मधेपुरा : 11 वर्षों से उद्धारक की वाट जोह रही है उदाकिशुनगंज-बीङीरणपाल क्षतिग्रस्त पथ और पुल

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वर्ष 2008 के कुसहा त्रासदी के प्रलयंकारी बाढ में बह गए थे पुल और पुल से सटे 200 मीटर एप्रोच सड़क

बरसात के दिनों में हर वर्ष सङक पर पानी के बहाव से ठप हो जाती है यातायात, भंग हो जाता है अनुमंडल मुख्यालय       से संपर्क 

ग्रामीण चंदा कर, श्रमदान कर हर वर्ष सङक को बना लेते हैं चलने लायक 

आस-पास के गाँवों के लगभग 50 हजार लोगों का अनुमंडल मुख्यालय आने जाने का मुख्य मार्ग ठप

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियो के मौन के प्रति लोगों का बढा आक्रोश 

प्रिंस कुमार मिठ्ठू
संवाददाता
बिहारीगंज, मधेपुरा

उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय से बीड़ीरणपाल जाने वाली सड़क मठ टोला के समीप 11 वर्ष पहले कुसहा त्रासदी के प्रलयंकारी बाढ के दौरान हुए क्षतिग्रस्त जर्जर पुल अब पुरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। इस पुल का आधा से अधिक भाग बिल्कुल टुट कर धॅस चुका है। बरसात का पानी भर जाने से आवागमन बाधित हो चुकी है। जिससे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है।  11 वर्षों से उद्धारक की वाट जोह रही है।

उदाकिशुनगंज-बीङीरणपाल क्षतिग्रस्त पथ और पुल। यहाँ के लोग टकटकी लगाये बैठे हैं की कब बहुरेंगे हमारे दिन। ज्ञात हो की वर्ष 2008 के कुशहा त्रासदी के प्रलयंकारी बाढ में बह गई थी पुल और पुल से सटे 200 मीटर एप्रोच पथ। तब से लेकर आज तक पुल और पथ की स्थिति जानलेवा बनी हुई है। अन्य दुसरा कौई विकल्प नहीं रहने के कारण आसपास के लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर इसी रास्ते पर सफर करने को मजबूर हैं। जबकि कई राहगीर सफर के दौरान दुर्घटना ग्रस्त हो चुके हैं।

गौरतलब बात ये है कि इसी जर्जर क्षतिग्रस्त पुल और पथ से होकर अधिकारी और जनप्रतिनिधी भी सफर करते हैं। बावजूद क्षेत्रीय जनप्रतिनिधी और विभागीय अधिकारी लापरवाह बनी हुई है।   

चुनाव आते ही आश्वासनों का बाजार गर्म हो जाता है जैसे ही चुनाव समाप्त होती है चुने गए विधायक और सांसद भी अपने सारे वादे भुल जाते हैं। बरसात के दिनों में हर वर्ष सङक पर पानी के बहाव से ठप हो जाती है यातायात, अनुमंडल मुख्यालय से संपर्क भंग हो जाता है। ग्रामीण चंदा कर, श्रमदान कर हर वर्ष बरसात के बाद सङक को चलने लायक बना लेते हैं।

विदित हो कि इस क्षेत्र के करीब 50 हजारों लोगों के लिए उदाकिशुनगंज मुख्यालय आने-जाने का एक मात्र लाइफ लाईन सड़क है। साथ ही उदाकिशुनगंज, पकरिया, महेसुवा, लक्ष्मीपुर बीड़ीरणपाल, आदि अन्य पंचायत वासियों का बिहारीगंज, पुरैनी, पूर्णिया जाने का एकमात्र लाइफ लाइन भी है। इस कदर महत्वपूर्ण सड़क होने के बाद भी इस पथ के क्षतिग्रस्त पुल और एप्रोच पथ कि निर्माण कि दिशा में कौई पहल होते नहीं दिख रही है।

 पिछले दिनों भी “द रिपब्लिकन टाइम्स” ने  इससे संबंधित खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। बावजूद विभागीय अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिए। इसका नतीजा है कि बरसात आते हीं सङक पर पानी फैलने के कारण यातायात बिल्कुल ठप हो जाती है और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव के छात्र छात्राओं का कहना है कि बरसात आते हीं हम लोगों का विद्यालय से संपर्क भंग हो जाता है महीनों तक पठन पाठन बाधित हो जाती है।

ग्रामीण दिनेश मंडल, चन्दन कुमार, मोइन अंसारी, पुरुषोत्तम कुमार, उमा देवी, कमलेश्वरी प्रासाद साह, अभय कुमार, विकास कुमार, सूर्य नारायण यादव, शशि यादव, धीरेंद्र यादव, जयकांत यादव, अरुण यादव, भवेश यादव आदि ने बताया कि क्षतिग्रस्त पुल और सड़क के पुन र्निर्माण की मांग को लेकर हम लोगों ने कई बार स्थानीय विधायक निरंजन मेहता से लेकर सांसद पप्पू यादव को इसी सड़क पर घेराव भी किया, सूबे की सरकार को भी सैंकड़ो ग्रामीणों द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन देकर अवगत कराया गया है। पर आश्वासन के सिवा कुछ हाथ नहीं लगा। ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियो के मौन के प्रति आक्रोशित होकर एकजुटता प्रदर्शित करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले अगर इस समस्या का स्थाई  समाधान नहीं निकाला गया तो वोट का वहिष्कार किया जाएगा। जरूरत परी तो उग्र आदोलन भी किया जाएगा।


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