मधेपुरा : किसानों को सताने लगी है फसल के साथ-साथ भविष्य की चिंता, जिला प्रशासन से मदद की गुहार

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन की मार अब किसानों के फसलों पर भी पड़ने लगी है, गेहूं एवं राजमा सहित तेलहन एवं दलहन की फसल पक कर तैयार है, लेकिन लॉक डाउन के कारण किसान अपने फसलों को काट नहीं पा रहे हैं । पके हुए फसलों को काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं । साथ ही किसानों को लॉक डाउन के दौरान निकलने पर पुलिस का भी भय सता रहा है, इससे किसान काफी परेशान हैं ।

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार ने 14 अप्रैल तक लॉकडाउन कर दिया है । इस बंदी की मार जिले के किसानों पर भी पड़ रही है ।  दरअसल इस बंदी की वजह से जिले भर में किसानों को फसल काटने के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं । गेहूं की फसल काटने का अभी सीजन है, जो अब शुरू हो चुकी है । सदर प्रखंड, सिंहेश्वर, गम्हरिया, कुमारखंड, शंकरपुर, मुरलीगंज, आलमनगर, बिहारीगंज, ग्वालपाड़ा, चौसा, उदाकिशुनगंज, घैलाढ़ एवं पुरैनी के किसानों ने प्रशासन से इस संकट का समाधान करने की गुहार लगाई है ।

किसानों को सताने लगी है फसल के साथ-साथ भविष्य की चिंता : जिले में कोरोना वायरस को लेकर लॉक डाउन का प्रभाव आम लोगों एवं किसानों पर पड़ने लगा है । गेहूं की फसल पककर खेत में तैयार है, लेकिन उसकी कटाई के लिए मजदूर खेत पर आने को तैयार नहीं है । प्रशासन के डर से मजदूर फसल काटने से कतरा रहे हैं । ऐसे में किसानों को अपनी फसल के साथ-साथ भविष्य की चिंता सताने लगी है । किसानों ने कहा कि मजदूर नहीं मिलने के कारण उन लोगों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है । राज्य सरकार एवं कृषि विभाग को चाहिए कि किसानों की इस गंभीर समस्या पर जल्द से जल्द कोई समाधान निकालें, अन्यथा भविष्य में खाद्यान्न की भी समस्या हो सकती है. किसानों ने कहा कि खेत में गेहूं की फसल पक चुकी है, लेकिन मजदूर के अभाव में इसकी कटाई नहीं हो पा रही है । जिसके कारण किसान परेशान हैं ।

 उन्होंने कहा कि कृषि विभाग को खेत में लगे अन्य फसल मक्का, मटर, राजमा को भी बचाने के लिए ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा उर्वरक, कीटनाशक की भी व्यवस्था करनी चाहिए । उन्होंने कहा कि आंधी-पानी का समय आ चुका है । ऐसे में पके हुए फसल बर्बाद होने के कागार पर हैं । 14 अप्रैल तक कटाई रोके जाने से फसलों को भारी नुकसान की संभावना है । सरकार द्वारा इन सभी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो देश में अन्नदाता कई तरह की समस्याओं से घिर जाएंगे । जिसका खामियाजा समाज को भी उठाना पड़ेगा ।

मक्का का फसल भी बिना खाद पानी के हो रहा है बर्बाद : किसानों ने आरोप लगाया कि मक्का का फसल भी बिना खाद पानी के बर्बाद हो रहा है । इस लॉक डाउन में खाद दुकान तो खोल दी गई है, लेकिन सड़कों पर चलने पर पाबंदी है । सड़कों पर प्रशासन की कराई के कारण किसान खाद दुकान पर जाने से कतराते हैं । जिसके कारण बंदी से किसानों की परेशानी बढ़ी हुई है । कुछ दुकानदार इस बंदी का गलत फायदा उठाकर किसानों का आर्थिक शोषण कर ब्लैक से अनाप-शनाप कीमत पर डीएपी एवं यूरिया बेच रहे हैं,  जिससे आम किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है । किसानों का कहना है कि कोरोना वायरस से आम जीवन हलकान है । लेकिन इसकी मार किसानों पर सबसे अधिक पड़ रही है ।उन्होंने कहा कि राशन, सब्जी, दवा आदि दुकानों पर जाने के लिए छूट की तरह खाद दुकान पर भी जाने के लिए छूट दे देना चाहिए, साथ ही मजदूरों को खेतों पर काम करने के लिए भी छूट देनी चाहिए । अगर समय पर मक्का के फसल में खाद-पानी नहीं डाला जाएगा तो फसल बर्बाद हो जाएगा ।


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