मधेपुरा/बिहार : रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारत सरकार की पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने अपने मंत्रीत्व काल में बिहार में गुणवत्ता शिक्षा की स्थापना के लिए अनेकों प्रयास किए थे । उन्होंने मंत्री बनते ही घोषणा की थी कि राज सरकार जितनी जगह पर केंद्रीय विद्यालय खोलने का प्रस्ताव हमें देगी, उन सभी जगहों पर विद्यालय खोल दिए जाएंगे । मगर बार-बार आग्रह के बावजूद बिहार सर्कार द्वारा प्रस्ताव नहीं भेजा गया । उपेंद्र कुशवाहा बहुत मेहनत कर किसी तरह से नवादा जिला में नवादा के लिए और दूसरा औरंगाबाद जिला के देव कुंड के लिए प्रस्ताव भिजवा पाए थे ।
उक्त बातें जिला मुख्यालय स्थित रालोसपा के युवा नगर अध्यक्ष गौतम कुमार गोपी के आवास पर प्रेस वार्ता के दौरान रालोसपा के प्रदेश महासचिव सह मधेपुरा प्रभारी सुभाष कुमार सिंह ने कही । उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा उक्त दोनों प्रस्तावों के आलोक में पिछले वर्ष 2018 के अगस्त महीने में ही नवादा और देवकुंड में विद्यालय खोलने की स्वीकृति दे दी गई । उस वक्त इन दोनों विद्यालयों के साथ देशभर में 11 और विद्यालयों अर्थात 13 विद्यालयों की स्वीकृति हुई थी । बिहार के बाहर अधिकांश विद्यालय पिछले साल ही खुल गए । वहां पिछले सत्र से ही पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है, परंतु दुख के साथ कहना पड़ता है कि राज्य सरकार ने खुद ही विद्यालय खोलने के प्रस्ताव के साथ इनके निर्माण के लिए जमीन देने का लिखित वादा किया था, जबकि अब जमीन को देने से मना कर रही है ।
26 नवंबर से किया जाएगा आमरण अनशन : सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि राज्य के लोगों को यह जानकर अत्यंत दुख होगा कि देवकुंड में प्रस्तावित विद्यालय के लिए तो वहां के एक सज्जन ने अपनी निजी जमीन दान स्वरूप दी है, फिर भी अब तक केंद्रीय विद्यालय नहीं खुल पाया है । स्पष्ट है कि इस विद्यालय की स्थापना में राज्य सरकार को न तो एक इंच अपनी जमीन देनी है और ना ही एक नया पैसा अपने कोष से खर्च करना है । जमीन जनता की, पैसा भारत सरकार का, पढ़ेंगे गरीब घर के बच्चे और विरोध कर रही है राज्य की सरकार । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस रवैया में परिवर्तन के लिए पार्टी की ओर से आंदोलन किए गए । राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री से मिलकर आग्रह किया, शिक्षा मंत्री से मिलकर गुहार लगाई, अधिकारियों से दर्जनों बार बात की, मगर राज्य की सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा । अंत में मजबूर होकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने 26 नवंबर से पटना में आमरण अनशन करने का निर्णय लिया है ।
जगह के अभाव में बंद होने की कगार पर है केंद्रीय विद्यालय : सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने भारत सरकार में मंत्री रहते हुए बिहार में कैमूर, शेखपुरा, मधुबनी, मधेपुरा, सुपौल अरवल सहित अन्य जिलों जहां एक भी केंद्रीय विद्यालय नहीं है, वहां विद्यालय की स्थापना के प्रस्ताव को मंत्रालय की योजना में शामिल करवाया । भारत सरकार की ओर से इन जिलों के लिए प्रदेश की सरकार से प्रस्ताव की मांग की गई । मगर तीन वर्षों में बिहार सरकार प्रस्ताव भेजने में भी फिसड्डी साबित हुई । उपेंद्र कुशवाहा की घोषणा और मंत्रालय के निर्णय के अनुसार यदि प्रस्ताव भेज दिया गया होता तो वहां भी विद्यालय खुल जाता । अपने राज्य में पूर्व से संचालित लगभग डेढ़ दर्जन केंद्रीय विद्यालय जमीन के अभाव में 30 वर्षों से छोटे से अस्थाई भवन में चलाए जा रहे हैं । नतीजा यह है कि जगह के अभाव में कई विद्यालय बंद होने की कगार पर है. हमारे नेता ने मंत्री रहते राज्य सरकार से जमीन देने के लिए एड़ी चोटी एक कर दिया, परंतु राज्य सरकार इस मामले में भी सोई रही ।
सुभाष कुमार सिंह ने समाज के सभी सामाजिक- राजनीतिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, गुरुजनों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं एवं आम जनों से अपील की है कि इस अभियान में सहयोग करें, ताकि हम शिक्षा में सुधार करेंगे, करके रहेंगे के संकल्प को पूरा करने में कामयाब हो सकें ।
मौके पर प्रदेश महासचिव मृत्युंजय मेहता, प्रदेश उपाध्यक्ष सीताराम कुशवाहा, जिलाध्यक्ष रविशंकर कुमार उर्फ पिंटू मेहता, प्रदेश संगठन सचिव मो इफ्तेखार गुड्डू, जिला महासचिव रामचंद्र मेहता, महिला जिलाध्यक्ष गुलाब देवी, विश्वविद्यालय अध्यक्ष अभिषेक कुशवाहा, नगर अध्यक्ष संदीप प्रकाश, प्रखंड अध्यक्ष गम्हरिया राजेंद्र मेहता, प्रखंड अध्यक्ष ग्वालपाड़ा मिथिलेश कुमार मेहता, युवा नगर अध्यक्ष गौतम कुमार गोपी, मणि भूषण मेहता, नीतीश कुमार, विंधेश्वरी मेहता सहित अन्य लोग उपस्थित थे ।