मधेपुरा : कल होगी देवी के चंद्रघंटा रूप की आराधना

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : दस दिनों के त्योहार दुर्गापूजा के दूसरे दिन देवी के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना हुई, शहर के सभी चार पूजा पंडालों में अहले सुबह से पूजा की तैयारी शुरू हो गई, मंदिर में बज रहे भक्तिगीतों ने लोगों को दुर्गा देवी की आस्था में सराबोर कर दिया। थोड़ी ही देर में महिलाओं की टोली गीत गाती मंदिर पहुंचने लगी, मंदिरों में पंडित व घरों में साधक दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे थे, कोई श्रद्धालु दुर्गा चालीसा पढ़ रहा था तो कोई हनुमान चालीसा के पाठ में तल्लीन था, कोई दुर्गा के 32 नामों का जाप कर रहा था तो कोई कंठाग्र 108 नामों का माला फेर रहा था। मंदिर सहित घरों में माहौल भक्तिमय बना हुआ है, हर ओर सुगंधित पुष्पों की सुरभि बिखरती रही है। धूप, अगरबत्ती, धूमन, गुगल, सरर और कपूर से माहौल सुवासित होता रहा। श्रद्धालु सहित सभी हिंदू धर्मावलंबी मां दुर्गा की ओर स्वत: खींचे चले जा रहे हैं। कलश स्थापन की संध्या में शहर के मंदिरों में भव्य आरती पूजा किया गया। चारों ओर शंख और नगाड़े बजते रहे।

कल होगी देवी के चंद्रघंटा रूप की आराधना : नवरात्रि के तीसरे दिन शक्ति के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा-वंदना की जाती है। आम भाषा में इन्हें भगवती चंद्रघंटा भी कहा जाता है। देवी के इस तीसरी स्वरूप का रूप बेहद खूबसूरत है, माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचन्द्र है, जिस कारण इन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है, इनका रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है। इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ हैं, जो विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहते हैं। सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है और उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से भक्त आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है। पूर्ण विधि से मां की उपासना करने वाले भक्त को संसार में यश, कीर्ति एवं सम्मान प्राप्त होता है। एक और मान्यता यह भी है कि माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से भक्तों को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्त मिलती है। माता अपने सच्चे भक्तों को इसलोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती है और भगवती अपने दोनों हाथों से साधकों को चिरायु, सुख संपदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती है।

कोरोना काल में श्रद्धालुओं के उत्साह में नहीं है कमी : इन दिनों कोरोना महामारी के प्रकोप के बावजूद भी श्रद्धालुओं में भक्ति की कमी नहीं दिख रही हैं। हालांकि सरकार के द्वारा भीड़ न लगाने, शोसल डिस्टेंस में पूजा करने, मास्क लगाकर मंदिर में प्रवेश करने, प्रसाद वितरण न करने समेत अन्य कई निर्देश जारी कर दिये है। जिसे लेकर मंदिर समितियों द्वारा भी तत्परता से निभाया जा रहा है। समय समय पर मंदिर को सैनिटाइज करने का कार्य किया जा रहा है। उपस्थित कार्यकर्ता निर्देशों के तहत पूजा को विधि विधान के साथ संपन्न कराने में जुटे हुये है। मंदिर कमेटी द्वारा लगातार प्रचार कर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। इन सभी के बीच श्रद्धालु नियमबद्ध, कतारबद्ध एवं शोसल डिस्टेंस में रहकर पूजा के विधि को संपन्न कर रहे है।


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