
वरीय संवाददाता,
चौसा, मधेपुरा
चौसा/मधेपुरा/बिहार :शीतलहर एक प्राकृतिक आपदा है। ग्रामीण क्षेत्रों में इससे अधिक लोग प्रभावित होते हैं। लिहाजा इससे बचाव की जानकारी जरूरी है।
उक्त बातें अतिथि निष्ठा प्रशिक्षक चतुर्भुज कुमार ने कही। वे स्थानीय महादेव लाल मध्य विद्यालय, चौसा में सुरक्षित शनिवार कार्यक्रम में आपदा प्रबंधन की चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के मैदानी इलाके में दिसंबर – जनवरी चलने वाली तेज पछुआ हवा को शीतलहर कहते हैं , जो मानव स्वास्थ्य के लिए घातक होता है। उन्होंने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की बहुसंख्यक आबादी खुले में काम करती है। ऐसे लोगों को शीतलहर से बचाव की जानकारी देकर उनकी जानें बचायी जा सकती है।

फोकल शिक्षक भालचंद्र ने कहा कि शीतलहर से प्रभावित व्यक्ति को फौरन गर्म कपड़ा से ठक देना चाहिए। उन्हें अंगीठी या हिटर से सेंक देना चाहिए। फोकल शिक्षिका रीणा कुमारी ने कहा कि शीतलहर के दौरान अनावश्यक घर से नहीं निकलना चाहिए। जरूरत हो तो शरीर को गर्म कपड़े से ढक कर ही बाहर निकलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे प्रभावित लोगों को गर्म भोजन तथा पेय पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
