नालंदा : जिले में शिक्षकों की 11वें  दिन भी हड़ताल जारी, सभी प्रखंड मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन,10 हजार शिक्षक हड़ताल पर

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मुर्शीद आलम
नालंदा ब्यूरो
बिहार

नालंदा/बिहार : जिले की हड़ताल गुरुवार को 11वें दिन भी जारी रहा। इस हड़ताल से जिले के 6 लाख से भी ज्यादा बच्चे की पढ़ाई प्रभावित हो रही हैं और हड़ताल के कारण 1749 स्कूलों में ताले बंद है और करीब 10 हजार शिक्षक हड़ताल में शामिल है। मांगों के समर्थन में सभी प्रखंड मुख्यालयों में धरना दिया गया। इस दौरान आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया गया।

शिक्षक संघों के अध्यक्षों ने कहा कि मांगे पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी। प्रखंड कार्यालय थरथरी में धरना को संबोधित करते हुए बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के प्रखंड अध्यक्ष धनन्जय कुमार व बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति नालन्दा के अध्यक्ष मंडल सदस्य सह जिलाध्यक्ष रौशन कुमार ने कहा कि सरकार को अगर सचमुच में शिक्षा की चिंता है और वह बिहार के स्वर्णिम इतिहास की ओर ले जाना चाहती है तो नियोजित शिक्षकों की सभी मांगो को पूरा करके उन्हें सम्मान दे। जिस तरह से सरकार के इशारे पर नौकरशाहों द्वारा लगातार शिक्षकों को बर्खास्त, निलंवन और प्राथमिकी दर्ज कर के अपराधियों की तरह व्यवहार किया जा रहा है , वह कतई उचित नहीं है। काम करने का यह तरीका सरकार की हिटलरशाही और तानाशाही रवैए को दर्शाता है। इसके खिलाफ शिक्षक सड़क से लेकर न्यायालय तक कि लड़ाई लड़ी जाएगी।

 हरनौत प्रखंड कार्यालय में धरने में शामिल पीपीएसएस के प्रखंड अध्यक्ष सुनील कुमार, दिव्यसंबल, बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र भारती, प्रकाश कुमार, रुपा कुमारी, रवि कुमार सिंह, रमाकांत कुमार, पुष्पाजलि कुमारी, सुभाष कुमार, अमरजीत पासवान, तापक कुमार, विकाश कुमार, चन्द्रभूषण कुमार, कुमारी अवन्तिका सिन्हा, चंडी में शैलेंद्र कुमार सिंह, सत्येंद्र कुमार, संजय कुशवाहा, सुनैना कुमार, पंकज कुमार व अन्य ने कहा कि जिस देश या प्रदेश में शिक्षकों की जायज मांगों को कुचला जा रहा हो, शिक्षकों को अकारण प्रताड़ित किया जा रहा हो, वहां कि शिक्षा व्यवस्था कैसी होगी। यह सहज अनुमान लगाया जा सकती है। उनलोगों ने कहा कि यह मात्र शिक्षकों की लड़ाई नहीं है। बल्कि, यह आने वाली पीढ़ी की लड़ाई है। हमें लोगों को यह बताना होगा कि आखिर समान शिक्षा प्रणाली की रिपोर्ट सरकार के पास क्यों धूल फांक रही है। उसे क्यों लागू नहीं किया जा रहा है। इसके लिए आमजनों से भी सहयोग लिया जाएगा।

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अधिकारी व मंत्री के बेटे भी पढ़ें सरकारी स्कूल में। जब तक मंत्री, अधिकारी और भंगी का लड़का-लड़की एक साथ एक स्कूल में नही पढ़ेगा। एक साथ एक पंक्ति में बैठकर मध्याह्न भोजन नहीं खाएगा। तब तक समानता कहना बेईमानी है, और समाजवाद का नारा ढकोसला है। एक को विधायकों का होगा घेराव। आगे की रणनीति के अनुसार आंदोलन की दूसरी कड़ी में एक मार्च को स्थानीय विधायकों का घेराव कर मांग पत्र सौंपा जाएगा। उसके बाद तीसरी कड़ी में हड़ताली शिक्षकों द्वारा 5 मार्च को जिला मुख्यालय में आक्रोश मार्च निकाला जाएगा। धरना के अंत में शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन बीडीओ को सौंपा।


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