मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू की वादाखिलाफी, मनमानी व मृतप्राय व्यवस्था के खिलाफ वाम छात्र संगठन एआईएसएफ की बीएनएमयू इकाई ने मंगलवार को विश्वविद्यालय परिसर स्थित महात्मा गांधी के प्रतिमा स्थल पर बरखी मनाते हुए बाल मुराए और बरखी का भोज कर विरोध जताया था। संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि विभिन्न मांगों के समर्थन में भारत का प्रथम छात्र संगठन एआईएसएफ लोकतांत्रिक तरीके से लगातार आंदोलनरत है लेकिन विश्वविद्यालय वादा करके वादाखिलाफी करता आ रहा है जो दुखद है।
राठौर ने कहा कि एआईएसएफ के लगातार मांग के बाद स्थापना के तीस साल बाद भी सत्र नियमित नहीं होना, एकेडमिक सीनेट बैठक नहीं होना, एक भी ब्वॉयज गर्ल्स हॉस्टल नहीं होना, छात्रा,एससी, एसटी के छात्रों द्वारा निशुल्क एडमिशन व फॉर्म नहीं भरवाना, अपना जर्नल व पत्रिका प्रकाशित नहीं होना, कार्यकाल पूरा करने के दो साल बाद भी सीनेट, सिंडिकेट चुनाव की पहल नहीं होना विश्वविद्यालय के घोषणा व पहल के बीच के अंतर का आईना है، कथनी और करनी के बीच का यह घोटाला एआईएसएफ किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगा، इसी के खिलाफ में यह क्रमबद्ध आंदोलन शुरू किया गया है जो मांग पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा। वरीय पदाधिकारियों द्वारा संगठन की मांग पर पहल व कारवाई के आश्वासन पर संगठन लगातार इंतजार किया लेकिन विश्वविद्यालय ने छल किया।۔
कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए एआईएसएफ राज्य परिषद सदस्य सौरभ कुमार ने कहा कि यहां अधिकांश पदाधिकारी की मनमानी से व्यवस्था मृत्यु शैया पर आ गई है، पदाधिकारियों की मनमानी व छात्रों का शोषण हर सीमा को पार कर रहा है। विश्वविद्यालय परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग में स्थापना काल से मात्र तीन सत्र में करोड़ों रु अधिक लिए गए फीस को वापस करने व विभाग के अधिग्रहण की पहल नहीं हुई। पुस्तकालय, कैंटीन, हेल्थ सेंटर, जिम खाना सुचारू रूपेण संचालित नहीं है। बीएनएमयू रजत जयंती वर्ष को समर्पित इनडोर स्टेडियम बनने की प्रक्रिया पांच साल बाद भी शुरू नहीं हो पाई। परीक्षा विभाग में पेंडिग रिजल्ट उनके शोषण का आधार बनता जा रहा है। बीएड प्रकरण पर बनी जांच कमिटी के रिपोर्ट दस दिन के बजाय दो साल में आई और अभी तक दोषियों पर कारवाई व पीड़ितों के साथ न्याय की पहल नहीं हो पाई। लगातार आवेदन के बाद भी स्थापना काल से बीएनएमयू मुख्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में नन टीचिंग स्टाफ की बहाली नहीं करना विभाग के मान्यता रद्द को आमंत्रण देने जैसा है । यह आंदोलन उस क्रमबद्ध लोकतांत्रिक आंदोलन का आगाज है जो विश्वविद्यालय को छात्रहित के मांगों को पूरा करने को विवश करेगा।
इस मौके पर सुमीत कुमार, राहुल कुमार, अंकेश कुमार, आशुतोष कुमार,पंकज,सुमित आदि उपस्थित रहे।