त्रिवेणीगंज/सुपौल/बिहार : वर्तमान समाज के कुप्रथा मृत्युभोज के खिलाफ डॉ.इंद्रभूषण प्रसाद की जंग लागातार जारी हैं। उनका मानना है कि एक तो परिवार में जो लोग चले गए उनके जाने का गम और दूसरी ओर पैसे की बर्बादी हैं।
प्रखंड क्षेत्र के थलहा गढ़िया दक्षिण के पतरघटी वार्ड सात निवासी अरविंद यादव की माँ का निधन बीते दिन हो गया जिसको लेकर बुधवार को फिर एक बार कुप्रथा मृत्युभोज के खिलाफ उनके निवास स्थान पर शौक संतप्त परिजन व समाज के बुद्धिजीवीयों के बीच बैठक आयोजित कर मृत्यु भोज से होने वाले सामाजिक आर्थिक नुकसान पर चर्चा हुई। चर्चा के बाद मृत्युभोज नही करने के निर्णय लिया गया।
बैठक के उपरांत डॉ. इंद्रभूषण प्रसाद ने कहा कि मृत्यु भोज, आज समाज के लिए अभिशाप बन गया है। एक तो परिवार में जो लोग चले गए उनके जाने का गम और दूसरी ओर पैसे की बर्बादी। उन्होंने बताया कि कम से कम एक पंचायत में मृत्यु भोज पर एक साल में डेढ़ से दो करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं। मृत्यु भोज में जो कार्ड छपता है उसमे हमलोग शोक की बात करते हैं लेकिन भोज खुशी से खाते हैं।
इस बैठक में गंगा यादव, जोरीलाल यादव, लक्ष्मी यादव, दौरीक साह शिवकुमार भगत, विजेंद्र यादव, रामाकांत देव, किशोर कुमार, राजू यादव, ललन साह सहित ग्रामीणों मौजूद थे।बता दू कि डॉ. इंद्रभूषण कई बर्षो से लगातार समाज के कुप्रथा मृत्युभोज के खिलाफ अपनी मुहिम को आगे बढ़ाने में जुटे हैं।