मधेपुरा/बिहार : कोरोना और लॉकडाउन के बीच कुदरत का कहर लोगों पर जमकर टूट रहा है। खासकर बेमौसम आंधी बारिश ने किसानों के अरमानों पर वज्रपात कर दिया है। बुधवार की देर रात्रि से मूसलाधार हो रही बारिश के कारण मक्का किसानों को व्यापक नुकसान हुआ है।
मालूम हो कि दो दिन से लगातर रुक रुक कर हो रही जोरदार बारिश से खेत व खलिहान तालाब में तब्दील हो गए हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की सड़के व मोहल्ले भी कीचड़मय बन चुकी है। मौसम का यू टर्न खास कर किसानों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। मौसम की बेरुखी के कारण मक्का फसल पर भी मौसम का ग्रहण लगने के कारण या तो फसल खेत में लगी हुई है या उसकी तैयारी नहीं हो पाई है। बारिश के कारण जहां खलिहान में पड़ी फसल भींगने के कारण उसे सुखाना व तैयार करना चुनौती बनी हुई है। वहीं खेतों में लगी फसल गिरने के कारण किसान परेशान है।
मिली जानकारी के अनुसार लगातार आंधी बारिश के कारण सैकड़ों हेक्टेयर में लगी मक्का की फसल जमीन पकड़ चुकी है। कुछ फसल पककर तैयार है तो कुछ इलाकों में अभी फसल तैयार होने में विलंब है। मौसम ने खेत में लगी फसल के साथ ही तैयार फसलों को बर्बाद कर दिया है। लॉकडाउन के कारण मक्का किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलने की परेशानी के साथ फसल भींगने के कारण उसकी गुणवत्ता प्रभावित होगी। ऐसे में फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण अब किसानों के लिए लागत मूल्य निकालना भी चुनौती है।
बता दें कि आंधी व बारिश के कारण उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में मक्का की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है। जबकि कुछ जगहों पर पके हुए मक्के की कटनी के लिए मजदूर नहीं मिलने के कारण खेत से फसल दरवाजे तक पहुंचने के पहले ही बर्बाद हो रही है। जिस कारण किसान काफी परेशान हैं। मौसम के कारण फसल की तैयारी प्रभावित हुई है। अधिकांश इलाकों में फिलहाल मक्का की तैयारी नहीं हो पाई है। मक्का की फसल के साथ बागवानी फसलों को भी क्षति हुई है। किसानों ने बताया कि फसल पूरी तरह भींग चुकी है,जबकि खेतों में पानी जमा हो गया है। ऐसे में महाजन के कर्ज का भुगतान व बैंक का कर्ज चुकाना उनके लिए कड़ी चुनौती होगी। वहीं अनुमंडल के किसानों को आंधी बारिश के कारण व्यापक नुकसान हुआ है। किसानों ने फसल क्षति का सर्वे कराकर उचित मुआवजा देने के साथ बैंक का कर्ज माफ कराने की मांग की है। किसानों ने कहा कि अगर मौसम में सुधार नहीं हुआ तो मुनाफा तो दूर उनके लिए परिवार चलाना भी कठिन चुनौती होगी।
बागवानी फसलों को निगल गई आंधी : आंधी व बारिश के कारण बागवानी फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है। लगातार बारिश के कारण आम व लीची के बागानों में फल झड़ने के कारण काफी नुकसान हुआ है। बता दें कि आंधी व बारिश के कारण 40 फीसदी से अधिक फसल बर्बाद हो चुकी है। मौसम का कहर लगातार जारी रहने के कारण इस बार बागवानी फसल भी पूरी तरह दगा दे चुकी है।
गुल हुई कई इलाकों की बिजली : आंधी व बारिश के कारण कई इलाकों की बिजली गुल होने से लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। कई स्थानों पर तार टूटने व पेड़ गिरने के कारण बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है। हालांकि विभागीय स्तर पर आपूर्ति बहाल करने को लेकर पहल की जा रही है। कई इलाकों में आपूर्ति बहाल कर दी गई है,जबकि कई स्थानों पर आपूर्ति बहाल होने की संभावना व्यक्त की गई है।
सड़कों पर जलजमाव से बढ़ी परेशानी : लगातार बारिश के कारण क्षेत्र का दर्द भी हरा हो गया है। जलजमाव की समस्या से जूझने वाले ग्रामीण क्षेत्रों की विभिन्न सड़के पूरी तरह झील में तब्दील हो गई है। जबकि कई ग्रामीण मोहल्ले में जलजमाव के कारण लोगों की परेशानी चरम पर है। वही कोरोना से जूझ रहे लोगों के लिए कुछ स्थानों पर नाले के गंदा पानी से होकर गुजरना परेशानी का सबब बना हुआ है। बहरहाल बेमौसम बारिश ने नल जल योजना के द्वारा बनाये गए नाली जलनिकासी की व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।
मूंग की फसलों पर भी पर रही है मौसम की मार : खेतों में पानी जमा होने से मुंग फसल को भी भारी नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है, बुधवार की रात से तेज हवा के साथ हो रही बारिश से खेतों में पानी जमा हो गया। किसानों का कहना है कि मौसम ऐसा ही रहा तो किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएंगे। दरअसल, इस बार फरवरी और मार्च में हुई बारिश से किसान पहले से ही परेशान हैं। इसके बाद लॉकडाउन के कारण और भी परेशानी बढ़ गई। समय पर मजदूर नहीं मिलने के कारण गेहूं समेत अन्य रबी फसल की कटाई में इस साल देरी हुई। वही कुछ एक्सपर्ट किसानों का कहना है कि इस बारिश से सबसे अधिक नुकसान मूंग की फसल को होगा। हालांकि अगर खेत में पानी जमा न हो तो नुकसान नहीं के बराबर होगा। फसल बचाने के लिए किसानों को पानी निकासी की व्यवस्था तुरंत करनी चाहिए।