आज के खास मेहमान : मिलिए भोजपुरी फिल्म निर्माता अभिनेता शाहिद शम्स से

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

शाहिद शम्स रूप से गोपालगंज जिले के गांव गवंदरी गाँव के निवासी है। शाहिद ने बिहार की माटी का कर्ज उतारने के लिए भोजपुरी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ पदार्पण किया है।

युनानी मेडिकल कॉलेज सिवान से पढ़ाई करने वाले शाहिद में बतौर वीडियो डायरेक्टर टी सीरीज में दो ढाई सौ से ज्यादा बड़े प्रोजेक्ट्स को किया था। भोजपुरी फिल्म पिया के घर प्यारा लगे में सेकंड लीड अभिनेता के तौर पर इंट्री मारने वाले शाहिद ने अपने प्रोडक्शन हाउस के तहत गंगा किनारे प्यार पुकारे नामक भोजपुरी फिल्म बनाई थी।  इस फिल्म में बतौर अभिनेत्री भोजपुरी की चर्चित गायिका देवी व सुप्रिया को रखा गया था। जबकि शाहिद खुद मेन लीड मे थे।

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इस फिल्म से ही ये दर्शकों के दिलो-दिमाग पर छा गए। भोजपुरी फिल्म हवा में उड़ता जाए लाल दुपट्टा मलमल का मे भी इनके अभिनय को काफी सराहा गया। बतौर निर्माता उनकी तीसरी फिल्म जिद्दी आशिक थी। जिसके सह निर्माता और निर्देशक रामाकांत प्रसाद थे.भोजपुरी की चर्चित फिल्म  प्यार मोहब्बत जिंदाबाद मे ये भोजपुरी स्टार पवन सिंह के  अपोजिट नजर आए। इस फिल्म में बिहार के दर्जन भर से ज्यादा मंत्री और विधायक भी नजर आए थे।

 विनय बिहारी के निर्देशन में बनी यह फिल्म काफी चर्चा में रही उनके अभिनय से सजी फिल्म देवर साला आंख मारे, लागल रह राजाजी इस साल की सबसे ज्यादा सफल फिल्म क्रैक फाइटर चर्चा में है। उनके खुद के प्रोडक्शन हाउस से बनी फिल्म परदेस बिहार के एक ऐसी समस्या पर बनी है। जिसका सबसे प्रभाव छपरा सीवान गोपालगंज जिला पर है। रोजी रोजगार की तलाश में देश के बाहर विदेशों में भारी तादाद में रोजगार  की तलाश में जाने वाले लोगों  के परिवारों के दर्द को समझा है। बिहार के लोग रोजी रोजगार की तलाश में भारत के अन्य प्रदेशों में जाया करते थे खासकर बिहार सीवान गोपालगंज के लोग। जो अब अपने बेहतर भविष्य के लिए दोहा कतर समेत खाड़ी के देशों में जा रहे हैं और मेहनत करते हैं जबकि उनकी पत्नी बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता पर क्या गुजरती है।  इसी दर्द को शाहिद परदेस में ला रहे है। खुद मुख्य भूमिका में हैं। जबकि भोजपुरी के हास्य कलाकार आनंद मोहन पांडे अभिनेत्री गुंजन कपूर रूपा सिंह भी इस फिल्म में नजर आने वाले है।  

एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि भोजपुरी भाषा की मिठास को कायम रखने के लिए प्रयास के साथ ही साथ फिल्मों के स्तर को सुधारने की लड़ाई भी लड़ रहे है। भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल होने में हो रहे विलंब के सवाल पर उन्होंने कहा कि मनोज तिवारी व रवि किशन जैसे भोजपुरी सिनेमा के स्टार संसद में पहुंचे और आवाज बुलंद कर रहे हैं। 18 करोड़ भोजपुरी भाषियों के मनोभाव को देखते हुए भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिलना चाहिए यह हक है। सेंसर बोर्ड बिहार में होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि एकदम होना चाहिए क्योंकि सेंसर बोर्ड में जो लोग बैठे हैं उन्हें भोजपुरी के बारे में कोई खास जानकारी नहीं होती है। अगर सेंसर बोर्ड पटना में होगा और डिजिटल का जमाना है उसे आप मुंबई में भी बैठ कर देख सकते हैं। भोजपुरी में जो अश्लीलता है गंदगी है डबल मीनिंग संवाद हैं । अगर भोजपुरी के जानकार लोगों की और राज्य सरकार के प्रतिनिधि होंगे तो उस पर काफी हद तक रोक लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो कहते है की.उनके चलते भोजपुरी है नादान है। किसी की बदौलत भोजपुरी नहीं है भोजपुरी के बदौलत ही सभी लोग है। भविष्य में बहुत सारे काम करने का प्रण ले चुके।

 शाहिद कहते हैं कि बड़े भाई विनय बिहारी जी उनके मार्गदर्शक हैं और उन्हीं के नेतृत्व में भोजपुरी का मान सम्मान बढ़ाएं है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी अभियान और उनके द्वारा समाज के कल्याण के लिए किए गए कार्यों को लेकर भी उन्होंने अपने परदेश फिल्मम मे मैसेज दिया है। व्यवसाय फिल्म निर्माण और राजनीति में सक्रियता के बावजूद शाहिद शम्स सामाजिक गतिविधियों में भी काफी सक्रिय है। सिवान में अल्पसंख्यक विकास मिशन नामक अनाथ गरीब अल्पसंख्यक कल्याण के लिए अपना संगठन भी चलाते हैं। उन्होंने बताया कि गरीब बेटियों की शादी में जानकारी मिलती है तो उनके संगठन के द्वारा ₹5000 का आर्थिक सहयोग दिया जाता है साथ ही साथ सिवान के अल्पसंख्यक बच्चों के दिल्ली में रहने खाने और पढ़ाई की व्यवस्था भी उनका संगठन करता है।  चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक चेतना है समाज का कार्य कर रहे हैं फिल्म का निर्माण कर रहे हैं । अगर उन्हें मौका मिलता है इस  दायित्व को भी उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।


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