मधेपुरा  : भाई दूज पर्व पर बहनो ने भाई की लंबी आयु की कामना

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : भाई की लंबी आयु का पर्व भाई दूज मंगलवार को जिला मुख्यालय में मनाया गया। बहनों ने भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए मंदिर में जा कर पूजा अर्चना किया। कार्तिक शुक्ल पक्ष के द्वितीया को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। बहनों ने इस दीन भाई की लंबी आयु की कामना किया। भाई के हाथ में अक्षत चंदन, रोली, गुलाल, सिक्का रख भाई की आरती उतारी, भाई को अपने हाथों से बजरी, मिठाई खिलाइ।

इस दिन भाई-बहन का यमुना में डुबकी लगाना शुभ होता है, यमुना में स्नान करने से भाई को सुख की प्राप्ति होती है, साथ ही इस पर्व में गोधन कुटने की भी परंपरा है। भाई की एश्वर्य की कामना करती है। बहने भाई के माथे पर चंदन, काजल व हल्दी का टीका लगा कर भाई की लंबी आयु की कामना की। भाई की पसंद का व्यंजन बनाकर भाइयों को खिलाया। वहीं भाई भी अपनी बहन की रक्षा के लिए कामना करते हैं और उन्हें उपहार स्वरूप मिठाई व तोहफा देते हैं। एक-दूसरे को उपहार भी भेंट की। बहन छोटे भाइयों को आशीर्वाद  दी और बड़े भाई से आशीर्वाद ली।  कई भाई भी बहन के घर जा रहे हैं। इस दिन गोधन भी कूटा जाता है। बंगाली समुदाय के लोग इस पर्व को भाई फोटा के रूप में मनाते हैं। बहनें इस दिन यमराज को भाई से दूर रहने की विनती करती हैं।

बहनें अपने भाई की खुशहाली की करती है कामना : भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई।  जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है।  पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है।


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