लाख कोशिशों के बाद भी जननायक कर्पुरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य सेवा में कोई सुधार नहीं

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मधेपुरा/बिहार : जननायक कर्पुरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में अनियमितता का अंबार लगा हुआ है. हालांकि जिला पदाधिकारी श्याम बिहारी मीणा लगातार कोशिश भी कर रहे हैं ताकि व्यवस्था को हमेशा दुरुस्त रखा जाय, लेकिन जो हालात है उसे देख कर ऐसा लगता है कि स्थिति को सुधरने में काफी वक्त लगेगा. यहां जिंदगी का महत्व कर्मियों के पास नहीं है. लोग पूरी तरह से लाचार हैं. मरीज अपने परिजनों के सहारे जिंदगी को बचाता है. जो नहीं लड़ पाते हैं, उनकी मौत हो जाती है. ऐसा ही एक मामला मेडिकल कॉलेज में बुधवार को देखने को मिला. परिजन अपने मरीज की जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहे थे. मरीज की जान बचाने के लिए भागते दौड़ते दिख रहे थे. अररिया के मरीज के परिजन ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉक्टर के द्वारा उनके मरीज को सीटी स्कैन करवाने के लिए कहा गया. सिटी स्कैन करवाने के लिए जाने की सोची, लेकिन मरीज ऑक्सीजन पर था. ऑक्सीजन के बिना बाहर ले जाते तो काफी परेशानी होती. जबकि ऑक्सीजन मात्र बेड के पास ही उपलब्ध था.Photo : www.therepublicantimes.co

परिजन खुद लाये सिलेंडर, वह भी दिया गया खाली : मरीज को बाहर ले जाने के लिए उनके परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर की खोज करने लगा. काफी जद्दोजहद के बाद उसे एक छोटा गैस सिलेंडर कंट्रोल रूम से मिल पाया. जिसे परिजन खुद ही कोविड वार्ड तक लाये और फिर मरीज को सिटी स्कैन के लिए ले जाया जाने लगा. अभी आधा रास्ता भी नहीं गुजरा था कि ऑक्सीजन सिलिंडर का ऑक्सीजन गैस खत्म हो गया. इसके बाद मरीज को जल्दी-जल्दी दोबारा बेड के पास लाया गया. मरीज के परिजनों के द्वारा ही तुरंत ऑक्सीजन की सप्लाई दी गई. इस दौरान मरीज काफी परेशान हो गया. सांस फूलने लगी थी. मरीज के बेटों ने बताया कि ऑक्सीजन खत्म होने के साथ ही काफी तेजी से वार्ड में पहुंचा था. समय रहते नहीं पहुंचता तो एक बड़ा हादसा हो जाता. मेरे पिता इस दुनिया में नहीं रहते. जो सिलिंडर दिया गया था बस थोड़ी ही देर में उसकी ऑक्सीजन समाप्त हो गया. सीटी स्कैन करवाने वाले स्थल तक पहुंच जाता. फिर वापस भी नहीं आ सकता था. जब इस बात की जानकारी वार्ड बॉय को हुई तो थोड़ी देर बाद उसने आकर गैस बदल दिया और वापस चला गया.Photo : www.therepublicantimes.co

कोविड वार्ड सहित परिसर में गंदगी का अंबार : मेडिकल कॉलेज को दुरुस्त करने के लिए डीएम श्याम बिहारी मीणा लगातार लोगों के साथ-साथ अस्पताल कर्मियों को भी जागरूक करने में लगे रहते हैं, लेकिन अस्पताल कर्मी हैं कि इसे मानने के लिए तैयार ही नहीं है. कोरोना वार्ड के आसपास का ऐसा हाल है कि जिसे कोरोना ना भी हो तो उसे कोरोना जरूर हो जायेगा. वार्ड के आसपास जगह-जगह पीपीई किट फेंका हुआ था. फर्श पर गहरे काले दाग धब्बे लगे थे. ऐसा लग रहा था जैसे बरसों से इसे साफ ना किया गया हो. बावजूद इसके कोरोना मरीज के साथ-साथ परिजनों को रहना मजबूरी है. मरीज के परिजन इसलिए मरीज के साथ रहते हैं कि मरीज परिजनों के सहारे ही रहते है. मरीज परिजनों के सहारे ही दुरुस्त होते हैं. एक पल के लिए भी मरीज अकेला हो जाए तो कोई भी हादसा हो सकता है.Photo : www.therepublicantimes.co

कोरोना से मौत के बाद शव से लिपटते रहे परिजन : सरकारी स्तर पर कोरोना मरीज के मृत्यु होने के बाद किसी भी परिजन से दूर रखने की बात कही जाती है. परिजन शव के पास जाते भी हैं तो शव के साथ उन्हें परिजनों को भी पीपीई किट दी जाती है, लेकिन मेडिकल कॉलेज की स्थिति काफी बुरी है. यहां वार्ड से कोरोना से मृत्यु होने के बाद शव को बाहर बरामदे के पास रख दिया जाता है. जिससे मृतक के परिजन लिपटते रहते हैं. जिसे देखने वाला कोई भी नहीं होता है. काफी देर तक मृतक का शव ऐसे ही बाहर में ही रहता है. मृतक की पत्नी किशनगंज जिले के पोठिया निवासी ने बताया कि उसके पति को चार दिन पहले लाया गया था. स्थिति धीरे-धीरे खराब हो रही थी. अंत में उनकी मौत हो गई.Photo : www.therepublicantimes.co

खून का सैंपल के लिए बाहर से कोविड वार्ड में पहूंचते है लोग : डीएम श्याम बिहारी मीणा चाहे लाख कोशिश कर ले लेकिन मेडिकल कॉलेज की स्थिति को ठीक शायद वह नहीं कर पायेंगे. यहां कर्मियों की मदद से खून का सैंपल लेने के लिए बाहर से लोग बुलाये जाते हैं. जो मोटी रकम लेकर खून का जांच करता है. इस बाबत फारबिसगंज निवासी टुनटुन कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके मरीज को डॉक्टर ने खून जांच करवाने के लिए बोला. जिसके बाद बाहरी व्यक्ति उसके पास आया और खून का सैंपल लिया और तीन हजार रुपये की मांग करने लगे. काफी मान मनोव्वल के बाद मामला 22 सौ रुपए पर फिक्स हुआ. जिसके बाद बाहरी व्यक्ति ने पुर्जा भी लेकर चला गया. वहीं यह भी बताया की मेडिकल कॉलेज से बहुत कम दवाई ही दी जाती है. जबकि महंगी दवाएं बाहर से ही लाना होता है.

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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