बड़ी सुंदर है जिया जो प्रभु ने दिया नर तन पाकर प्यारे तुने क्या क्या किया: कृष्णा अवस्थी♦रावणत्त्व के विनास से ही समाज में शांति संभवः- रामेश्वरानंद
प्रेमजीत कुशवाहा संवाददाता उदाकिशुनगंज, मधेपुरा
उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र के मधुबन गांव में जारी पांच दिवसीय अखिल भारतीय भ्रमणशील मानस प्रचार संघ के 57 वें महायज्ञाधिवेशन के तीसरे दिन मानस प्रभा श्रीमती कृष्णा अवस्थी जी ने “बड़ी सुंदर है जिया जो प्रभु ने दिया। नर तन पाकर प्यारे तुने क्या क्या किया।” भजन गाकर श्रद्धालु भक्तजनों को भाव विभोर कर दिया।
उन्होंने कहा कि प्रभु ने हमें इतना सुंदर मानव तन दिया है इसे सदकर्म में लगाना चाहिए। मानस कोकिला सुश्री राजकुमारी जी के मार्मिक प्रवचनों और भजनों पर महिला पुरुष श्रद्धालु गण भक्ति रस का रसपान करते रहे। उन्होंने कहा कि संसार का सबसे बड़ा बल मनुष्य के अंदर का आत्मबल होता है। जौनपुर उत्तर प्रदेश से पधारे संत रामेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि बिना रावणत्त्व के विनास से समाज में शांति संभव नहीं है। त्रेता युग में भगवान श्री राम जी ने तो रावण का विनाश कर दिया लेकिन आज भी समाज में रावण विराजमान है।
उनका केवल नाम बदल गया है। आज भूख का रावण, गरीबी का मेघनाद और मूर्खता का कुंभकरण समाज में पूरे जोर पर है। श्रमिक देवता अपना खून दे दे कर क्षीर प्राण हो रहे हैं। सारी दुनिया भी लंका जैसी होती जा रही है। एक तरफ सोने का संसार और दूसरी और दानवी चक्र में फंसे गरीब लोगों के आंसुओं का समुंद्र और समुद्र के उस पार बसी यह लंका लोगों की धरती पर आतंक का डंका बजाना चाहती है। अगर कोई पूछता है कहां है सत्य कहां है न्याय, कहां है आस्तिकता, कहां है नैतिकता, कहां है मानवता तो एक मौन उत्तर मिलता है सभी लंका के नींव के नीचे दबा दिए गए हैं। जब तक श्री हनुमान जी महाराज जैसा राष्ट्र सेवक, अंगद जैसा युवराज और जामवंत जैसा मंत्री नहीं होगा तब तक रावणत्त्व का विनाश नहीं होगा और जब तक रावणत्त्व का विनाश नहीं होगा तब तक समाज में शांति की स्थापना संभव हीं नहीं है।
अंत में अखिल भारतीय भ्रमण सील मानस प्रचार महासंघ के संस्थापक भोलानाथ किंकर जी महाराज ने कहा की समाज में फैल रही विसंगतियां, कुरीतियां एक दूसरे को नीचा दिखाने कि कुप्रथा, आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए सत्संग का आयोजन किया जाता है ऐसे आयोजन से समाज में शांति सद्बुद्धि एकता और अखंडता अक्षुण्ण होती है। तत्पश्चात आरती के बाद कथा का समापन किया गया। इससे पहले मंचासीन बाबा परमानंद, बाबा अखिलेश उपाध्याय ने भी प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालु भक्तों को आह्लादित किया।