मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय परिसर में बुधवार को पूरे दिन माहौल गर्म रहा. अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं अलग-अलग गुटों में बटे रहे. अधिकारी एवं कर्मचारी में वेतन की मांग को लेकर हुई नोकझोंक के बाद हाथापाई तक पहुंचा मामला, विश्वविद्यालय परिसर में गर्माहट का माहौल ला दिया. हालांकि विवि के ही कुछ अधिकारियों के द्वारा बीच-बचाव करने से अधिकारी एवं कर्मचारी में हाथापाई नहीं हो पाई, लेकिन छात्र-छात्राओं के बीच पूरे दिन इस पर चर्चा होती रही. विवि में तीन दिन से काम बंद होने एवं बुधवार को अधिकारी एवं कर्मचारी के बीच हुई नोकझोंक का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ा. तीन दिनों से विवि का बंद होना व अधिकारी एवं कर्मचारियों का आपस में बहस करना, छात्र-छात्राओं के समझ से परे था. जिसके कारण वे पूरे दिन सभी अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर काटते रहे.
प्रोवीसी के आश्वासन पर कार्य पर लौटे काम बंद करने वाले कर्मचारी : बुधवार वेतन की मांग को लेकर पिछले तीन दिनों से काम बंद कर विश्वविद्यालय प्रशासन को असहयोग कर रहे कर्मचारी बीएनएमयू के प्रति कुलपति प्रो डा आभा सिंह के आश्वासन पर तीन बजे के बाद काम पर वापस लौट आये. इससे पूर्व बुधवार को दिनभर विश्वविद्यालय में गहमा-गहमी का माहौल बना रहा. बुधवार को लगभग साढ़े 11 बजे कुलसचिव प्रो डा मिहिर कुमार ठाकुर एवं वित्तीय परामर्शी नरेंद्र सिन्हा ने कर्मचारी नेताओं को कुलसचिव कार्यालय के समीप बातचीत के लिए बुलाया. बातचीत के दौरान ही अधिकारी एवं कर्मचारी नेताओं के बीच तीखी नोंक-झोंक हो गई. बात हाथापाई तक पहुंच गई थी. हालांकि कुछ कर्मचारियों ने बीच-बचाव करते हुए मामला को शांत करवाया. मौके पर उपस्थित कर्मचारियों का कहना था कि कुलसचिव वेतन संबंधी संचिका को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं. जिसके कारण उनलोगों का भुगतान नहीं हो रहा है.
राज्य सरकार ने वेतन पर लगाई रोक, कर्मचारी नियमित कर रहे हैं कार्य : कर्मचारी नेताओं का कहना था कि राज्य सरकार ने उनलोगों के वेतन पर रोक लगाई है, लेकिन वे लोग नियमित रूप से विश्वविद्यालय में काम कर रहे हैं. कम से कम आंतरिक श्रोत से उनके द्वारा किये गये काम का पारिश्रमिक भुगतान किया जाना चाहिये. मालूम हो कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में कार्यरत 86 कर्मचारियों को पिछले छह माह से वेतन नहीं मिला है. वेतन की मांग को लेकर कई बार अधिकारियों से वार्ता की गई, लेकिन उनलोगों वेतन नहीं मिला. छठ की छूट्टी के बाद विश्वविद्यालय खुलते ही सभी कर्मचारियों ने सोमवार से ही काम करना बंद कर दिया था और दिनभर विश्वविद्यालय आकर इधर-उधर बैठे रहते थे. कर्मचारियों के द्वारा काम बंद कर दिए जाने से सबसे अधिक परेशानी विभिन्न कार्यों से आये छात्र-छात्राओं को हुई.
कर्मचारियों के द्वारा काम नहीं करने से छात्र छात्राओं को हुई परेशानी : तीन दिनों से माइग्रेशन, मूल प्रमाण पत्र सहित अन्य कार्यों के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे छात्र-छात्राएं बैरंग वापस लौट गये. सोमवार को काम नहीं होने से आक्रोशित छात्रों ने विश्विवद्यालय के मेन गेट को बंद कर विरोध प्रदर्शन भी किया था. बुधवार को कुलसचिव कार्यालय के समीप हंगामे के बाद वित्तीय परामर्शी वहां से निकल कर अपने आवास पर चले गये. इसके बाद कर्मचारियों ने कुलसचिव का घेराव कर वेतन संबंधी संचिका की मांग करने लगे. मामले को बढ़ता देख परीक्षा नियंत्रक आरपी राजेश सहित अन्य पदाधिकारी वहां पहुंच कर कर्मचारियों को शांत करवाया. इसके बाद प्रति कुलपति कार्यालय में कर्मचारी नेताओं, कुलसचिव एवं अन्य अधिकारियों के बीच करीब एक घंटे तक वार्ता हुई. वार्ता के बाद प्रति कुलपति के आश्वासन पर सभी कर्मचारी काम पर लौट गये.