जानिए क्या है पटना से कनेक्शन अभिनेत्री छविपांडे का

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

बिहार के पटना शहर निवासी उमेश कुमार पांडेय  की बेटी  छवि पांडेय मध्यवर्गीय परिवार में पलीबढ़ी है, इस तरह के परिवारों में लोग लड़कियों से केवल इतनी ही चाहत रखते हैं कि वे पढ़लिख कर नौकरी कर लें इस के बाद उन की शादी हो जाए | कई बार तो 18-19 साल की उम्र में ही शादी कर दी जाती है | ऐसे में लड़कियां अपने सपने पूरे करने की तो सोच भी नहीं सकती हैं |

 छवि पांडेय भी ऐसे ही परिवार की थी, उन की बड़ी बहन की शादी तो  18-19 वर्ष की उम्र में हो गई थी|छवि पांडेय बचपन से हीं गायक बनना चाहती थी एक कार्यक्रम में छवि द्वारा गाये गानों से खुश हो कर तात्कालिक   रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव जी ने उन्हें रेलवे में नौकरी दे दी थी | उस समय छवि पांडेय की उम्र 18 साल के करीब थी | मगर छवि पांडेय को तो अपने सपने पूरे करने थे,  इसलिए नौकरी छोड़ कर उन्होंने रिऐलिटी शो ‘इंडियाज गौट टेलैंट’ में हिस्सा लिया | यहां छवि पांडेय के हुनर को देख कर अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे ने कहा कि उन्हें ऐक्टिंग में ध्यान देना चाहिए | तब छवि ने ऐक्टिंग की तरफ कदम बढ़ाए और कम समय में ही उन के हिस्से बड़ी सफलता आई |

पटना से मुंबई तक का सफर छवि के लिए आसां नहीं था जब छवि पांडेय ने घर पर जब यह बताया कि नौकरी छोड़ कर मुंबई में रह कर अपने फिल्मी कैरियर को आगे बढ़ाना चाहती हूं, तो पिताजी राजी नहीं हो रहे थे | मुझे अपनी मां के जरीए उन्हें राजी कराना पड़ा | मेरे बहुत गिड़गिड़ाने के बाद वे इस शर्त पर राजी हुए कि वे 1 साल का समय दे सकते हैं. अगर इस दौरान कुछ नहीं हुआ तो वापस पटना आना पड़ेगा |

छवि पांडेय को पहला ब्रेक मिला 2012 में धारावाहिक तेरी-मेरी लव स्टोरी में जिसमे छवि पांडेय ने स्मिता बंसल की भूमिका निभाई थी जो स्टार प्लस पर प्रसारित होती थी इसी धारावाहिक  से छवि पांडेय को पहचान मिली उसके बाद लगातार उन्हें कम मिलता गया |2013-2014 में एक बूंद इश्क जिसमे तारा सिंह शेखावत का रोल अदा की, 2014 में ये है आशिकी, 2015 में बंधन और सिलसिला प्यार का में अहम् भूमिका अदा की साथ ही छवि पांडेय ने एक भोजपुरी फिल्म विदेशिया में भी काम किया है |

आज छवि पांडेय जिस मुकाम पर है  उसमें उनके  पिता उमेश कुमार पांडेय, मां गीता पांडेय और चाचा जयंत कुमार पांडेय का बहुत बड़ा योगदान है | छवि पांडेय को लगता है कि अगर उनका परिवार पूरी तरह सपोर्ट नहीं करते तो बिहार से मुंबई जैसे शहर में आकर संघर्ष करना बहुत मुश्किल हो जाता  शुरू में जब भी मुङो ऑडिशन के लिए मुंबई, कोलकाता और दिल्ली समेत किसी भी शहर में जाना हुआ चाचाजी हमेशा मेरे साथ रहे | इसलिए मैं बिहार के अभिभावकों से कहना चाहती हूं कि अगर आपकी बेटियां किसी भी क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहती हैं तो उनका खुले दिल से सहयोग करें। इससे बेटियों का उत्साह दोगुना हो जाता है |


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