, ज्योतिष कुमार, विनोद शाह, राजेश मंडल, हित लाल शर्मा, संजय मंडल, साजदा खातून, अशोक दास, नील चंद हेंब्रम, शैलेंद्र मिर्धा, कल्लू हेंब्रम, चारणी हेंब्रम आदि बड़ी संख्या में वामपंथी कार्यकर्ता एवं नेता विरोध प्रदर्शन में शामिल थे. इस अवसर पर वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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