सरकारी उदासीनता : देशना का मशहूर लाइब्रेरी अपना अस्तित्व  खोने के कगार पर

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मुर्शीद आलम
नालंदा ब्यूरो
बिहार

नालंदा/बिहार : जिला मुख्यालय बिहार शरीफ से 15 किलोमीटर पुर्व अस्थाबां प्रखंड मुख्यालय से 2 किलोमीटर उत्तर पर स्थित देशना गांव की मशहूर अल- ईस्लाह उर्दू लाइब्रेरी (पुस्तकालय) अपनी बर्बादी की दास्तां पर आंसू बहा रहा।

 यह लाइब्रेरी किसी परीचय का मोहताज नहीं, इस लाइब्रेरी में बड़े-बड़े सियासी, समाजी और राजनीति व्यक्ति भी इस लाइब्रेरी (पुस्तकालय) में पुस्तके पढ़ने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। आज भी लाइब्रेरी (पुस्तकालय)  की एक भव्य बिल्डिंग और 2 कट्ठे में फैले हुए मैदान मौजूद है। विश्व के बहुत ही बड़े इस्लामी स्कॉलर सूफी संत अल्लामा हजरत मौलाना सैयद सुलेमान नदवी के दावत पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के अलावा डॉक्टर जाकिर हुसैन भी इस लाइब्रेरी में पधार चुके हैं।

 इसके अलावा भी देश के कई बड़े-बड़े राजनीतिज्ञकार, साहित्यकार और उपन्यासकार भी  देशना गांव के इस लाइब्रेरी (पुस्तकालय) में पहुंचकर पुस्तकें का अध्ययन कर चुके और इस लाइब्रेरी के पाठक होने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं और इस लाइब्रेरी (पुस्तकालय) में पहुंचकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस किया है।

इस लाइब्रेरी में कभी 10 हजार पुस्तकें मौजूद थी। इस लाइब्रेरी में इस्लामिक धर्म के सबसे बड़े धार्मिक ग्रंथ कुराने पाक का जो हाथों के द्वारा लिखित ग्रंथ मौजूद था, जब इस धार्मिक ग्रंथ पर इस्लामी स्कॉलर अल्लामा सैयद सलमान नदवी और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की नजर पड़ी तो इन्हें सुरक्षित करने के उद्देश्य 1952 में 9 बैल गाड़ी के द्वारा हजारों बेशकीमती पुस्तकों को खुदाबख्श उर्दू लाइब्रेरी पटना भेज दिया गया था। जहां आज भी है सारी पुस्तकें सुरक्षित है।

आज इस मशहूर लाइब्रेरी (पुस्तकालय) को कोई देखने वाला नहीं है, जिसका दंश पुस्तकालय झेल रहा है। इस पुस्तकालय की दीवारों पर काली काई जमती जा रही है और दीवारें टूटती जा रही है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि विश्व के मानचित्र पर अपना नाम दर्ज करने वाला यह पुस्तकालय अब धराशाई होने के कगार पर पहुंच गया।

दूसरी ओर लाइब्रेरी के स्थिति को सुधारने के लिए बिहारशरीफ के पूर्व विधायक नौशाद उन नबी उर्फ पप्पू खान ने बिहार सरकार से गुहार लगाई है, जिसके परिणाम में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अपर सचिव मदन लाल ने जिला अधिकारी नालंदा को देशना पुस्तकालय की जर्जर स्थिति को देखते हुए नियमानुसार तत्पर करवाई करने का पत्र निर्गत किया गया है। इससे मशहूर अल-इस्लाह उर्दू लाइब्रेरी देशना की तकदीर और तस्वीर दोनों बदलने की संभावना प्रबल हो गई है।

जिला प्रशासन इस पुस्तकालय की जर्जर स्थिति को देखते हुए किस तरह की आवश्यक कार्रवाई करती है याह तो समय ही बताएगा, लेकिन धराशाई हो रहे यह पुस्तकालय की स्थिति में सुधार होने की पूरी संभावना देखी जा रही है।


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