बीएनएमयू मधेपुरा के कारनामे : रिजल्ट जारी कर छात्र को किया पहले पास बाद में बताया फेल

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय विभिन्न मामलों को लेकर पूर्व से भी चर्चित  रहा है। बीएनएमयू एक बार फिर भी चर्चा के केंद्र में है। इस बार बीएनएमयू द्वारा रिजल्ट जारी कर पहले छात्र को पास व बाद में फेल बताया जा रहा है।

 जानकारी हो कि विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षांत समारोह के आयोजन से कुछ दिन पूर्व स्नातकोत्तर सत्र 2014-16 का परीक्षा परिणाम जारी किया गया था। नवंबर में परीक्षा व दिसंबर में परिणाम जारी कर विश्वविद्यालय ने खूब वाहवाही लूटी थी। लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए रिजल्ट का अब पोल खुल रहा है। विश्वविद्यालय के बेवसाइट पर जारी किए गए रिजल्ट में पास बताए गए छात्र को अंक प्रमाण पत्र में फेल बताया जा रहा है।

स्नातकोत्तर वाणिज्य सत्र 2014 – 16 का रिजल्ट नौ दिसंबर को विश्वविद्यालय के बेवसाइट पर जारी किया गया था। जिसमें डीएस कॉलेज कटिहार के स्नातकोत्तर वाणिज्य फाइनल ईयर के 24 छात्र में से सभी को उत्तीर्ण दिखाया गया है। 21 छात्र प्रथम श्रेणी व तीन छात्र द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण है। स्नातकोत्तर वाणिज्य के छात्र मुकेश कुमार साह, प्रेम कुमार, राधिका रमण तिवारी व तरणजीत कुमार पासवान भी विश्वविद्यालय के ऑफिसियल बेवसाइट पर जारी रिजल्ट को देखकर आश्वस्त हो गए कि वे पास हैं। लेकिन जब वे लोग अंक प्रमाण पत्र के लिए महाविद्यालय पहुंचे तो चारों को फेल बताया गया। अंक प्रमाण पत्र में फेल बताए जाने पर डीएस कॉलेज कटिहार के चार छात्र समस्या के समाधान के लिए सोमवार को विश्वविद्यालय आए हुए थे। छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक डा नवीन कुमार को सारी बातों से अवगत कराया, लेकिन परीक्षा नियंत्रक द्वारा यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया गया कि बेवसाइट पर अपलोड रिजल्ट और पूर्व में जारी किए गए टीआर पर उनका हस्ताक्षर नहीं है। इस मामले में वे कुछ नहीं कर सकते हैं। उन्होंने छात्रों को प्रतिकुलपति से मिलकर मामले की जानकारी देने को कहा।

अपनी समस्याओं के समाधान के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे स्नातकोत्तर वाणिज्य के छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के लापरवाही के कारण उन लोगों का भविष्य अंधकार में चला गया है। आखिर विश्वविद्यालय की लापरवाही का जवाबदेही कौन होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के जिस वेबसाइट पर स्नातकोत्तर का रिजल्ट जारी कर छात्रों का दीक्षांत समारोह मनाया गया था, उसी वेबसाइट से और छात्रों की तरह उन्होंने भी रिजल्ट देखा था। रिजल्ट में वे चारों छात्र पास थे। छात्रों ने कहा कि महीनों तक विश्वविद्यालय के द्वारा अंक प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। जिसके बाद उन्होंने महाविद्यालय से भी संपर्क कर महाविद्यालय में पहुंचे टीआर को देखकर तत्काल अंक प्रमाण पत्र भी बनवाया था। जिसपर महाविद्यालय के प्राचार्य सहित अन्य अधिकारियों का हस्ताक्षर भी किया गया है, लेकिन जब विश्वविद्यालय द्वारा महाविद्यालय में अंक प्रमाण पत्र भेजा गया तो उसमें उन लोगों को फेल कर दिया गया है।

छात्रों का कहना है कि अगर रिजल्ट प्रकाशित होने के समय ही उन्हें यह रिजल्ट मालूम होता तो उसके बाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परीक्षा में वे भाग ले सकते थे। लेकिन विश्वविद्यालय की लापरवाही के कारण वे परीक्षा में भाग नहीं ले पाए। जिसके कारण उनका दो साल बर्बाद हो चुका है। छात्रों ने कहा कि उन चारों छात्रों का अगर विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर जारी किया गया रिजल्ट गलत है तो अन्य छात्रों के रिजल्ट की भी जांच होनी चाहिए। जिन्हें दीक्षांत समारोह में प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया है।


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