कृषि बिल : सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर, बैलगाड़ी, हल, बैल और कुदाल के साथ सड़क पर उतरे मधेपुरा के किसान

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सरकार किसान संगठनों के नेताओं से नहीं कर पाई है सार्थक बातचीत 〉〉 जिला में स्थापित किया जाय मक्का आधारित उद्योग, नहीं तो करेंगे आंदोलन 〉〉 हमारा पेट भरने तथा जिंदा रखने वाला किसान के साथ नहीं सहेंगे अनदेखी 〉〉 जुलूस के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी से मिलकर नौ सूत्री मांगों का स्मार पत्र सौंपा 

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : काला कृषि कानून किसानों की बदहाली भीषण महंगाई एवं बढ़ते अपराध के खिलाफ गुरुवार को पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार महागठबंधन के घटक दल राजद, भाकपा, माकपा, भाकपा माले एवं कांग्रेस के तत्वावधान में किसानों ने सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर, बैलगाड़ी, हल, बैल, कुदाल के साथ रेलवे स्टेशन से मौन जुलूस निकाला. यह मौन जुलूस रेलवे स्टेशन परिसर से निकलकर शहर के मुख्य सड़कों से गुजर कर समाहरणालय के समीप पहुंचा. जहां यह जुलूस सभा में तब्दील हो गई. मौन जुलूस में चल रहे प्रदर्शनकारी अपने हाथ में किसानों के हितकारी नारों की तख्ती था एवं सरकार के विरुद्ध नारे लगा रहे थे. पूर्व मंत्री सह सदर राजद विधायक प्रो चंद्रशेखर अपने से ट्रैक्टर चलाते हुए मौन जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे. समाहरणालय के समीप महागठबंधन के जिला संयोजक सह सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर की अध्यक्षता में उपस्थित जनसमूह एवं आंदोलनकारी किसानों को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री सह सदर राजद विधायक प्रो चंद्रशेखर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार न सिर्फ किसान विरोधी है बल्कि किसानों की हत्यारणी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर काला कानून के खिलाफ घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन में भाग ले रहे 15 किसानों की मौत के जिम्मेदार आखिर कौन है.

सरकार किसान संगठनों के नेताओं से नहीं कर पाई है सार्थक बातचीत : विधायक प्रो चंद्रशेखर ने कहा कि केंद्र की सरकार पूरी तरह तानाशाही है. आज 22 दिन से दिल्ली में इस कड़ाके की ठंड में आंदोलन पर डटे किसान संगठनों के नेताओं से सरकार सार्थक बातचीत नहीं कर पाई है, लेकिन आंदोलन को तोड़ने एवं बदनाम करने की पूरी कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि बिहार में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में ही धान की फसल लगभग तैयार हो जाती है, फिर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद सरकार ससमय नहीं करती है. प्रो चंद्रशेखर ने बिहार सहित देश भर की खेतीहरों से वहशी मोदी व नीतीश हुकूमत को नकेल कसने एवं लोकतंत्र को बचाने के लिए सूनी सड़कों पर कब्जा करने तथा किसान आंदोलन को तेज कर खेत एवं देश को बचाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि कारपोरेट प्रस्त काला कृषि कानून वापस नहीं लिया और फसल का लाभकारी दाम नहीं दिया तो भीषण संग्राम होगा. राजद जिलाध्य्क्ष जय कांत यादव ने कहा कि देश में 26 लाख करोड़ के वार्षिक कृषि व्यापार को अपने चहेते कॉरपोरेट्स के हाथ में देकर खेत-खलिहान को गिरवी रखने का यह घिनौना षड्यंत्र है. राजद के प्रदेश महा सचिव विजेंद्र प्रसाद यादव एवं देव किशोर यादव ने कहा कि तीनों काला कृषि कानून का ड्राफ्ट किसी कॉरपोरेट्स घराने के दफ्तर में तैयार हुआ था. यह अदानी-अंबानी के फायदे के लिए लाया गया  कानून है, जो पूरी तरह से देश के किसानों के खिलाफ है. हम काला कानून को कतई स्वीकार नहीं करेंगे.

जिला में स्थापित किया जाय मक्का आधारित उद्योग, नहीं तो करेंगे आंदोलन : भाकपा माले के जिला संयोजक रामचंद्र दास ने कहा कि यह खेती का कॉरपोरेटाइजेशन है. बाजार आधारित खरीद-फरोख्त व्यवस्था है एवं सीमित स्टॉक तथा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर किसानों को तबाह एवं बर्बाद करने की साजिश है. माकपा के जिला मंत्री मनोरंजन सिंह एवं राज्य कमिटी सदस्य गणेश मानव ने कहा कि इस कृषि कानून से बड़े व्यापारियों को मनमानी कीमत वसूलने की छूट मिलेगी. किसानों को कोई तय कीमत एमएसपी देने को बंदिश नहीं रहेगी. इसमें भंडारण का कोई सीमा नहीं तय किया गया है, जिससे खेती और किसानी संकट में पड़ेगा. कांग्रेस के जिलाध्य्क्ष सतेंद्र कुमार सिंह यादव ने कहा कि जब सरकार अनाज नहीं खरीदेगी तो सरकारी गोदाम में अनाज नहीं रहेगी और जन वितरण प्रणाली ध्वस्त हो जायेगा. भाकपा जिला मंत्री विद्यधार मुखिया ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर शीघ्र धान की अधिप्राप्ति किया जाय तथा जिला में मक्का आधारित उद्योग स्थापित किया जाय, नहीं तो किसान आंदोलन तेज करेंगे. लोजद जिलाध्य्क्ष राजेंद्र प्रसाद यादव ने सभी नहरों में पानी देने, जमीन की दाखिल खारिज कराने में व्याप्त अनियमितता एवं कमीशन खोरी पर रोक लगाने की मांग की. राजद नेता सह गठबंधन के सहायक संयोजक रामकृष्ण यादव ने कहा कि आत्मनिर्भरता का झूठा नारा देकर अन्नदाता के साथ धोखाधड़ी नहीं सहेंगे. मुखिया अरविंद यादव ने कहा कि कॉरपोरेट प्रस्त नीतियों के कारण आज देश गंभीर आर्थिक एवं कृषि संकट का सामना कर रहा  है. जेएनयू छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष प्रो शफाली ने कहा कि आंदोलनरत किसानों को टुकड़े टुकड़े गैंग बताने वाले पर देशद्रोही का मुकदमा दर्ज होना चाहिये.

हमारा पेट भरने तथा जिंदा रखने वाला किसान के साथ नहीं सहेंगे अनदेखी : महागठबंधन के जिला संयोजक सह सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि किसान का बेटा-भाई देश की सीमा पर सुरक्षा करता है और किसान हमारा पेट भरता है, हमें जिंदा रखता है. इसलिए किसानों की अनदेखी नहीं सहेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी मांगे नहीं मानी गई तो, 12 जनवरी को मधेपुरा में विशाल आक्रोश मार्च होगा.

 इस अवसर पर महागठबंधन के नेता कृष्ण कुमार यादव, रमन कुमार, शैलेंद्र यादव, शंभू शरण भारतीय, सीता राम रजक, नजीर उद्दीन नूरी, ई नवीन निषाद, राजेश रतन मुन्ना, सिंघेश्वर यादव, पंकज यादव, मनीष कुमार, भक्तन पंडित, विष्णु देव यादव, अरविंद यादव, रवि शंकर यादव, विकास यादव, भूषण यादव, कृष्णा मुखर्जी, शंभू क्रांति, दिलीप पटेल, दशरथ यादव, जहांगीर, चांद, सिराज, परमेश्वरी प्रसाद यादव, आलोक कुमार मुन्ना, अर्जुन यादव, विकास यादव, धीरेंद्र यादव, नित्यानंद यादव, अरविंद यादव, ई संजय, विमल विद्रोही, अजय यादव, गोपाल यादव, अनिल यादव, विकास मंडल, नवीन यादव, सुरेश यादव, अरुण यादव, मनोज यादव, शफीक, पप्पू यादव, इरफान, गोसाई ठाकुर, रूद्र नारायण यादव, देवेंद्र यादव, रविंद्र यादव, असलम अंसारी, संजीव कुमार, विमलेंद्र विमल, डा विजय कुमार, राजेश कुमार, उमेश यादव, गजेंद्र यादव, लक्ष्मी यादव, संजय यादव, फूलेंद्र यादव, योगेंद्र राम, दिनेश ऋषिदेव, अमेश यादव, प्रकाश कुमार पिंटू, मोती सिंह, प्रमानंद यादव, अनिल भारती, पवन ठाकुर, संत यादव, सत्यम कुमार, सद्दाम, जनार्दन यादव, उमा शंकर मुना, माधो राम आदि बड़ी संख्या में महागठबंधन के नेता एवं कार्यकर्ता मौन जुलूस में शामिल थे.

जुलूस के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी से मिलकर नौ सूत्री मांगों का स्मार पत्र सौंपा.


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