बिहार के गया में लगायी जायेगी चीना फसल

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पटना/बिहार : विश्व में ंमोटे आनाज का दौर लौट रहा है। इसी परिपेक्ष्य में 2023 को अर्न्तराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है। अर्न्तराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के तहत पूरे भारत में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। गया जिले में ंभी प्रत्येक प्रखंड में मड़ुआ की खेती करने हेतु किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी क्रम में दूसरे मिलेट्स के रुप में चीना (Proso) फसल की खेती के लिये भी तैयारी शुरु की जा रही है।

चीना एक असिंचिंत, ऊँची जमीन, बलुई खेत या उसर टाईप खेत में भी उग जाती है। यह मात्र दो महिने की फसल हैं। पोषक तत्वों एवं फाईबर से भरपुर है। प्रति 100 ग्राम चीना में 13.11 ग्राम प्रोटीन एवं 11.18 ग्राम फाईबर के अतिरिक्त बड़ी मात्रा में लौह एवं कार्बोहाईड्रेट पाये जाते है। इसलिये इसे पोषक तत्व फसल कहते है। चीना का सेवन बल्डप्रेशर एवं मधुमेह के मरीजों के लिये रामबाण होता है। चीना भिंगोकर, सुखाकर एवं भूनकर खा सकते है। इसे भात, खीर रोटी आदि बनाकर खाया जाता है। अनियमित मानसून के कारण गया जिले में कभी- कभी धान की रोपनी नही हो पाती है, प्रायः खेत खाली रह जाते है। ऐसी स्थिति में रबी मौसम के पहले मात्र दो महिने में तैयार होने वाली चीना फसल किसानों को काफी लाभ पहूँचायेगी। खरीफ फसल की भरपाई चीना फसल से की जायेगी। अल्पवृष्टि के कारण अनाच्छादित रहे खेतों के लिये चीना सबसे अच्छा विकल्प साबित होगा। इस वर्ष टनकुप्पा प्रखंड के मायापुर फार्म में भी इस पौधे के र्प्याप्त बीज तैयार किये जायेंगे ताकि किसानों को चीना के रुप में धान का बहुत ही अच्छा विकल्प मिल सके।

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अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट


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