मधेपुरा : अध्यात्म दर्शन केवल वैराग्य नहीं सिखाता, बल्कि सदगुण सदाचार से युक्त, स्वार्थ-भेद से मुक्त सुखी-संपन्न जीवन जीने की राह भी दिखाता है – वेदानन्द जी महाराज

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देश में गंभीर मुद्दा भ्रष्टाचार : स्वामी चतुरानंद महाराज 

आकाश दीप
संवाददाता
उदाकिशुनगंज, मधेपुरा

उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र के बुधामा पंचायत स्थित साधुपुर कोरचक्का मैं आयोजित संतमंत सत्संग के 37 वाॅ जिला वार्षिक अधिवेशन के अंतिम दिन के प्रवचन के दौरान स्वामी वेदानंद जी महाराज ने कहा कि भारत का अध्यात्म दर्शन केवल वैराग्य नहीं सिखाता, बल्कि सदगुण सदाचार से युक्त, स्वार्थ-भेद से मुक्त सुखी-संपन्न जीवन जीने की राह भी दिखाता है जो दूसरों के हितों की भी परवाह करता हो। इसलिए जीवन का लक्ष्य तय किजिए ‘आत्मानं मोक्षार्थ जगद हताय च’ यानी जिसमें अपनी उन्नति और संसार का कल्याण दोनों के बीच कोई टकराव नहीं हो।

आजादी के बाद स्वाधीनता सेनानियों के सपनों के अनुरूप भारत को सुखी, संपन्न, भेदभाव रहित व स्वाभिमानी देश बनाकर विश्व में अग्रणी राष्ट्र के रूप में खड़ा करने का संकल्प केवल सरकारों के भरोसे पूरा नहीं हो सकता। इसके लिए नागरिक चेतना जगाने की जरूरत है।  ताकि भारत को यशस्वी बनाने के एक सही रास्ते पर चल सकें।  लेकिन जात-पात, मजहब के भेदभाव, स्वच्छता, पर्यावरण, जल संरक्षण, स्त्रियों की सुरक्षा व उनका सम्मान, कानून पालन, देश की आंतरिक बाह्य सुरक्षा, राष्ट्रीयता, अनुशासन, भ्रष्टाचार, में लिप्त होकर अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी भी सामाजिक बुराई या निजी दुर्गुण को पनपने न देना, यह ईमानदार सोच प्रत्येक देशवासी की बने।

आजादी का अर्थ स्वच्छंदता नहीं है कि अपनी सुविधा के अनुरूप रास्ते बनाते रहें, उन्हें परिभाषित करते रहें भारत का मर्म अध्यात्म है.  इसलिए आज भी दुनिया भर के लोग भौतिक चकाचौंध से ऊब कर भारत की गोद में शांति पाने आते हैं। इस अध्यात्मिक व सांस्कृतिक चेतना को जीवंत बनाये रख कर स्वाधीन भारत के नवनिर्माण का स्वप्न पूरा करें। तभी भारत न केवल अपने बल्कि विश्व के लिए भी हितकारी भूमिका निभा सकेगा। यही भारत की स्वाधीनता की सार्थकता होगी।

 स्वामी चतुरानन्द जी महाराज ने कहा कि इन दिनों देश में एक ऐसा मुद्दा गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है, जो हर देशवासी के लिए चिंताजनक है। और वह है देश की खुशहाली और तरक्की में सबसे बड़े बाधक बने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए हमें सदाचार हो कर एकत्रित और संयमित रूप से खुद को ईमानदार बनाना होगा और खुद को ईमानदार बनाने के लिए हमें अध्यात्म से जुड़ना होगा। हमें संतों और ईश्वर के सानिध्य में जाना होगा उनका अनुकरण करना होगा। तब जाकर देश भ्रष्टाचार मुक्त हो पाएगा। अंत में स्वामी योगानंद के प्रवचन और सदगुरुदेव जी की आरती के साथ कथा का समापन किया गया।

कार्यक्रम आयोजन समिति के अध्यक्ष शंकर मेहता, सचिव राजेश सिंह, जिप सदस्य अमन यादव, विलास मेहता, भोला मेहता, अनन्त सिंह, महेंद्र मेहता, घनश्याम मंडल टुमन कुमार मेहता, लड्डू मेहता, रमेश आचार्य, गनगन चौधरी, सुनील सिंह, केसरी पासवान, घनश्याम मंडल, सुशील मंडल, राजकुमार मंडल, नाजिर मंडल, सुरेश मंडल, दरोगी ऋषिदेव व अन्य सभी यज्ञाधिवेशन में विधि व्यवस्था को बनाए रखने को लेकर अपने अपने बहुमूल्य योगदान दिए।


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