मधेपुरा/बिहार : नगर परिषद् की लापरवाही के कारण शहर के मुख्य सड़क के बीचों-बीच बने नाले के उपर का ढक्कन खुला है। उस नाले की गहराई लगभग पांच फुट है। ऐसे में कोई भी वाहन चालक या राहगीर उसमे गिरने से घायल हो सकते है। स्थानीय लोगों ने बताया कि नाला का एक ढक्कन कई महीनों से खुला पड़ा है। बावजूद इसके नगर परिषद इस ओर संज्ञान नहीं ले रही है। जानलेवा गड्ढा कभी भी बड़े हादसे का गवाह बन सकती है। इसकी एक छोटी सी बानगी की नगर परिषद अंतर्गत जयपाल पट्टी चौक वार्ड नंबर 14 के वार्ड पार्षद रेखा देवी के घर के समक्ष देखने को मिली।
रविवार की सुबह एक ट्रैक्टर चालक ट्रैक्टर लेकर अपने काम पर जा रहा था। तभी अचानक वार्ड पार्षद के घर के समक्ष ट्रैक्टर को साइड लेने के दौरान सड़क से नीचे हो गया और सड़क के बगल में नाला पर ढक्कन नहीं रहने के कारण ट्रैक्टर नाले में पलट गया। हादसा इतना बड़ा था कि चालक की मौत भी हो सकती थी, लेकिन चालक की सूझबूझ के कारण उसकी जान बच पाई। जिसके बाद पूर्व वार्ड पार्षद सह सामाजिक कार्यकर्ता ध्यानी यादव के द्वारा नगर परिषद को सूचना देकर जेसीवी मंगाया गया, जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता दीपक यादव सहित स्थानीय लोगों की मदद से ट्रैक्टर को नाले से बाहर निकाला गया।
गड्ढे के बगल में विद्यालय : स्थानीय मुख्य सड़क स्थित शिव मंदिर के बगल से गुजरने वाली सड़क पर कभी भी हादसा हो सकती है। सड़क के बीचों बीच नाला है और नाला में गड्ढा है। वहीं उसके समीप सरकारी प्राथमिक विद्यालय है। विद्यालय से जब बच्चों की छुट्टी होती है तब दर्जनों बच्चे झुंड में बाहर निकलते है। ऐसे में नाले के गड्ढे में गिर कभी भी हादसे के शिकार हो सकते है। इसके बावजूद नगर परिषद व स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाता है। स्थानीय लोगों द्वारा कई बार इस मामले की शिकायत भी की गयी है।
स्कूल व नप दोनों है लापरवाह : शहरी क्षेत्र के सड़क, नाले की देखरेख की जिम्मेदारी यूं तो नगर परिषद की होती है। लेकिन स्कूल के बच्चों की सुरक्षा की जवाबदेही यकीनन स्कूल प्रबंधन की है। लेकिन दोनों में से कोई भी नाले के खुले ढक्कन को ढ़कने की जहमत नहीं उठा रही है। इस समस्या के निदान हेतु कोई पहल नहीं होना अपने आप में एक बड़ा सवाल है। दिन के समय तो लोग बचकर निकल जाते है। लेकिन शाम ढ़लने के बाद राहगीर रोजाना चोटिल हो रहे है।