बिहार में साइकिंलिंग को बढ़ाना देने के लिए आज ‘फिट बिहार साइकिलोथॉन’ का आयोजन हज भवन से शेखपुरा मोड़, इनकम टैक्स गोलंबर, सात मूर्ति, हज भवन तक किया गया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने शामिल होकर फिट बिहार का संदेश दिया। साथ ही इस साइकिल दौड़ के जरिये लोगों के बीच में कोरोना को लेकर जागरूकता फैलाया गया, जहां वर्तमान विसंगतिपूर्ण परिवेश में लोगों का घर से निकलना मुश्किल है। इस विषम परिस्थिति में साइकिल दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन अपने आप में एक बेमिसाल आयोजन है।
यह अपने आप में एक ऐसी सवारी है जिसमें न तो ईंधन की जरूरत होती है, न ही पेट्रोल की , न ही डीजल की और न ही किसी ऐसे जानवर की जो इसे खींचता रहे। यातायात के साधनों में कब आप के बगल से यह फुर्र से निकल जाए कहना मुश्किल है। चमचमाती गाड़ियों पर महँगी से महंगी गाड़ियों पर लोग बैठकर बगल से निकलने वाले साइकिल सवार को देखकर दंग रह जाते हैं और इससे जल भूल जाते हैं। साइकिल रेस का आयोजन बड़ा ऐतिहासिक होता है।
हमें इस बात का कभी एहसास नहीं है कि साइकिल की सवारी शरीर एवं मन को स्वस्थ रखते हुए अनेक प्रकार की बीमारियों से निजात दिलाता है। हदय रोग, मधुमेह, अवसाद, मोटापा और इस तरह की अनेक बीमारियां हैं जो साइकिल चलाने से छूमंतर हो जाती है। साइकिलिंग को हम अपने नियमित जीवन में शामिल कर सकते हैं। दुनिया के कई देशों में लोग साइकिल से दफ्तर, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय जाते हैं और निजी काम भी संपादित करते हैं। हमारी सरकार को भी यह चाहिए कि इस प्रतियोगिता को अधिक से अधिक बढ़ावा दें जिससे युवा जनमानस में इस खेल के प्रति रुचि जागृत हो।
आइए, मिलकर कहें “सबसे अगारी,साइकिल की सवारी”। कभी मनोरंजन के लिए, कभी स्वास्थ्य के लिए तो कभी विश्व को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए इसकी आवश्यकता युग युगांतर तक बनी रहेगी।