मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल का जीवन हमारे लिए आदर्श है। वे आम लोगों के लिए समर्पित मनीषी थे। उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा रोशनी पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई।
उक्त बातें बीएनएमयू कुलपति प्रो डा अवध किशोर राय ने कही। वे शनिवार को विश्वविद्यालय प्रेक्षागृह में आयोजित सुप्रसिद्ध समाजवादी नेता भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती सह विश्वविद्यालय स्थापना दिवस उत्सव की अध्यक्षता कर रहे थे। इसको लेकर जगह-जगह तोरणद्वार बनाए गए थे। भूपेंद्र नारायण मंडल प्रतिमा स्थल को फूलों से सजाया गया था। कुलपति ने कहा कि भूपेंद्र बाबू गांधीवादी एवं समाजवाद के स्तंभ थे। वे अपने से पहले वंचित व्यक्ति के हितों को देखते थे। हमें गर्व है कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण भूपेंद्र बाबू के नाम पर किया गया।
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शिक्षा सिर्फ रोजगार के लिए नहीं, बल्कि वैचारिक परिवर्तन के लिए भी हो : कुलपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के कल एवं आज को संजोने की जरूरत है। साथ ही आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए एकजुट होना है। हमें अनवरत प्रगति के पथ पर चलते रहना है। प्रति कुलपति प्रो डा फारूक अली ने कहा कि भूत भविष्य को बंधनग्रस्त नहीं कर सकता है। भविष्य वर्तमान से आकार लेता है। हमें अतीत, वर्तमान एवं भविष्य तीनों के बीच तालमेल बैठाकर चलना है। इस दिशा में बीएनएमयू : कल, आज और कल का प्रकाशन एक महत्वपूर्ण कदम होगा. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को संकीर्णता से मुक्त होना चाहिए। शिक्षा सिर्फ रोजगार के लिए नहीं, बल्कि वैचारिक परिवर्तन के लिए भी होनी चाहिए।
भूपेंद्र बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को प्रचारित-प्रसारित करने की जरूरत
पूर्व प्रधानाचार्य डा सच्चिदानंद यादव ने कहा कि भूपेंद्र बाबू समाजवाद के प्रबल हिमायती थे। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को प्रचारित-प्रसारित करने की जरूरत है। कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के निर्माण में जननायक कर्पूरी ठाकुर, तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एवं पूर्व सांसद सह पूर्व कुलपति डा रमेन्द्र कुमार यादव रवि की महती भूमिका है। जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर ने सबों से आग्रह किया कि विश्वविद्यालय के इतिहास, उपलब्धियों, कार्य योजनाओं और अपने संस्मरणों से संबंधित आलेख भेजे। इसे बीएन मंडल विश्वविद्यालय : कल, आज और कल पुस्तक में प्रकाशित किया जाएगा।
कार्यक्रम की शुरुआत साउथ कैंपस स्थित भूपेन्द्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि के साथ हुई. मुख्य समारोह में विशेष रूप से भूपेन्द्र बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया और बीएन मंडल विश्वविद्यालय : कल, आज और कल’ विषय पर परिचर्चा हुई। अतिथियों का स्वागत कुलसचिव डा कपिलदेव प्रसाद ने किया. संचालन पृथ्वीराज यदुवंशी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कुलानुशासक डा अशोक कुमार यादव ने की।
स्मारिका एवं पुस्तक का किया गया लोकार्पण : इस अवसर के लिए खासतौर से प्रकाशित एक स्मारिका का लोकार्पण किया गया। इसके प्रधान संरक्षक कुलपति, संरक्षक प्रति कुलपति, प्रकाशक कुलसचिव एवं संपादक जनसंपर्क पदाधिकारी हैं. इसमें चार आलेख प्रकाशित किए गए हैं, साथ ही कुछ चित्रों को भी स्थान दिया गया है। भूपेन्द्र नारायण विचार मंच द्वारा प्रकाशित पुस्तक सदन में भूपेन्द्र नारायण मंडल का लोकार्पण भी किया गया। इसका संपादन डा श्यामल किशोर यादव, डा सच्चिदानंद यादव एवं डा आलोक कुमार ने किया है। इसमें भूपेंद्र बाबू द्वारा राज्यसभा, लोकसभा एवं बिहार विधानसभा में दिए गए भाषणों को संकलित किया गया है। साथ ही उनकी जीवनी भी प्रकाशित की गई है। इसका खास आकर्षण सोशलिस्ट पार्टी के चतुर्थ सम्मेलन में दिया गया उनका अध्यक्षीय भाषण ‘समाजवाद का वैज्ञानिक स्वरूप’ है।
इस अवसर पर शिक्षक वित्तीय परामर्शी सुरेश चंद्र दास, पूर्व कुलसचिव डा शचीन्द्र, डा भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरा, सिंडीकेट सदस्य डा जवाहर पासवान, शिक्षक नेता डा नरेश कुमार, निदेशक अकादमिक डा एमआई रहमान, पूर्व वार्ड पार्षद ध्यानी यादव, डा इम्तियाज अंजूम, पीआरओ डा सुधांशु शेखर, कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव, सीनेटर रंजन यादव, महेंद्र नारायण मंडल, परमेश्वरी यादव, आनंद कुमार, शोधार्थी सारंग तनय, डेविड यादव आदि उपस्थित थे।
सेवानिवृत्त शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को दिया गया सम्मान : फरवरी 2019 से जनवरी 2020 तक सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। इनमें डा परमानन्द यादव, डा शिवमुनि यादव, डा अमोल राय, डा अरुण कुमार मिश्रा, डा एचएलएस जौहरी, डा बलराम सिंह एवं डा बीएन साह एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी विद्यानंद सिंह को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के दौरान कुलपति की धर्म पत्नी शोभा राय के सौजन्य से प्राप्त कंबल देकर चतुर्थवर्गीय कर्मयों को सम्मानित किया गया।
सम्मानित होने वालों में ललन मल्लिक, अशोक मल्लिक, सुशील मल्लिक, रंजीत मल्लिक, ललन कुमार यादव, ललन कुमार, चंदन मुखिया, राजेन्द्र मल्लिक, अमितम ल्लिक के नाम शामिल हैं. आयोजन के लिए गठित विभिन्न समितियों ने सक्रिय सहयोग किया। संचालन समिति में प्रति कुलपति प्रो डा फारूक़ अली, डा अशोक कुमार यादव, कुलसचिव डा कपिलदेव प्रसाद, सुरजदेव प्रसाद, डा ललन प्रसाद अद्री एवं बीपी यादव, इवेंट मैनेजमेंट कमिटी में डा नरेन्द्र श्रीवास्तव, डा एमआई रहमान एवं डा अबुल फजल, सांस्कृतिक समिति में डा रीता सिंह, डा बीएन विवेका, डाॅ. शंकर कुमार मिश्र एवं पृथ्वीराज यदुवंशी, भोजन समिति में शंभु नारायण यादव, राजीव कुमार, राजेश कुमार, बबलू ठाकुर, विश्वनाथ साह, सीएस पांडेय, घनश्याम राय, शशांक कुमार, देवेन्द्र कुमार, संजीव कुमार,अशोक केसरी, बिमल कुमार, संजय कुमार सत्यार्थी, संतोष कुमार, अखिलेश्वर नारायण एवं राकेश कुमार के नाम शामिल थे।