मुरौल/मुजफ्फरपुर : मिथिला का मखान और माँछ दोनो प्रसिद्ध है। नानवेज में मछली ही ऐसा है जो खाने वाले को ज्यादा नुकसान नही पहुंचाता है। मछली का क्रेज सबसे ज्यादा है। फिशरीज से पढ़ने वालों के लिए काफी स्कोप है। सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए तालाब निर्माण में सब्सिडी दे रही है। तालाब से मछली उत्पादन के साथ पर्यावरण का संरक्षण भी होता है। मछली उत्पादक किसानों को मछली बेचने में कोई परेशानी नही है, बस जरूरत है लगन के साथ काम करने की।
उक्त बातें स्थानीय सांसद अजय निषाद ने रविवार को मात्स्यिकी महाविद्यालय ढोली में मछली पालक किसानों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति डॉ आर सी श्रीवास्तव और संचालन डॉ पूनम प्रकाश ने किया।
कुलपति डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि प्रधानमंत्री का उद्देश्य किसानों का उन्नति करना है। 2022तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का लक्ष्य है। मछली इसमे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। मछली पालन में लागत घटाने, उत्पादन के बाद उसके नुकसान पर रोक लगाने के लिए काम हो रहा है, जो मछली बेचने के बाद बच जाता है उसे दूसरे दिन बेचने के लिए कैसे सुरक्षित रखा जाये इस पर शोध हो रहा है। घर घर तक मछली बेचने वालों को किस तरह सहायता दी जाये, मछली पालक, वेंडर और खरीददार को बेहतर उत्पादन मिले इसके लिए एक टीम तैयार किया जा रहा है। इस कॉलेज के वैज्ञानिकों के सहयोग से बिहार के पश्चिमोत्तर में मछली पालन में नई क्रांति लाने की तैयारी अंतिम चरण में है।
निदेशक अनुसंधान डॉ मिथिलेश कुमार ने मछली पकड़ने और उसके गुणवत्ता को बचाये रखने के तकनीक को बताया। अधिष्ठाता मात्स्यिकी महाविद्यालय डॉ एससी राय ने महाविद्यालय द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ राय ने कहा कि मौसम के बदलाव के कारण परेशानी हो रहा है। कृषि के लिये वर्षा तो ठीक है लेकिन मछली पालन के लिए पर्याप्त नही है। डॉ राय ने गैंचा, सिंघी, कवई समते लोकल मछली के उत्पादन पर भी जोर दिया। डॉ एस के सिंह ने मछली मारने के बाद उसके गुणवत्ता में ह्रास के बारे में बताया। डॉ पूनम प्रकाश ने कम लागत की मछलियों का मूल्य संवर्धन के बारे में बताया। डॉ तनुश्री घोड़ई ने मछली के मूल्य संवर्धित उत्पाद के बारे में जानकारी दी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को डॉ एम एल यादव, टीसीए के निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ पीपी सिंह, डॉ मृत्युंजय कुमार, बाबा फिशरीज फॉर्म मतलुपुर के निदेशक शिवराज सिंह, मनोरंजन कुमार ने भी सम्बोधित किया।
मौके पर डॉ शिवेन्द्र कुमार, डॉ आरके ब्रह्मचारी आदि मौजूद थे . धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुमन कुमार ने किया।