मधेपुरा/बिहार : जब मैं फिल्मों में आया था तक हर गाने में ढाई ढाई सौ संगीताकार काम करते थे। लेकिन आज ढाई संगीताकार भी काम नहीं करती है। दुर्भाग्य की बात है कि वादयंत्र खत्म होते जा रहा है। म्यूजिक डायरेक्टर एक वादयंत्र पर सारे गाने कर देते हैं। हमारा संगीत सीख कौन रहा है।
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हमारे संगीत एवं वादयंत्रों को विदेशों में अपनाया जा रहा है। एक समय ऐसा भी आयेगा जब विदेशों में हमारे संगीत एवं वादयंत्रों को वो अपना कहेंगे और हमें झुनझुना थमाएंगे। कबीरा एवं मीरा सहित अन्य पुरानी चिजों को अपनाता हूं।
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