आज की मेहमान अभिनेत्री रीना रानी

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

फुलवा’, ‘झांसी की रानी’, ‘सीआईडी’, ‘क्राइम पैट्रोल’, ‘कोई है’, ‘सावधान इंडिया’, ‘खानदान’, ‘बड़ी मालकिन’ जैसे सीरियलों से अपनी पहचान बना चुकी रीना रानी आज दर्जनों सीरियलों में ऐक्टिंग कर रही हैं।

टेलीविजन पर आने वाले सीरियलों के साथ ही भोजपुरी फिल्मों में काम करने वाली रीना रानी कहती हैं कि एक आम परिवार की तरह उन के मातापिता भी चाहते थे कि उन की बेटी पढ़लिख कर अच्छी सी नौकरी करे। ऐक्टिंग और एंकरिंग के काम को ले कर उन के मातापिता ऊहापोह की हालत में रहते थे, लेकिन जब उन्हें लगातार काम, पहचान और पैसा मिलने लगा, तो घर वालों ने राहत की सांस ली।

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 पटना में अपनी पहचान बनाने के बाद साल 2008 में रीना रानी सपनों की नगरी मुंबई पहुंच गईं. आज एक  बेटे की मां होने के बाद भी उन के ऐक्टिंग, एंकरिंग और मौडलिंग का सफर जारी है। ‘फुलवा’, ‘झांसी की रानी’, ‘सीआईडी’, ‘क्राइम पैट्रोल’, ‘कोई है’, ‘सावधान इंडिया’, ‘खानदान’, ‘बड़ी मालकिन’ जैसे सीरियलों से अपनी पहचान बना चुकी रीना रानी आज दर्जनों सीरियलों में ऐक्टिंग कर रही हैं। टैलीविजन सीरियलों के साथसाथ उन्होंने कई भोजपुरी फिल्मों में भी हीरोइन का किरदार निभाया है। ‘हमार घर वाली’, ‘दुलहनिया लेके जाइब हम’, ‘लाल चुनरियावाली’, ‘गंगा तोहरे देस में’, ‘प्यार हो गईल त हो गईल’, ‘चंदा’, ‘अपनेबेगाने’, ‘गुंडाराज’, ‘रंगबाज राजा’, ‘वाह खिलाड़ी वाह’, ‘छैला बाबू तू कईसन दिलदार बाड़ा हो’ जैसी कई भोजपुरी फिल्मों में हीरोइन का किरदार अदा किया।

 रीना रानी कहती हैं कि किसी भी क्षेत्र में औरतों व लड़कियों की हालत ठीक नहीं है। उन्होंने मौडलिंग, थिएटर, सिनेमा और राजनीति में घुस कर यही देखा और जाना है। वे कहती हैं कि औरतों की तरक्की केवल राजनीतिक नारों, सरकारी योजनाओं और उपदेश देने वाली किताबों तक ही सिमटी है। हकीकत में तो यही दिखाई देता है कि कोई भी ‘आधी आबादी’ को उस का पूरा हक देने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने नाटकों के साथसाथ पटना दूरदर्शन के लिए भी कई प्रोग्राम किए हैं। असली पहचान उन्हें ईटीवी के प्रोग्राम ‘मिसेज भाग्यशाली’ में की गई एंकरिंग से मिली।


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