मधेपुरा : आज की विलासिता पूर्ण पीढ़ी को राजेंद्र बाबू से सीख लेना चाहिए

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आरिफ आलम
वरीय संवाददाता,
चौसा, मधेपुरा

चौसा/मधेपुरा/बिहार : भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद का व्यक्तित्व अद्भुत था। वे सादगी, समर्पण और त्याग के जीवंत परिभाषा थे । आज की विलासिता पूर्ण पीढ़ी को राजेंद्र बाबू से सीख लेना चाहिए।

उक्त बातें प्रभारी प्रधानाध्यापक सत्यप्रकाश भारती ने कही। वे आज गुरुवार को स्थानीय महादेव लाल मध्य विद्यालय, चौसा में डाॅक्टर राजेंद्र प्रसाद की जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद का शिक्षा के प्रति समर्पण, कार्य के प्रति निष्ठा और व्यक्तिगत जीवन की सादगी लोकजीवन जीने वालों के लिए नजीर है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके जीवन से सीख लेने की जरूरत है।

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 समारोह को संबोधित करते हुए नुजहत परवीन ने कहा कि राजेंद्र बाबू बिहार सहित पूरे देश के रत्न थे । वे  लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान, सफल अधिवक्ता, महान स्वतंत्रता सेनानी, संविधान सभा के अध्यक्ष तथा बेमिसाल राष्ट्रपति थे। अतिथि अभिभावक  अनिल पोद्दार ने  कहा कि आज छोटी सी सफलता के बाद इतराने वाले को राजेंद्र बाबू से सीख लेनी चाहिए। राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद पर रहने के बावजूद उनकी सादगी अनुकरणीय है।

  समारोह के दौरान राजेन्द्र बाबू के तैलीय चित्र पर माल्यार्पण कर श्रध्दांजलि अर्पित की गई। इसके अलावा भारत के आठवें राष्ट्रपति आर.वेंकटरमण, महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद खुदीराम बोस की जन्म जयंती तथा हाॅकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी विभूतियों को श्रद्धांजलि दी गई तथा उनके व्यक्तित्व व कृतित्व की चर्चा की गई। आज विश्व दिव्यांग दिवस है। लिहाजा विद्यालय परिवार की ओर से समस्त दिव्यांगजनों को बधाई दी गई।

 मौके पर शिक्षक सत्यप्रकाश भारती, यहिया सिद्दीकी, प्रणव कुमार, भालचंद्र मंडल,  मंजर इमाम, शमशाद नदाफ,  फैयाज अहमद,  शिक्षिका मंजू कुमारी, नुजहत परवीन, श्वेता कुमारी, रीणा कुमारी, अतिथि अभिभावक अनिल पोद्दार सहित कई लोग उपस्थित थे।

 कार्यक्रम की अध्यक्षता सत्यप्रकाश भारती ने की जबकि संचालन शिक्षक यहिया सिद्दीकी ने किया।


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