किशनगंज : ठाकुरगंज में लम्बी दूरी के ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर “रेलयात्री संघ” का आमरण अनशन तीसरे दिन भी जारी, दो की हालत बिगड़ी

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शशिकान्त झा
वरीय उप संपादक

किशनगंज/बिहार : तीन दिनों से ठाकुरगंज रेलयात्री समिति की लगातार आमरण अनशन में दो अनशनकारी की हालत बिगड़ गई है, जिन्होने अस्पताल ले जाने से इन्कार करते हुए कहा कि -मर जाऐंगे पर मांगें नहीं मानी गई तो अस्पताल नहीं जाऐंगे । वहीं रेलवे कटिहार डिविजन के उप महाप्रवंधक ऐ के ठाकुर के अनुरोध को अनशनकारियों ने ठुकरा कर अनशन जारी रखा है ।

इधर ठाकुरगंज रेल यात्री समिति के अनशन को लगातार कई संगठनों का समर्थन मिलता जा रहा है । अनशन स्थल एक ऐतिहासिक स्थल के रुप में बदलता जा रहा है । जैसा कि ठाकुरगंज रेलवे स्टेशन जिले का बहुत हीं पुरातन स्टेशन रहा है । जहां से लोग जैसे-तैसे अपने सफर को टुकड़ों में बांटकर उपेक्षित यात्रा बमुश्किल पूरा करते करते हताशा की स्थिति में आ गये हैं । इतना हीं नहीं रेलवे को लाभ देने वाले ठाकुरगंज स्टेशन को रेल महकमा हमेशा से सौतेलेपन के तराजुओं पर तोलता आया है । जहां से गुजरने वाली गाड़ियों को कोहरे का नाम देकर रद्द कर दिया जाना इसकी नायाब मिसालें हैं । पच्छिम बंगाल की सीमाओं से होकर चलने वाली ट्रेनों को बंगाल बिहार की तर्ज पर बलि का बकरा बनाये जाने का आरोप लोग चटखारे लेकर बोलते सुने जा सकते हैं ।

बताते चलें कि इतना हीं नहीं कुछ दिनों पहले रेलखंड से गुजरने वाले बिहार के पोठिया स्टेशन से भी स्टेशन का दर्जा छीन लिया गया था । जिसे उग्र आंदोलन के बाद पुनः वापस किया गया । जिले से होकर गुजरने वाले केवल किशनगंज, पोठिया, ठाकुरगंज और गलगलिया मात्र स्टेशन हैं । जबकि व्यवसायिक मंडी होने के साथ गलगलिया, ठाकुरगंज एवं पोठिया से मजदूरी करने वाले मजदूर हजारों की संख्याओं में बाहर के प्रदेशों में कमाने जाते हैं । वहीं व्यवसायिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से लोग पटना, दिल्ली का भी सफर करते हैं पर विडंवना कहें या रेलवे की मनमानी, ये किशनगंज से हीं अपनी सफरों की शुरुआत कर पाते हैं । क्योंकि लम्बी सफर की रेलगाड़ियों को ठाकुरगंज में रुकने की इजाजत नहीं है ।

अनशनकारियों को समर्थन देने वाले नगर अध्यक्ष देवकी अग्रवाल, पूर्व नगर अध्यक्ष नवीन कुमार यादव, अधिवक्ता संघ किशनगंज एवं अनसन के समर्थक अन्य संघों ने इस मामले में अपनी राय जाहिर करते कहा है कि, या तो रेल प्रशासन इन स्टेशनों की उपेक्षाकर सरकार को घाटे में रखना चाहती है या पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर बिहार के इन स्टेशनों के साथ कथित सौतेलेपन का व्यवहार कर ऐसे मुख्य स्टेशनों को सुविधाविहीन कर बंद कर देने की मंसा रखती है । जिस पर भारत सरकार का रेलमंत्रालय अपनी मनमानी का प्रदर्शन करते पीछे नहीं हंटती मानी जाती है । फलतः इन सभी असुविधाओं के बीच उपेक्षा के शिकार “रेलयात्री समिति” ठाकुरगंज ने आंदोलन के अंतिम अस्त्र आमरण अनशन को अपना मूलमंत्र मानकर, करो या मरो के सिद्धांत को अपनाने पर मजबूर हो गया ।

परिणाम भी तीसरे दिन आया कि रद्द दो ट्रेनों का परिचालन यहां पुनः शुरु कर दिया गया । जिससे रेलयात्री समिति के आरोपों को बल मिलता नजर आ रहा है । अगर ठाकुरगंज से अन्य स्टेशनों की तुलना की जाय तो यह स्टेशन अन्य स्टेशनों की तुलना में अधिक राजस्व देने वाला स्टेशन साबित होगा ।

 सात सूत्री मांगों के जरिये लम्बी दूरी के ट्रेनों का ठाकुरगंज में ठहराव देकर परिचालन की मांगें रखी गयी है । जिसमें 22611/12 एन जे पी -चेन्नई, 15721/22 दीघा पहड़िया एक्सप्रेस, का ठहराव ठाकुरगंज में कर एन जे पी से होकर चलने वाली ट्रेनो का परिचालन एवं ठहराव ठाकुरगंज से होकर किया जाना शामिल है । जबकि पटना, दिल्ली, कोलकाता सहित गोहाटी आगमन वाली सभी यात्री रेलों को ठाकुरगंज होकर चलाये जाने की मांग भी महत्वपूर्ण है ।

हलाकि आज अनशन स्थल पर बिहार विधानसभा में मुख्य सचेतक सह ठाकुरगंज के विधायक नौशाद आलम ने भी रेलयात्री समिति की मांगों को जायज करार देते कहा है कि समिति के मांगों के समर्थन में जो भी होगा मैं करुंगा । जबकि फूट ओवर ब्रिज के निर्माण को अतिआवश्यक करार देकर इसके निर्माण की वकालत की है  ।इधर डी सी एम कटिहार ए के ठाकुर का अनशन स्थल पर पहुंचना ढाक के तीन पात वाली कहावत को चरितार्थ कर गया जो खानापूरी भर कर लौट गये । जिससे आंदोलन के उग्ररुप को धारण करने की निशानी छोड़ गए।

गौरतलब है कि रेलयात्रा की सुविधाओं को लेकर इतना बड़ा आंदोलन यहां किये जाने की बातों से लोग इन्कार करते हैं । पर इस बात की ताईद भी करते हैं कि नौ नहीं नौ हजार हम भूखे मरने को तैयार हैं, पर हमारी मांगे पूरी हो । अब जबकि वक्त संसदीय चुनाव का निकट आता जा रहा है, ऐसे में रेलयात्री समिति का यह आंदोलन चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की दस्तकें देता दिखने लगा है । कल को अनशनकारियों की क्या दशा होगी, इसकी जबाबदेही देर सबेर रेलवे को लेना पड़ेगा ।
ठाकुरगंज रेलयात्री समिति की ओर से संयोजक सिकंदर पटेल, बछराज नखत (पत्रकार), सुमितराज यादव (पत्रकार), मिथिलेश झा (पत्रकार), रितेश यादव, गुड्डू सिंह, संजय यादव, अमृत मंडल, निरंजन राय शामिल हैं ।


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